01-09-2013, 09:50 AM | #1 |
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शहीद दिवस के अवसर पर विशेष
जिस पर अपना सर्वस्व लुटाया, जिसके खातिर प्राण दिए थे। वीर भगत सिंह आज अगर, उस देश की तुम दुर्दशा देखते॥ आँख सजल तुम्हारी होती, प्राणों में कटु विष घुल जाता। पीड़ित जनता की दशा देखकर, ह्रदय विकल व्यथित हो जाता ॥ जहाँ देश के कर्णधार ही, लाशों पर रोटियाँ सेकते। वीर भगत सिंह आज अगर........ तुम जैसे वीर सपूतों ने, निज रक्त से जिसको सींचा था। यह देश तुम्हारे लिए स्वर्ग से सुन्दर एक बगीचा था॥ अपनी आँखों के समक्ष, तुम कैसे जलता इसे देखते । वीर भगत सिंह आज अगर........ जिस स्वाधीन देश का तुमने, देखा था सुन्दर सपना। फांसी के फंदे को चूमा था, करने को साकार कल्पना॥ उसी स्वतन्त्र देश के वासी, आज न्याय की भीख मांगते। वीर भगत सिंह आज अगर........ अपराधी, भ्रष्टों के आगे, असहाय दिख रहा न्यायतंत्र। धनपशु, दबंगों के समक्ष, दम तोड़ रहा है लोकतंत्र। जहाँ देश के रखवालों से, प्राण बचाते लोग घुमते॥ वीर भगत सिंह आज अगर........ साम्राज्यवाद का सिंहासन, भुजबल से तोड़ गिराया था देश के नव युवकों को तुमने, मुक्ति मार्ग दिखाया था॥ जो दीप जलाये थे तुमने, अन्याय की आंधी से बुझते। वीर भगत सिंह आज अगर........ जिधर देखिये उधर आज, हिंसा अपहरण घोटाला है। अन्याय से पीड़ित जनता, भ्रष्टाचार का बोल बाला है॥ लुट रही अस्मिता चौराहे पर, भीष्म पितामह खड़े देखते। वीर भगत सिंह आज अगर........ साम्राज्यवाद के प्रतिनिधि बनकर, देश लुटेरे लूट रहे। बंधुता, एकता, देश प्रेम के बंधन दिन-दिन टूट रहे॥ जनता के सेवक जनता का ही, आज यहाँ पर रक्त चूसते। वीर भगत सिंह आज अगर........ बंधू! आज दुर्गन्ध आ रही, सत्ता के गलियारों से। विधान सभाएं, संसद शोभित अपराधी हत्यारों से। आज विदेशी नहीं, स्वदेशी ही जनता को यहाँ लूटते। वीर भगत सिंह आज अगर........ पूँजीपतियों नेताओं का अब, सत्ता में गठजोड़ यहाँ। किसके साथ माफिया कितने, लगा हुआ है होड़ यहाँ ॥ अत्याचारी अन्यायी, निर्बल जनता की खाल नोचते। वीर भगत सिंह आज अगर........ शहरों, गाँवों की गलियों में, चीखें आज सुनाई देती। अमिट लकीरें चिंता की, माथों पर साफ़ दिखाई देती॥ घुट-घुट कर मरती अबलाओं के, प्रतिदिन यहाँ चिता जलते। वीर भगत सिंह आज अगर........ घायल राम, मूर्छित लक्ष्मण, रावण रण में हुंकार रहा। कंस कृष्ण को, पांडवों को, दुःशासन ललकार रहा॥ जनरल डायर के वंशज, आतंक मचाते यहाँ घूमते। वीर भगत सिंह आज अगर, उस देश की तुम दुर्दशा देखते॥ -मोहम्मद जमील शास्त्री ( सलाहकार लोकसंघर्ष पत्रिका ) शहीद दिवस के अवसर पर भगत सिंह, राजगुरु व सहदेव को लोकसंघर्ष परिवार का शत्-शत् नमन
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01-09-2013, 10:24 AM | #2 |
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Re: शहीद दिवस के अवसर पर विशेष
देश की निरीह जनता का हाहाकार इस कविता में प्रतिध्वनित हो रहा है. कवि को तथा प्रस्तुति के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद, दीपू जी.
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01-09-2013, 11:32 AM | #3 |
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Re: शहीद दिवस के अवसर पर विशेष
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01-09-2013, 11:40 AM | #4 |
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Re: शहीद दिवस के अवसर पर विशेष
नायाब, अद्भुत
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02-09-2013, 04:25 PM | #5 |
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Re: शहीद दिवस के अवसर पर विशेष
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