My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Miscellaneous > Healthy Body
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 04-05-2012, 11:44 PM   #531
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

अमेरिकी वैज्ञानिक की मौत का जिम्मेदार जीवाणु

कैलिफोर्निया। अमेरिकी वैज्ञानिक रिचर्ड डीन की एक अज्ञात मस्तिष्क ज्वर मेनिंनजाइटिस से मौत होने की गुत्थी सुलझ गई है और बताया जा रहा है कि इस बीमारी के टीके पर काम करते समय वह इसके जीवाणु की चपेट में आ गए होंगे जो उनकी मौत का कारण बना। अमेरिकी रोग नियंत्रण केन्द्र सीडीएस के प्रवक्ता टॉम स्किनर ने बताया कि अब डीन (25) की बायोप्सी के परिणामों और उनके द्वारा अध्यनरत टीके की जांच के परिणामों को मिलाया जाएगा जिसके बाद पता चल सकेगा कि उनकी मौत कैसे हुई। इस बात की संभावन व्यक्त की जा रही है कि इस टीके से ही उन तक बीमारी के जीवाणु पहुंचे होंगे। डीन अपनी मौत से पहले सैन फ्रांसिस्को की एक प्रयोगशाला में नेइसेरिया मेनिंजाइटेडिस नामक जीवाणु का तोड़विकसित करने का प्रयास कर रहे थे। यह जीवाणु ही सेरोग्रुप बी कहलाने वाले एक अत्यधिक प्राणघातक मस्तिष्क ज्वर के लिए जिम्मेदार होता है जो अधिकतर विकसित देशों में पाया जाता है। इस बीमारी का कोई टीका उपलब्ध नहीं है और सैन फ्रांसिस्को के वैज्ञानिक इस जीवाणु पर पिछले 20 वर्षों से शोध कर रहे हैं। डीन के संपर्क में आए परिजनो, उनके मित्रों एवं सहकर्मियों तथा उनका उपचार करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को एहतियातन एंटीबायोटिक दवाएं दी गई हैं। इस ज्वर की चपेट में आने के महज एक दिन बाद ही डीन की मौत हो गई थी।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 04-05-2012, 11:45 PM   #532
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

हिटलर में कैसे बढ़ी यहूदियों के प्रति भय और नफरत की भावना?
लंदन। जर्मनी का नाजी तानशाह एडोल्फ हिटलर द्वितीय विश्वयुद्ध के अंत समय में खुद को एक मसीहा मानने लगा था और हार की संभावना बढ़ने के साथ उसमें यहूदियों के खिलाफ धर्मयुद्ध की भावना बढ़ने लगी थी। कुछ गोपनीय दस्तावेजों से यह बात खुलकर सामने आई है। 1942 में ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार किए गए इन दस्तावेजों के अनुसार ब्रिटिश विश्लेषकों ने हिटलर के भाषणों में यहूदियों के खिलाफ बढ़ते नफरत के संकेत देखे थे। बीबीसी की खबर के अनुसार 1942 में कैम्ब्रिज के शिक्षाविद जोसेफ मैककर्डी ने अपने इन दस्तावेजों में कहा था कि हिटलर में तेजी से ‘यहूदियों के प्रति भय और नफरत’ की भावना बढ़ रही थी। मैककर्डी ने कहा कि हिटलर धार्मिक भ्रांतियों से ग्रस्त हो गया है। मैककर्डी ने बताया है कि कैसे विश्वयुद्ध में हार की ओर बढ़ते जर्मनी को देखते हुए उसमें ‘यहूदियों के प्रति जहरीली भावना का विकास होने लगा।’ मैककर्डी ने कहा कि उसे लगता था कि यहूदी शैतान का रूप हैं और वह अच्छाई का मसीहा या अवतार है। मैककर्डी के इस विश्लेषण को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता स्कॉट एंथनी ने सामने रखा है। एंथानी ने कहा कि मैककर्डी ने हार के समय हिटलर की मानसिक अवस्था का विश्लेषण किया। उन्होंने यहूदियों के प्रति उसके मन में बढ़ती घृणा और भय के बारे में बताया है। 60 लाख यहूदियों की मौत के लिए जिम्मेदार हिटलर ने रूस की लाल सेना के कब्जे से बचने के लिए 30 अप्रेल, 1945 को अपनी महिला मित्र इवा ब्राउन के साथ आत्महत्या कर ली थी।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 04-05-2012, 11:54 PM   #533
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

लें अनार, बढ़ाएं प्यार... अनार के रस से बढ़ती है सेक्स की इच्छा

लंदन। कहीं आपमें सेक्स की इच्छा दबीृदबी सी तो नहीं है? उलटी सीधी गोलियों को मारें गोली, बस, एक गिलास अनार का रस लें। कम से कम 15 दिन और फिर असर देखें। जी हां, एडिनबर्ग की क्वीन मारग्रेट यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया है कि जो पुरूष और महिलाएं रोजाना एक गिलास अनार का रस एक पखवाड़े तक पीते हैं, उनमें टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का स्तर बढ़ता है। यह हार्मोन स्त्री और पुरूष दोनों में सेक्स की इच्छा बढ़ाता है। यह अध्ययन 58 वालंटियरों पर किया गया, जिनकी उम्र 21 से 64 साल के बीच थी। एक पखवाड़े के अंत तक स्त्री और पुरूष दोनों में टेस्टोस्टेरोन स्तर में इजाफा देखा गया। पुरूषों में यह मूंछ, दाढ़ियों को प्रभावित करता है, आवाज भारी होती है और उसके साथ ही सेक्स की इच्छा में इजाफा होता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि इससे महिला एडरेनल ग्लैंड और डिंबाशय पर असर पड़ता है। उनमें सेक्स की इच्छा बढ़ती है और साथ ही उनकी हड्डियां तथा मांसपेशियां मजबूत होती हैं। अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो बढ़े हुए टेस्टोस्टेरोन का एक और फायदा होता है। यह आपका मूड अच्छा करता है और साथ ही याददाश्त बढ़ाता है। तनाव से भी आपको निजात दिलाता है। डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार एडिनबर्ग अनुसंधान में हिस्सा लेने वाले लोगों का टेस्टोस्टेरोन स्तर, रक्तचाप और एक वैज्ञानिक पैमाने का उपयोग करते हुए डर, दुख, पश्चाताप, शर्म समेत 11 भावनाओं का स्तर मापा गया। अध्ययन में पाया गया कि टेस्टोस्टेरोन का स्तर 16 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक बढ़ा है, जबकि रक्तचाप में गिरावट आई है। इससे सकारात्मक भावनाएं बढ़ी हैं और नकारात्मक भावनाएं घटी हैं।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 07-05-2012, 11:44 AM   #534
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

प्रयोगशाला में मानव अंग विकसित कर रहे हैं ब्रिटेन के वैज्ञानिक

लंदन। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने पहली बार दावा किया है कि वे यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में मानव अंगों को विकसित कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे अंग दान करने की बात इतिहास बन जाएगी। विश्वविद्यालय के नैनोटेक्नोलॉजी एवं रिजेनेरेटिव मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर एलेक्जेंडर सेफालियान के नेतृत्व में एक दल ने दावा किया कि वे रोगी की खुद की कोशिका का प्रयोग कर बदले जाने योग्य अंगों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ‘डेली मेल’ ने प्रोफेसर सेफालियान के हवाले से कहा कि अगले महीने हम एक रोगी के लिए नाक का विकास करने जा रहे हैं । दुनिया में ऐसा पहली बार हो रहा है। पहले किसी ने भी नाक का विकास नहीं किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब किसी रोगी के नाक का प्रत्यारोपण किया जाता है तो यह सीधे चेहरे पर नहीं लगाया जाता बल्कि उनकी बांह के नीचे चमड़े में लगे बैलून के अंदर डाला जाता है। उन्होंने कहा कि चार हफ्ते के बाद जब त्वचा और खून की नलियां विकसित होती हैं तो नाक की निगरानी की जा सकती है और फिर इसे चेहरे पर लगाया जा सकता है। टीम के एक अन्य सदस्य एडेलोला ओसेनी ने कहा कि अन्य समूहों ने नाक प्रत्यारोपण की कोशिश की है लेकिन हमने देखा कि वे ज्यादा नहीं टिकते। लेकिन हमारे नाक टिकाऊ होंगे।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 07-05-2012, 11:44 AM   #535
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

प्रजनन सम्बंधी इंजेक्शन बन सकते हैं बच्चों में विकृति का कारण

लंदन। एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि प्रजनन सम्बंधी इंजेक्शन बच्चों में जन्म से जुड़ी विकृतियों का कारण बन सकते हैं। एडीलेड विश्वविद्यालय ने यह दावा 300,000 से अधिक बच्चों पर अध्ययन करने के बाद किया है। अध्ययन में कहा गया है कि प्राकृतिक तरीके से जन्में बच्चों की तुलना में उन बच्चों में विकृतियां होने का खतरा अधिक होता है जिनका जन्म प्रजनन सम्बंधी इलाज के सामान्य तरीके से होता है। ‘द डेली टेलीग्राफ’ में प्रकाशित खबर में कहा गया है कि इन्ट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इन्जेक्शन (आईसीएसआई) से जन्मे बच्चों में विकृतियां होने की आशंका अधिक होती है। आईसीएसआई में एक शुक्राणु को सीधे ही अंडाणु में प्रविष्ट कराया जाता है। इसका मतलब है कि वह शुक्ररणु भी अंडाणु को निषेचित कर सकता है जो असामान्य होता है। सामान्य प्रक्रिया में ऐसा शुक्राणु अलग कर दिया जाता है। बहरहाल अनुसंधानकर्ता यह नहीं बता पाए कि इस तरह की विकृतियों का खतरा आईसीएसआई तकनीक की वजह से बढ़ता है या फिर ज्यादा क्षतिग्रस्त शुक्राणु वाले पुरुषों से अनुवांशिक विकृतियां उसकी संतान तक पहुंचने की आशंका अधिक होती है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि परंपरागत इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) इलाज से जन्म सम्बंधी विकृतियों का खतरा नहीं बढ़ता। अध्ययन के नतीजे ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन’ में प्रकाशित हुए हैं।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 10-05-2012, 05:34 AM   #536
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

वैज्ञानिकों को मिली खुश रहने की कुंजी

वाशिंगटन। खुशी भले ही क्षणिक हो, लेकिन उन अच्छे पलों को संजोकर रखना और अपने निजी अनुभवों की दूसरों से तुलना नहीं करना, लंबे समय तक खुश रहने में आपकी मदद कर सकता है। इस बात का खुलासा एक नए अध्ययन में किया गया है। अमेरिका में शोधकर्ताओं ने 481 लोगों के बीच इस संबंध में सर्वेक्षण किया। इन लोगों ने अपने जीवन में हाल में आए सकारात्मक बदलावों की पहचान की थी जिसने उन्हें खुश किया था। छह हफ्ते बाद मनोवैज्ञानिकों ने इस बात का मूल्यांकन किया कि क्या मूल खुशी में हुई वृद्धि बनी हुई है या काफूर हो गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि कुछ लोगों के लिए यह काफूर हो चुकी थी लेकिन ज्यादातर के लिए यह बरकरार थी। मिसौरी विश्वविद्यालय के कालेज आॅफ आर्ट्स एंड साइंसेज के प्रोफेसर केनॉन शेल्डन ने कहा कि ज्यादातर लोग उस बदलाव के आदी हो गए, जिसने उन्हें पहले आनंदित किया था। ‘लाइव साइंस’ के अनुसार शेल्डन ने कहा कि उन्होंने खुश होना बंद कर दिया क्योंकि वे और की चाहत करने लगे और अपना मानदंड ऊपर उठाते रहे या उन्होंने ताजा सकारात्मक बदलाव के अनुभवों को महसूस करना बंद दिया यथा उन्होंने अपने नए बॉयफ्रेंड के साथ आनंद उठाना बंद कर दिया और इस बात की कामना शुरू कर दी कि वह दिखने में अच्छा होता। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने उनके पास जो था उसको बहुत मान किया और नए अनुभव करते रहे। दीर्घावधि में ऐसे लोग जहां से उनकी खुशी बढ़ने की शुरूआत हुई थी उस स्तर को गिरने देने की बजाय अपनी बढ़ी हुई खुशी के स्तर कायम रख सके।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 10-05-2012, 06:32 AM   #537
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

फ्लू के सार्वभौमिक टीके बनाने की दिशा में मिले अहम सूत्र

मॉन्ट्रियल। कनाडा के अनुसंधानकर्ताओं को कुछ ऐसे सूत्र हाथ लगे हैं, जिनसे मौसमी फ्लू से निपटने वाला सार्वभौमिक टीका बनाया जा सकता है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ‘स्वाइन फ्लू’ या 2009 एच1एन1 से निपटने वाले टीके से ऐसी एंटीबॉडी तैयार होती हैं जो जानलेवा एच5एन1 बर्ड फ्लू सहित कई अन्य तरह के फ्लू के खिलाफ भी असरकारक होती हैं। अनुसंधान दल के अगुवा जॉन श्रादर ने बताया कि ज्यादातर फ्लू टीके फ्लू प्रोटीन हेमाग्लूटिनीन के महज ऊपरी हिस्से को बांधते हैं। ये सक्रिय एंटीबॉडी इसलिए प्रभावी होते हैं, क्योंकि वे फ्लू प्रोटीन हेमाग्लूटिनीन को बांध देते हैं।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 10-05-2012, 06:33 AM   #538
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

यकृत कैंसर के जीन की खोज

सिंगापुर। वैज्ञानिकों ने पित्त नली के कैंसर में बदलने वाले कई नए जीनों की पहचान करने का दावा किया है। इस क्रांतिकारी खोज से जानलेवा यकृत कैंसर के विकास की प्रक्रिया को समझने से आसानी हो सकती है। ‘नेचर जेनेटिक्स’ की खबर के अनुसार सिंगापुर के ड्यूक-नेशनल विश्वविद्यालय और थाइलैंड के खोन काएन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम ने कहा कि उन्होंने पित्त नली के कैंसर के जीनों को पहचानने के लिए नवीनतम जनोमिक तकनीकों का प्रयोग किया है। पित्त नली के कैंसर को कोलांगियोकारसीनोमा के नाम से भी जाना जाता है। शोधकर्ता दल के प्रमुख प्रोफेसर तेह बिन तिन ने कहा कि इस खोज से हमें पित्त नली के कैंसर से सम्बंधित गहन जानकारियां मिली हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम अब नए जीनों के और पित्त नली कैंसर पर इनके प्रभावों के बारे में जानने लगे हैं। जरूरत है कि अब हम इनके जैविक पक्षों का और अध्ययन करे, जिससे कोलांगियोकारसीनोमा की उत्पत्ति में इनकी भूमिका का निर्धारण हो सके। वैज्ञानिकों ने अत्याधुनिक डीएनए अनुक्रमण व्यवस्थाओं का प्रयोग कर थाईलैंड के मरीजों के पित्त नली कैंसर और सामान्य उतकों का विश्लेषण किया और 187 जीनों में बदलावों की खोज की। खोन काएन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वजराभोंगसा बुधिसवसदी ने कहा कि इस अध्ययन से पता लगता है कि हम दूसरे देशों में अपने सहयोगियों के साथ काम कर और अपने अनुभव साझा कर लोगों के फायदे के लिए काम कर सकते हैं।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 10-05-2012, 06:33 AM   #539
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

पेड़ की लुग्दी में छिपा है जवां बने रहने का नुस्खा

ओटावा। सिंगापुर की एक किशोरी ने पेड़ की लुग्दी से जवां रहने का नुस्खा निकाला है। मूल रूप से सिंगापुर की रहने वाली और हाल ही में कनाडा में बसी इस किशोरी को उसके इस खोज के लिए नेशनल साइंस पुरस्कार दिया गया है। 16 साल की जनेला टाम ने अपनी खोज में पता लगाया कि पेड़ों की लुग्दी में पाया जाने वाला सेल्युलोज जो पेड़ों को खड़े होने में मदद करते हैं, जवां बनाए रखने में मददगार प्रभावशाली एंटी-ओक्सीडेंट का भी काम करते है। कनाडा के जीवविज्ञान शिक्षा विभाग ने अपने एक वक्तव्य में कहा कि ये सुपर एंटी-ओक्सीडेंट पदार्थ हानिकारक मुक्त कणों को निष्प्रभावी कर देते हैं। इससे आने वाले दिनों में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और जवां बनाए रखने वाले उत्पादों को बेहतर करने में मदद मिल सकती है। टाम ने पेड़ के लुग्दी में पाए जाने वाले छोटे कणों ‘नैनो-क्रिस्टलीन सेल्यूलोज’ (एनसीसी) के सहारे से यह खोज की है। ये कण लचीले, टिकाउ और स्टील से भी ज्यादा मजबूत होते हैं। टाम ने एनसीसी को एक दूसरे जाने माने नैनो कणों बकमिन्सटर फ्यूलेरेन या बकीबॉल्स के रसायनिक सम्मिश्रण के साथ मिलाकर यह खोज की है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Old 10-05-2012, 02:44 PM   #540
Dark Saint Alaick
Super Moderator
 
Dark Saint Alaick's Avatar
 
Join Date: Nov 2010
Location: Sherman Oaks (LA-CA-USA)
Posts: 51,823
Rep Power: 182
Dark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond reputeDark Saint Alaick has a reputation beyond repute
Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

मेनिनजाइटिस बी के लिए टीका विकसित करने के करीब हैं वैज्ञानिक

पेरिस। शोधकर्ताओं ने कहा है कि वे मेनिनजाइटिस बी के लिए टीका विकसित करने के करीब हैं। इस बीमारी से यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका सर्वाधिक प्रभावित हैं जहां हर साल सैकड़ों लोगों की मौत हो जाती है। संक्रामक बीमारियों के बारे में लेख प्रकाशित करने वाली पत्रिका ‘द लांसेन्ट’ में छपे अध्ययन के अनुसार आस्ट्रेलिया, पोलैंड तथा स्पेन में किशोरों पर किए गए परीक्षण से उनमें इस बीमारी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई जबकि इसका शरीर पर कोई अन्य इतर प्रभाव नहीं हुआ। अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता तथा यूनिवर्सिटी आफ वेस्टर्न आस्ट्रेलिया के स्कूल आफ पेडिआट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ के पीटर रिचमंड ने कहा कि आंकड़ों के अनुसार इस टीके का अच्छा असर दिखा है। यह मेनिनजाइटिस बी से लोगों को बचाने में मददगार है। मेनिनजाइटिस के कारण मस्तिष्क तथा रीढ़ की हड्डी में सूजन होती है और इससे सबसे ज्यादा प्रभावित किशोर होते हैं। इस बीमारी से 5 से 14 प्रतिशत रोगियों की मौत हो जाती है। फिलहाल टीका मेनिनजाइटिस ए और सी प्रकार के लिए उपलब्ध है लेकिन बी प्रकार के लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है। शोधकर्ताओं ने कहा कि टीका से बचाव की अवधि का पता लगाने के लिए और परीक्षण किए जाने की जरूरत है।
__________________
दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
Dark Saint Alaick is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
health news, hindi forum, hindi news, your health


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 08:08 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.