03-09-2013, 03:17 PM | #1 |
Diligent Member
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मुक्तक - जिगर मेँ श्वान रखता है
... जिसे भगवान कहते थे बड़ी पहचान रखता है दिखे है फूल के जैसा जिगर मेँ श्वान रखता है तुझे गुमराह जिसने कर दिया विश्वास मेँ लेकर कि कैसे कह दिया तुमने सभी का ध्यान रखता है ... मुक्तक - आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri ... पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्रा- महेशपुर पो- कुबेरस्थान जि- कुशीनगर उत्तर प्रदेश |
03-09-2013, 05:20 PM | #2 | |
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Re: मुक्तक - जिगर मेँ श्वान रखता है
Quote:
बहुत सुन्दर, आकाश जी. चारों ओर व्याप्त भ्रष्टाचार और अनाचार देख कर आस्थाएं किस प्रकार हिल जाती है, आपका यह मुक्तक इसी का एक बढ़िया उदाहरण है. |
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03-09-2013, 05:40 PM | #3 |
VIP Member
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Re: मुक्तक - जिगर मेँ श्वान रखता है
बढ़िया है
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03-09-2013, 08:41 PM | #4 |
Diligent Member
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Re: मुक्तक - जिगर मेँ श्वान रखता है
आदरणीय रजनीश जी! स्नेह देने के लिए हृदय तल से आपका आभार।
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