07-09-2014, 02:50 PM | #171 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
^ एक अन्य श्राप नारद जी ने विष्णु जी को दिया था. नारद जी विश्वमोहिनी के स्वयंबर में प्रतिभागी थे. जाने से पहले उन्होंने विष्णु जी से सुन्दर व आकर्षक रूप देने का निवेदन किया. न जाने क्या सोच कर विष्णु जी ने नारद जी को आकर्षक रूप देने के स्थान पर वानर का रूप दे दिया. जब नारद जी सोत्साह स्वयंवर में पहुचे तो सभी उपस्थित व्यक्ति उन्हें देख कर हंसने लगे. जब नारद जी को असलियत का पता चला तो उन्होंने विष्णु जी को श्राप दे डाला. उन्होंने श्राप देते हुये कहा कि जिस प्रकार आपकी वजह से मुझे नारी का वियोग सहना पड़ा है, उसी प्रकार आप भी राम के रूप में जन्म ले कर अपनी पत्नी का वियोग सहोगे.
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07-09-2014, 03:11 PM | #172 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
श्रीकृष्ण का अभिशाप
गांधारी का शाप अब भगवान श्रीकृष्ण के प्रसंग पर एक दृष्टि डालते हैं. महाभारत का युद्ध समाप्त हो चुका था. कौरव परिवार के सभी योद्धा मारे गये थे. श्रीकृष्ण जब गांधारी से मिलने आते हैं तो वह अपने पुत्रों की मृत्यु पर विलाप कर रही थी. वह कृष्ण को देख कर अपने क्रोध को रोक नहीं पाती क्योंकि वह मानती है कि यदि कृष्ण चाहते तो वह युद्ध को रोक सकते थे. वह कृष्ण को अपने पुत्रों की मृत्यु के लिये उत्तरदायी मानती है. उस पर कृष्ण के समझाने का कोई प्रभाव नहीं पड़ता. विषादग्रस्त गांधारी ने श्रीकृष्ण को श्राप दिया कि जिस प्रकार कोरवों के कुल का सर्वनाश हुआ है इसी प्रकार तुम्हारी आँखों के सामने तुम्हारा वंश भी आपस में लड़ते मरते खत्म हो जाएगा. एक अन्य श्राप के प्रभाव से श्री कृष्ण स्वयं भी एक बहेलिये द्वारा छोड़े गये तीर से पाँव में लगे तीर से घायल हो कर मृत्यु को प्राप्त हुये.
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21-03-2015, 11:38 PM | #173 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
पौराणिक संदर्भों में नागवंश की कथा
भगवान् विष्णु की एक प्रतिमा के पृष्ठ भाग में शेषनाग
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21-03-2015, 11:49 PM | #174 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
पौराणिक संदर्भों में नागवंश की कथा
नागो की उत्पत्ति कद्रू और विनता दक्ष प्रजापति की पुत्रियाँ थीं और दोनों कश्यप ऋषि कोब्याही थीं। एक बार कश्यप मुनि ने प्रसन्न होकर अपनी दोनों पत्नियों सेवरदान माँगने को कहा। कद्रू ने एक सहस्र पराक्रमी सर्पों की माँ बनने कीप्रार्थना की और विनता ने केवल दो पुत्रों की किन्तु दोनों पुत्र कद्रू केपुत्रों से अधिक शक्तिशाली पराक्रमी और सुन्दर हों। कद्रू ने 1000 अंडे दिएऔर विनता ने दो। समय आने पर कद्रू के अंडों से 1000 सर्पों का जन्म हुआ। पुराणों में कई नागो खासकर वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, कार कोटक, नागेश्वर, धृतराष्ट्र, शंख पाल, कालाख्य, तक्षक, पिंगल, महा नाग आदि का काफी वर्णन मिलता है। हमारे धर्म ग्रंथो में शेषनाग, वासुकि नाग, तक्षक नाग, कर्कोटक नाग, धृतराष्ट्र नाग, कालिया नाग आदि नागो का वर्णन मिलता है। आज हम आपको इस लेख में इन सभी नागो के बारे में विस्तार से बताएंगे। लेकिन सबसे पहले हम आपको इन पराक्रमी नागों के पृथ्वी पर जन्म लेने से सम्बंधित पौराणिक कहानी सुनाते है।
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22-03-2015, 12:00 AM | #175 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
पौराणिक संदर्भों में नागवंश की कथा
शेषनाग / Sheshnaag कद्रू के बेटों में सबसे पराक्रमी शेषनाग थे। इनका एक नाम अनन्त भी है।शेषनाग ने जब देखा कि उनकी माता व भाइयों ने मिलकर विनता के साथ छल किया हैतो उन्होंने अपनी मां और भाइयों का साथ छोड़कर गंधमादन पर्वत पर तपस्याकरनी आरंभ की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उन्हें वरदान दियाकि तुम्हारी बुद्धि कभी धर्म से विचलित नहीं होगी। ब्रह्मा ने शेषनाग को यह भी कहा कि यह पृथ्वी निरंतर हिलती-डुलती रहती है, अत: तुम इसे अपने फन पर इस प्रकार धारण करो कि यह स्थिर हो जाए। इस प्रकार शेषनाग ने संपूर्ण पृथ्वी को अपने फन पर धारण कर लिया। क्षीरसागर में भगवान विष्णु शेषनाग के आसन पर ही विराजित होते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसारभगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण व श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम शेषनाग के ही अवतार थे।
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22-03-2015, 12:04 AM | #176 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
सही बात है। हमें महाभारत, रामायण, विष्णु या कृष्णावतार के बारे में ही पढने को मिलता है। ईनसे भी पहेले क्या था, कैसा था ईसके बारे में भी तो जानना चाहिए।
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22-03-2015, 12:09 AM | #177 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
पौराणिक संदर्भों में नागवंश की कथा
वासुकि नाग (Vasuki Nag) धर्म ग्रंथों में वासुकि को नागों का राजा बताया गया है। ये भी महर्षिकश्यप व कद्रू की संतान थे। इनकी पत्नी का नाम शतशीर्षा है। इनकी बुद्धि भीभगवान भक्ति में लगी रहती है। जब माता कद्रू ने नागों को सर्प यज्ञ मेंभस्म होने का श्राप दिया तब नाग जाति को बचाने के लिए वासुकि बहुत चिंतितहुए। तब एलापत्र नामक नाग ने इन्हें बताया कि आपकी बहन जरत्कारु से उत्पन्नपुत्र ही सर्प यज्ञ रोक पाएगा। तब नागराज वासुकि ने अपनी बहन जरत्कारु का विवाह ऋषि जरत्कारु से करवादिया। समय आने पर जरत्कारु ने आस्तीक नामक विद्वान पुत्र को जन्म दिया।आस्तीक ने ही प्रिय वचन कह कर राजा जनमेजय के सर्प यज्ञ को बंद करवाया था।धर्म ग्रंथों के अनुसार समुद्रमंथन के समय नागराज वासुकी की नेती बनाई गईथी। त्रिपुरदाह के समय वासुकि शिव धनुष की डोर बने थे।
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22-03-2015, 12:16 AM | #178 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
पौराणिक संदर्भों में नागवंश की कथा
तक्षक नाग (Takshak Nag) धर्म ग्रंथों के अनुसार तक्षक पातालवासी आठ नागों में से एक है। तक्षक केसंदर्भ में महाभारत में वर्णन मिलता है। उसके अनुसार श्रृंगी ऋषि के शाप केकारण तक्षक ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गयी थी।तक्षक से बदला लेने के उद्देश्य से राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया था। इस यज्ञ में अनेक सर्प आ-आकर गिरने लगे। यह देखकर तक्षकदेवराज इंद्र की शरण में गया। जैसे ही ऋत्विजों (यज्ञ करने वाले ब्राह्मण) ने तक्षक का नाम लेकर यज्ञ मेंआहुति डाली, तक्षक देवलोक से यज्ञ कुंड में गिरने लगा। तभी आस्तीक ऋषि नेअपने मंत्रों से उन्हें आकाश में ही स्थिर कर दिया। उसी समय आस्तीक मुनि केकहने पर जनमेजय ने सर्प यज्ञ रोक दिया और तक्षक के प्राण बच गए। ग्रंथोंके अनुसार तक्षक ही भगवान शिव के गले में लिपटा रहता है।
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22-03-2015, 07:51 PM | #179 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
पौराणिक संदर्भों में नागवंश की कथा
कर्कोटक नाग Karkotaka Naga कर्कोटक शिव के एक गण हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार सर्पों की मां कद्रू ने जब नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया तब भयभीत होकर कंबल नाग ब्रह्माजी के लोक में, शंखचूड़ मणिपुर राज्य में, कालिया नाग यमुना में, धृतराष्ट्र नाग प्रयाग में, एलापत्र ब्रह्मलोक में और अन्य कुरुक्षेत्र में तप करने चले गए। ब्रह्माजी के कहने पर कर्कोटक नाग ने महाकाल वन में महामाया के सामने स्थितलिंग की स्तुति की। शिव ने प्रसन्न होकर कहा कि जो नाग धर्म का आचरण करतेहैं, उनका विनाश नहीं होगा। इसके उपरांत कर्कोटक नाग उसी शिवलिंग मेंप्रविष्ट हो गया। तब से उस लिंग को कर्कोटेश्वर कहते हैं। मान्यता है कि जोलोग पंचमी, चतुर्दशी और रविवार के दिन कर्कोटेश्वर शिवलिंग की पूजा करतेहैं उन्हें सर्प पीड़ा नहीं होती।
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22-03-2015, 07:54 PM | #180 |
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Re: पौराणिक कथायें एवम् मिथक
पौराणिक संदर्भों में नागवंश की कथा
धृतराष्ट्र नाग (Dhritarashtra Naga) धर्म ग्रंथों के अनुसार धृतराष्ट्र नाग को वासुकि का पुत्र बताया गया है।महाभारत के युद्ध के बाद जब युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ किया तब अर्जुन वउसके पुत्र ब्रभुवाहन (चित्रांगदा नामक पत्नी से उत्पन्न) के बीच भयंकरयुद्ध हुआ। इस युद्ध में ब्रभुवाहन ने अर्जुन का वध कर दिया। ब्रभुवाहन कोजब पता चला कि संजीवन मणि से उसके पिता पुन: जीवित हो जाएंगे तो वह उस मणिके खोज में निकला। वह मणि शेषनाग के पास थी। उसकी रक्षा का भार उन्होंने धृतराष्ट्र नाग कोसौंप था। ब्रभुवाहन ने जब धृतराष्ट्र से वह मणि मागी तो उसने देने से इंकारकर दिया। तब धृतराष्ट्र एवं ब्रभुवाहन के बीच भयंकर युद्ध हुआ औरब्रभुवाहन ने धृतराष्ट्र से वह मणि छीन ली। इस मणि के उपयोग से अर्जुनपुनर्जीवित हो गए।
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