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Old 11-10-2013, 01:27 PM   #21
rajnish manga
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Default Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन

एक और इंटरव्यू
यह इंटरव्यू श्री रघुवेन्द्र सिंह के ब्लॉग से लिया गया है (+ चवन्नी छाप)

अमिताभ बच्चनने दिल में अपने बाबूजीहरिवंशराय बच्चनकी स्मृतियां संजोकर रखी हैं. बाबूजी के साथ रिश्ते की मधुरता और गहराई को अमिताभ बच्चन से विशेष भेंट मेंरघुवेन्द्र सिंहने समझने का प्रयास किया.

लगता है कि अमिताभ बच्चन के समक्ष उम्र ने हार मान ली है. हर वर्ष जीवन काएक नया बसंत आता है और अडिग, मज़बूत और हिम्मत के साथ डंटकर खड़े अमिताभ को बस छूकर गुज़र जाता है. वे सत्तर वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन उन्हेंबुज़ुर्ग कहते हुए हम सबको झिझक होती है. प्रतीत होता है कि यह शब्द उनकेलिए ईज़ाद ही नहीं हुआ है.

उनका कद, गरिमा, प्रतिष्ठा, लोकप्रियता समय के साथ एक नई ऊंचाई छूती जारही है. वह साहस और आत्मविश्वास के साथ अथक चलते, और बस चलते ही जा रहेहैं. वह अंजाने में एक ऐसी रेखा खींचते जा रहे हैं, जिससे लंबी रेखा खींचना आने वाली कई पीढिय़ों के लिए चुनौती होगी. वह नौजवान पीढ़ी के साथ कदम सेकदम मिलाकर चलते हैं और अपनी सक्रियता एवं ऊर्जा से मॉडर्न जेनरेशन कोहैरान करते हैं.

अपने बाबूजी हरिवंशराय बच्चन के लेखन को वह सबसे बड़ी धरोहर मानते हैं. आजभी विशेष अवसरों पर उन्हें बाबूजी की याद आती है. पिछले महीने 11 अक्टूबर 2012 को अमिताभ बच्चन का जन्मदिन बहुत धूमधाम से अनोखे अंदाज़ में सेलीब्रेटकिया गया. इस माह की 27 तारीख को उनके बाबूजी का जन्मदिन है. प्रस्तुत है अमिताभ बच्चन से उनके जन्मदिन एवं उनके बाबूजी के बारे में विस्तृतबातचीत.

प्र. पिछले दिनों आपके सत्तरवें जन्मदिन को लेकर आपके शुभचिंतकों, प्रशंसकों और मीडिया में बहुत उत्साह रहा. आपकी मन:स्थिति क्या है?


उ. मन:स्थिति यह है कि एक और साल बीत गया है और मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों इतना उत्साह है सबके मन में? प्रत्येक प्राणी के जीवन का एक साल बीत जाता है, मेरा भी एक और साल निकल गया.
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Old 11-10-2013, 01:30 PM   #22
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Default Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन

प्र. दुनिया की नज़र में आपके पास सब कुछ है, मगर जीवन के इस पड़ाव पर अब आपको किन चीज़ों की आकांक्षा है?

उ. हमने कभी इस दृष्टि से न अपने आप को, न अपने जीवन को और न अपने व्यवसाय कोदेखा है. मैंने हमेशा माना है कि जैसे-जैसे, जो भी हमारे साथ होता जा रहाहै, वह होता रहे. ईश्वर की कृपा बनी रहे. परिवार स्वस्थ रहे. मैंने कभीनहीं सोचा कि कल क्या करना है, ऐसा करने से क्या होगा या ऐसा न करने सेक्या होगा. जीवन चलता जाता है, हम भी उसमें बहते जाते हैं.

प्र. एक सत्तर वर्षीय पुरुष को बुजुर्ग कहा जाता है, लेकिन आपके व्यक्तित्व पर यह शब्द उपयुक्त प्रतीत नहीं होता.

उ. अब क्या बताऊं मैं इसके बारे में? बहुत बड़ी गलतफहमी लोगों को. लेकिन हूंतो मैं सत्तर वर्ष का. आजकल की जो नौजवान पीढ़ी है, उसके साथ हिलमिल जानेका मन करता है. क्या उनकी सोच है, क्या वो कर रहे हैं, उसे देखकर अच्छालगता है. खासकर के हमारी फिल्म इंडस्ट्री की जो नई पीढ़ी है, जो नए कलाकारहैं, उन सबका जो एक आत्मबल है, एक ऐसी भावना है कि उनको सफल होना है औरउनको मालूम है कि उसके लिए क्या-क्या करना चाहिए. इतना कॉन्फिडेंस हम लोगों में नहीं था. अभी भी नहीं है. अभी भी हम लोग बहुत डरते हैं. लेकिन आज कीपीढ़ी जो है, वो हमसे ज्यादा ताकतवर है और बहुत ही सक्षम तरीके से अपनेकरियर को, अपने जीवन को नापा-तौला है और फिर आगे बढ़े हैं. इतनी नाप-तौलहमको तो नहीं आती. लेकिन आकांक्षाएं जो हैं, वो मैं दूसरों पर छोड़ता हूं.आप यदि कोई चीज़ लाएं कि आपने ये नहीं किया है, आपको ऐसे करना चाहिए, तोमैं उस पर विचार करूंगा. आप कहें कि अपने आपके लिए सोचकर बताइए, तो वो मैंनहीं करता. इतनी क्षमता मुझमें नहीं है कि मैं देख सकूं कि मुझे क्या करनाहै.
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Old 11-10-2013, 01:32 PM   #23
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Default Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन

प्र. आप जिस तरीके से नौजवान पीढ़ी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं, वह देखकर लोगों को ताज्जुब होता है कि आप कैसे कर लेते हैं?

उ. ये सब कहने वाली बातें हैं. कष्ट तो होता है, शारीरिक कष्ट होता है. अबजितना हो सकता है, उतना करते हैं, जब नहीं होता है तो बैठ जाते हैं. लेकिनऐसा कहना कि न जाने कहां से एनर्जी आ रही है, तो क्या कहूं मैं? मैं ऐसामानता हूं कि जब ये निश्चित हो जाए कि ये काम करना है, तो उसके बाद पूरीदृढ़ता और लगन के साथ उसे करना चाहिए. परिणाम क्या होता है, यह बाद मेंदेखना चाहिए. एक बार जो तय हो गया, उसे हम करते हैं.

प्र. क्या आप मानते हैं कि आप शब्दों, विशेषणों आदि से ऊपर उठ चुके हैं? इसबारे में सोचना पड़ता है कि आपके नाम के साथ क्या विशेषण लगाएं?

मैं अपने बारे में कैसे मान सकता हूं? और ये जो तकलीफ है, वह आपकी है. मुझपर क्यों थोप रहे हैं आप? मैंने तो कभी ऐसा माना नहीं है. आप लोग तो बहुतअच्छी-अच्छी बातें लिखते हैं, अच्छे-अच्छे खिताब देते हैं मुझे. मैंने कभीनहीं माना है उनको, तो मेरे लिए वह ठीक है. अब आप को कष्ट हो रहा हो, तो अब आप जानिए.

प्र. बचपन में अम्मा और बाबूजी आपका जन्मदिन किस प्रकार सेलीब्रेट करते थे?


उ. जैसे आम घरों में मनाया जाता था. हम छोटे थे, तो हमारी उम्र के बच्चों केलिए पार्टी-वार्टी दी जाती थी, केक कटता था, कैंडल लगता है. हालांकि येप्रथा अभी तक चल रही है. अंग्रेज़ चले गए, अपनी प्रथाएं छोड़ गए. पता नहींक्यों अभी तक केक काटने की प्रथा बनी हुई है! मैं तो धीरे-धीरे उससे दूरहटता जा रहा हूं. बड़ा अजीब लगता है मुझे कि फूंक मारो, कैंडल बुझ जाए.जितनी उम्र है, उतने कैंडल लगाओ. बाबूजी भी इसको कुछ ज़्यादा पसंद नहींकरते थे. इसलिए उन्होंने एक छोटी-सी कविता लिखी थी, जिसे जन्मदिन के दिन वो गाया करते थे. हर्ष नव, वर्ष नव...
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Old 11-10-2013, 01:34 PM   #24
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Default Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन

प्र. अभिषेक बच्चन ने हालिया भेंट में बताया कि घर के किसी सदस्य के जन्मदिनपर दादाजी उपहार स्वरूप कविता लिखकर देते थे. क्या आपने उन्हें सहेजकर रखाहै?

उ. जी, वह एक छोटी-सी कविता लिखकर लाते थे. ज़्यादातर तो हर्ष नव, वर्ष नव...ही हम सुनते थे. उसके बाद बाबूजी-अम्माजी कई जगह गाते थे इसको.

प्र. क्या बचपन में आपने बाबूजी से किसी गिफ्ट की मांग की थी? क्या आपकीमांगों को वो पूरा करते थे? उन दिनों इतने समृद्ध नहीं थे आप लोग.


उ. कई बार हमने ऐसी मांग की, लेकिन मां-बाबूजी की परिस्थितियां ऐसी नहीं थींकि वह हमें मिल सके तो हम निराश हो जाते थे. और अभी यह सुनकर शायद अजीबलगे, लेकिन मेरे स्कूल में एक क्रिकेट क्लब बना और उसमें भर्ती होने के लिए मेंबरशिप फीस थी दो रुपए. मैं मां से मांगने गया, तो उन्होंने कहा कि दोरुपए नहीं हैं हमारे पास. एक बार मैंने कहा कि मुझे कैमरा चाहिए. पुरानेजमाने में एक बॉक्स कैमरा होता था, वो एक-एक आने इकट्ठा करके मां जी ने अंत में मुझे कैमरा दिया.

प्र. कैमरे का शौक आपको कब लगा? पहला कैमरा आपने कब लिया?

उ. शायद मैं दस या ग्यारह वर्ष का रहा होऊंगा. कुछ ऐसे ही सडक़ पर पेड़-वेड़दिखता था, तो लगता था कि यह बहुत खूबसूरत है, उसकी छवि उतारनी चाहिए औरइसलिए हमने मां जी से कहा कि हमको एक बॉक्स कैमरा लाकर दो. अभी भी बहुतसारे कैमरे हैं. ये हैं परेश (इंटरव्यू के दौरान हमारी तस्वीरें क्लिक कररहे शख्स), यही देखभाल करते हैं. कैमरे का जो भी लेटेस्ट मॉडल निकलता है, उसे प्राप्त करना और उसे चलाना अच्छा लगता है मुझे. मैं घर में ही तस्वीरें लेता हूं, बच्चों की, परिवार की.

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Old 11-10-2013, 01:37 PM   #25
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Default Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन

प्र.आपमें और अजिताभ में बाबूजी का लाडला कौन था? कौन उनके सानिध्य में ज़्यादा रहता था?

उ. बराबरी का हिस्सा था और हमेशा बाबूजी ने कहा कि जो भी होगा, आधा-आधा कर लो उसको.


प्र. क्या बाबूजी आपके स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में आया करते थे? क्या वे सांस्कृतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने के लिए आपका उत्साहवर्द्धनकिया करते थे?

उ. अब पता नहीं कि फाउंडर डे पर जो स्कूल प्ले होता है, उसको एक सांस्कृतिकओहदा दिया जाए या... लेकिन जब भी हमारा फाउंडर डे होता था, तो मां-बाबूजीआते थे. हम नैनीताल में पढ़ रहे थे. वो लोग आते थे और हफ्ता-दस दिन हमारेसाथ गुज़ारते थे. हमारा नाटक देखते थे. हमेशा उन्होंने हमारा साथ दिया. मां जी ने स्पोर्ट्स में प्रोत्साहित किया.


प्र. क्या आप बचपन में उनके संग कवि सम्मेलनों में जाते थे?
उ. जी. प्रत्येक कवि सम्मेलन में बाबूजी ले जाते थे और मैं भी साथ जाता था.रात-बिरात दिल्ली के पास या इलाहाबाद के पास मैं उनके साथ जाता था.


प्र. बाबूजी के कद, उनकी गरिमा और प्रतिष्ठा का ज्ञान आपको कब हुआ?


उ. सारी ज़िन्दगी. मैं तो जब पैदा हुआ, तभी से बच्चन जी, बच्चन जी थे. और हमेशा मैं था हरिवंश राय बच्चन का पुत्र अमिताभ. कहीं भी हम जाएं, तो लोग कहेंकि ये बच्चन जी के बेटे हैं. उनकी प्रतिष्ठा जग ज़ाहिर थी.
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Old 11-10-2013, 01:39 PM   #26
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Default Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन

प्र. निजी जीवन पर अपने बाबूजी का सबसे गहरा असर क्या मानते हैं? क्या हिंदीभाषा पर आपकी इतनी ज़बरदस्त पकड़ का श्रेय हम उन्हें दे सकते हैं?

उ. हां, क्यों नहीं. मैंने सबसे अधिक उन्हीं को पढ़ा है. उनकी जो कविताएं हैं, जो लेखन है, जो भी छोटा-मोटा ज्ञान मिला है, उन्हीं से मिला है. लेकिनहिंदी को समझना और उसका उच्चारण करना, दो अलग-अलग बातें हैं. मैं नहींमानता हूं कि मेरी जिज्ञासा या मेरा ज्ञान हिंदी के प्रति बहुत ज्यादाअच्छा है. लेकिन मैं ऐसा समझता हूं कि किसी भाषा का उच्चारण सही होनाचाहिए. उसमें त्रुटियां नहीं होनी चाहिए. हिंदी बोलें या गुजराती या तमिलया कन्नड़ बोलें, तो उसे सही ढंग से बोलने का हमारे मन मेंहमेशा एक रहताहै. और बिना बाबूजी के असर के मैं मानता हूं कि मेरा जीवन बड़ा नीरस होता.स्वयं को भागयशाली समझता हूं कि मैं मां-बाबूजी जैसे माता-पिता की संतानहूं. माता जी सिक्ख परिवार से थीं और बहुत ही अमीर घर की थीं. उनके फादरबार एटलॉ थे उस जमाने में. वह रेवेन्यू मिनिस्टर थे पंजाब सरकार के पटियाला में. अंग्रेजी, विलायती नैनीज़ होती थीं उनकी देखभाल के लिए. उस वातावरणसे माता जी आईं और उन्होंने बाबूजी के साथ ब्याह किया. जो कि लोअर मीडिलक्लास से थे, उनके पास व्यवस्था ज़्यादा नहीं थी. ज़मीन पर बैठकरपढ़ाई-लिखाई करते थे, मिट्टी के तेल की लालटेन जलाकर काम करते थे, लाइटनहीं होती थी उन दिनों. मुझे लगता है कि कहीं न कहीं मां जी का जो वातावरणथा, जो उनके खयाल थे, वह बहुत ही पश्चिमी था और बाबूजी का बहुत ही उत्तरीथा. इन दोनों का इस्टर्न और वेस्टर्न मिश्रण जो है, वो मुझे प्राप्त हुआ.मैं अपने आप को बहुत भागयशाली समझता हूं कि इस तरह का वातावरण हमारे घर केअंदर हमेशा फलता रहा.

कई बातें थीं, जो बाबूजी को शायद नहीं पसंद आतीहोंगी, लेकिन कई बातें थीं, जिसमें मां जी की रुचि थी- जैसे सिनेमा जाना, थिएटर देखना. इसमें बाबूजी की ज़्यादा रुचि नहीं होती थी. वह कहते थे कि यह वेस्ट ऑफ टाइम है, घर बैठकर पढ़ो. मां जी सोचती थीं कि हमारे चरित्र को और उजागर करने के लिए ज़रूरी है कि पढ़ाई के साथ-साथ थोड़ा-सा खेलकूद भी किया जाए. मां जी खुद हमें रेस्टोरेंट ले जाती थीं, बाबूजी न भी जाते हों. तोये तालमेल था उनका जीवन के प्रति और वो संगम हमको मिल गया.


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Old 11-10-2013, 01:41 PM   #27
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प्र. दोनों अलग-अलग विचारधारा के लोग थे. आप किससे अधिक जुड़ाव महसूस करते थे?


उ. दोनों से ही. उत्तरी-पश्चिमी दोनों सभ्यताएं हमें उनसे प्राप्त हुईं. औरउनमें अंतर कब और कहां लाना है, यह हमारे ऊपर निर्भर करता है. वो सारा जोमिश्रण है, वह हमको सोचकर करना पड़ता है.


प्र. जया बच्चन के फिल्मफेयर को दिए गए एक पुराने साक्षात्कार मेंहमने पाया कि आपको लिखने का बहुत शौक है. उन्होंने बताया है कि जब आप कामज़्यादा नहीं कर रहे थे, तो अपने कमरे में एकांत में लिखते रहते हैं. क्याआप लिखते थे, वो उन्होंने नहीं बताया है.


उ. अच्छा हुआ कि वो उन्होंने नहीं बताया है, क्योंकि मुझसे भी आपको नहीं पताचलने वाला है कि मैंने क्या लिखा उन दिनों. बैठकर कुछ पढ़ते-लिखते रहना, फिर सितार उठाकर बजा दिया, गिटार उठाकर बजा लिया. ये सब हमको आता नहीं है, लेकिन ऐसे ही करते रहते थे.


प्र. क्या बाबूजी की तरह आप भी कविताएं लिखते हैं?


उ. कविता हमने नहीं लिखी. अस्पताल में जब था मैं 1982 में, कुली के एक्सीडेंटके बाद, उस समय एक दिन ऐसे ही भावुक होकर हमने अंग्रेज़ी में एक कविता लिखदी. वो हमने बाबूजी को सुनाई, जब वो हमसे मिलने आए. वो चुपचाप उसे ले गए और अगले दिन आकर कहा उसका हिंदी अनुवाद करके हमको दिखाया. उन्होंने कहा कि ये कविता बहुत अच्छी लिखी है, हमने इसका हिंदी अनुवाद किया है. ज़ाहिर है किउनका जो हिंदी अनुवाद था, वह हमारी अंग्रेज़ी से बेहतर था. वो कविता शायदधर्मयुग वगैरह में छपी थी.
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Old 11-10-2013, 01:43 PM   #28
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प्र. जीवन में किन-किन पड़ावों पर आपको बाबूजी और अम्मा की कमी बहुत अखरती है?

उ. प्रतिदिन कुछ न कुछ जीवन में ऐसा बीतता है, जब लगता है कि उनसे सलाह लेनीचाहिए, लेकिन वो हैं नहीं. लेकिन ये जीवन है, एक न एक दिन सबके साथ ऐसा हीहोगा. माता-पिता का साया जो है, ईश्वर न करें, लेकिन खो जाता है. लेकिन जोबीती हुई बातें हैं, उनको सोचकर कि यदि मां-बाबूजी जीवित होते, तो वो क्याकरते इन परिस्थितियों में? और फिर अपनी जो सोच रहती है उस विषय पर कि हां, मुझे लगता है कि उनका व्यवहार ऐसा होता, तो हम उसको करते हैं.

प्र. अपने अभिनय के बारे में बाबूजी की कोई टिप्पणी आपको याद है? वह आपके प्रशंसक थे या आलोचक?

उ. नहीं, वो बाद के दिनों में फ़िल्में वगैरह देखते थे और जो फिल्म उनको पसंदनहीं आती थी, वो कहते थे कि बेटा, ये फिल्म हमको समझ में नहीं आई कि क्याहै. हालांकि वो कुछ फिल्मों को पसंद भी करते थे और देखते थे. जब वो अस्वस्थ थे, तो प्रतिदिन शाम को हमारी एक फिल्म देखते थे.

प्र. कभी ऐसा पल आया, जब उन्होंने इच्छा ज़ाहिर की हो कि आप फलां किस्म का रोल करें?


उ. ऐसा कभी उन्होंने व्यक्त नहीं किया. मैंने कभी पूछा भी नहीं. उनके लिए भी समस्या हो जाती और हमारे लिए भी.

प्र. क्या बाबूजी को अपना हीरो मानते हैं? उनकी कोई बात, जो आज भी आपको प्रेरणा और हिम्मत देती है?

उ. हां, बिल्कुल. साधारण व्यक्ति थे, मनोबल बहुत था उनमें, एक आत्मशक्ति थीउनमें. लेकिन खास तौर पर उनका आत्मबल. कई उदाहरण हैं उनके. एक बार वो कोईचीज़ ठान लेते थे, फिर वो जब तक खत्म न हो जाए, तब तक उसे छोड़ते नहीं थे.बाबूजी को पंडित जी (जवाहर लाल नेहरू) ने बुलाया और कहा कि ये आत्मकथालिखी है माइकल पिशर्ड ने. हम चाहते हैं कि इसका हिंदी अनुवाद हो, लेकिन येहमारे जन्मदिन के दिन छपकर निकल जानी चाहिए. अब केवल तीन महीने रह गए थे.तीन महीने में एक बॉयोग्राफी का पूरा अनुवाद करना और उसे छापना बड़ामुश्किल काम था, लेकिन बाबूजी दिन-रात उस काम में लगे रहे. जो उनकी स्टडीहोती थी, उसके बाहर वो एक पेंटिंग लगा देते थे. उसका मतलब होता था कि अंदरकोई नहीं जा सकता, अभी व्यस्त हूं. बैठे-बैठे जब वो थक जाएं, तो खड़े होकरलिखें, जब खड़े-खड़े थक जाएं, तो ज़मीन पर बैठकर लिखें. विलायत में भी वोऐसा ही करते थे. जब वो विलायत में अपनी पीएचडी कर रहे थे, तो उन्होंने अपने लिए एक खास मेज़ खुद ही बनाया. उनके पास इतना पैसा नहीं था कि मेज़ खरीदसकें.
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Old 11-10-2013, 01:46 PM   #29
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Default Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन

प्र. अभिषेक और आपके बीच पिता-पुत्र के साथ-साथ दोस्त का रिश्ता नज़र आता है. क्या ऐसा ही संबंध आपके और आपके बाबूजी के बीच था?


उ. हां, बाद के दिनों में. शुरुआत के सालों में हम सब उन्हें अकेला छोड़ देतेथे, क्योंकि वो अपने काम में, अपने लेखन में व्यस्त रहते थे. मां जी थींहमारे साथ, तो घूमना-फिरना होता था, जो बाबूजी को शायद उतना पसंद नहीं था.बाद में जब हमारे साथ यहां आए तो हमारा उनके साथ अलग तरह का दोस्ताना बना.कई बातें जो केवल दो पुरुषों के बीच हो जाती हैं, कई बार ऐसा अवसर आता था, जब हमकरते थे. अभिषेक के पैदा होने के पहले ही मैंने सोच लिया था कि अगरमुझे पुत्र हुआ, तो वह मेरा मित्र होगा, वो बेटा नहीं होगा. मैंने ऐसा हीव्यवहार किया अभिषेक के साथ और अभी तक तो हमारी मित्रता बनी हुई है.
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Old 11-10-2013, 01:55 PM   #30
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Default Re: शताब्दी के महानायक अमिताभ बच्चन

प्र. क्या आप चाहते हैं कि अभिषेक और आपकी आने वाली पीढिय़ां बच्चनजी कीरचनाओं, विचार और दर्शन को उसी तरह अपनाएं और अपनी पीढ़ी के साथ आगेबढ़ाएं, जैसे आपने बढ़ाया है?


उ. ये अधिकार मैं उन पर छोड़ता हूं. यदि उनके मन में आया कि इस तरह से कुछ काम करना चाहिए, तो वो करें. मैं उन पर किसी तरह का दबाव नहीं डालना चाहता हूं कि देखो, ये हमारे परिवार की परंपरा रही है, हमारे लिए एक धरोहर है, जिसेआगे बढ़ाना है. न ही बाबूजी ने कभी हमसे ये कहा कि ये धरोहर है. क्योंकिउनकी जो वास्तविकता थी, उसे कभी उन्होंने हमारे सामने ऐसे नहीं रखा किमैंने बहुत बड़ा काम कर दिया है. उसके पीछे छुपी हुई जो बात थी, वो हमेशापता चलती थी. जैसे विलायत पीएचडी करने गए, पैसा नहीं था. कुछ फेलोशिप मिली, फिर बीच में वो भी बंद हो गई. मां जी ने गहने बेचकर पैसा इकट्ठा किया, क्योंकि वो चाहती थीं कि वो पीएचडी करें. चार साल जिस पीएचडी में लगता है, वो उन्होंने दो वर्षों में ही पूरी कर ली और काफी मुश्किल परिस्थितियोंमें रहे वहां. जब वो वापस आए, तो उस ज़माने में तो विलायत जाना और वापस आना बहुत बड़ी बात होती थी और खासकर इलाहाबाद जैसी जगह पर. सब लोग बहुत खुश कि भाई, विलायत से लौटकर के आ रहे हैं और हम बच्चे ये सोचते थे कि हमारे लिएक्या तोहफा लाए होंगे. सबसे पहला सवाल हमने बाबूजी से यही किया कि क्यालाएं हैं आप हमारे लिए? उन्होंने मुझे सात कॉपी, जो उनके हाथ से लिखी हुईपीएचडी है, वो उन्होंने मुझे दी. कहा कि ये मेरा तोहफा है तुम्हारे लिए. ये मेरी मेहनत है, जो मैंने दो साल वहां की. उसे मैंने रखा हुआ है. उससे बड़ा उपहार क्या हो सकता है मेरे लिए.
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