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27-12-2012, 12:12 PM | #1 |
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महान व्यक्तित्व {Great personality}
महान व्यक्तित्व
_ विज्ञानं _ गणित _खेल _राजनीति _धर्म _समाजसेवा _व्यापार _सिनेमा _शिक्षा _स्वास्थ _साहित्य _ _ _ _ _आदि क्षेत्रो से महान व्यक्तित्वों को समर्पित .........
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! Last edited by bindujain; 27-12-2012 at 12:16 PM. |
27-12-2012, 12:19 PM | #2 |
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Re: महान व्यक्तित्व {Great personality}
महावीर स्वामी जी जैन धर्म के चौंबीसवें तीर्थंकर है। करीब ढाई हजार साल पुरानी बात है। ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहाँ तीसरी संतान के रूप में चैत्र शुक्ल तेरस को वर्द्धमान का जन्म हुआ। यही वर्द्धमान बाद में स्वामी महावीर बना। महावीर को 'वीर', 'अतिवीर' और 'सन्मति' भी कहा जाता है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था। उन्होंने एक लँगोटी तक का परिग्रह नहीं रखा। हिंसा, पशुबलि, जाति-पाँति के भेदभाव जिस युग में बढ़ गए, उसी युग में ही भगवान महावीर ने जन्म लिया। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया। पूरी दुनिया को उपदेश दिए। उन्होंने दुनिया को पंचशील के सिद्धांत बताए। इसके अनुसार- सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय, अहिंसा और क्षमा। उन्होंने अपने कुछ खास उपदेशों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाने की *कोशिश की। अपने अनेक प्रवचनों से दुनिया का सही मार्गदर्शन किया। वर्तमान में वर्तमान अशांत, आतंकी, भ्रष्ट और हिंसक वातावरण में महावीर की अहिंसा ही शांति प्रदान कर सकती है। महावीर की अहिंसा केवल सीधे वध को ही हिंसा नहीं मानती है, अपितु मन में किसी के प्रति बुरा विचार भी हिंसा है। जब मानव का मन ही साफ नहीं होगा तो अहिंसा को स्थानही कहाँ? वर्तमान युग में प्रचलित नारा 'समाजवाद' तब तक सार्थक नहीं होगा जब तक आर्थिक विषमता रहेगी। एक ओर अथाह पैसा, दूसरी ओर अभाव। इस असमानता की खाई को केवल भगवान महावीर का 'अपरिग्रह' का सिद्धांत ही भर सकता है। अपरिग्रह का सिद्धांत कम साधनों में अधिक संतुष्टिपर बल देता है। यह आवश्यकता से ज्यादा रखने की सहमति नहीं देता है। इसलिए सबको मिलेगा और भरपूर मिलेगा। जब अचौर्य की भावना का प्रचार-प्रसार और पालन होगा तो चोरी, लूटमार का भय ही नहीं होगा। सारे जगत में मानसिक और आर्थिक शांति स्थापित होगी। चरित्र और संस्कार के अभाव में सरल, सादगीपूर्ण एवं गरिमामय जीवन जीना दूभर होगा। भगवान महावीर ने हमें अमृत कलश ही नहीं, उसके रसपान का मार्ग भी बताया है।
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27-12-2012, 12:31 PM | #3 |
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Re: महान व्यक्तित्व {Great personality}
स्वामी विवेकानंद : प्रेरक प्रसंग
स्वामी विवेकानंद अमेरिका में भ्रमण कर रहे थे . एक जगह से गुजरते हुए उन्होंने पुल पर खड़े कुछ लड़कों को नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगाते देखा . किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था . तब उन्होंने ने एक लड़के से बन्दूक ली और खुद निशाना लगाने लगे . उन्होंने पहला निशाना लगाया और वो बिलकुल सही लगा ….. फिर एक के बाद एक उन्होंने कुल 12 निशाने लगाये और सभी बिलकुल सटीक लगे . ये देख लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा , ” भला आप ये कैसे कर लेते हैं ?” स्वामी जी बोले , “तुम जो भी कर रहे हो अपना पूरा दिमाग उसी एक काम में लगाओ. अगर तुम निशाना लगा रहे हो तो तम्हारा पूरा ध्यान सिर्फ अपने लक्ष्य पर होना चाहिए. तब तुम कभी चूकोगे नहीं . अगर तुम अपना पाठ पढ़ रहे हो तो सिर्फ पाठ के बारे में सोचो . मेरे देश में बच्चों को ये करना सिखाया जाता है. ”
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27-12-2012, 12:35 PM | #4 |
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Re: महान व्यक्तित्व {Great personality}
स्वामी विवेकानंद :प्रेरक प्रसंग
एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे की तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया. वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे . स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए, और वे उन्हें दौडाने लगे. पास खड़ा एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहा था , उसने स्वामी जी को रोका और बोला , ” रुको ! उनका सामना करो !” स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे , ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए . इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी – ” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत , पलटो और सामना करो.”
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27-12-2012, 12:37 PM | #5 |
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Re: महान व्यक्तित्व {Great personality}
विचार की चोरी
आप अपने विचारों की चोरी की फिक्र न करें। अगर आपका आईडिया वास्तव में काम का है तो विश्वास रखें – उसे लोगों के गले से नीचे उतारने में आपको वास्तव में बहुत मशक्कत करनी होगी। ~ हॉवर्ड आईकेन।
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28-12-2012, 05:24 AM | #6 |
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Re: महान व्यक्तित्व {Great personality}
A.P.J. Abdul Kalam
A.P.J. Abdul Kalam was born in India on October 15, 1931. A lifelong scientist, Kalam's prominent role in India's 1998 nuclear weapons tests established him as a national hero. In 2002, India's ruling National Democratic Alliance helped him win election against the country's former president, Kocheril Raman Narayanan; Kalam became India's 11th president, a largely ceremonial post, in July 2002.
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29-12-2012, 09:59 PM | #7 | |
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Re: महान व्यक्तित्व {Great personality}
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05-01-2013, 08:07 PM | #8 |
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Re: महान व्यक्तित्व {Great personality}
बालक सिद्धार्थ अपने चचेरे भाई के साथ जंगल की ओर निकले। भाई देवदत्त के हाथ में धनुष बाण था। ऊपर उडते एक पक्षी को देख देवदत्त ने बाण साधा और उस पक्षी को घायल कर दिया। पक्षी जैसे ही नीचे गिरा, दोनों भाई उसकी ओर दौडे। सिद्धार्थ पहले पहुंचे और उसे अपनी हथेली में रखकर बाण को बडे प्*यार से निकाला। किसी जडी-बूटी का रस उसके घाव पर लगाकर पानी आदि पिला उसे मृत्*यु से बचा लिया। देवदत्त पक्षी पर अपना अधिकार जमाना चाहता था। उसका कहना था कि मैंने इसे नीचे गिराया है अत: इस पर मेरा अधिकार है। सिद्धार्थ का कथन था कि यह केवल घायल हुआ है, यदि मर जाता तो तुम्*हारा होता। पर, क्*योंकि मैं इसकी सेवा सुश्रुषा कर रहा हूं अत: यह मेरा हुआ। दोनों में जब विवाद बढा तो मामला न्*यायालय तक जा पहुंचा। न्*यायालय ने दोनों के तर्कों को ध्*यान से सुनकर निर्णय दिया कि जीवन उसका होता है जो उसको बचाने का प्रयत्*न करता है। अत: पक्षी सिद्धार्थ का हुआ। बस, यहीं से हुआ बालक सिद्धार्थ का महात्*मा बुद्ध बनने का कार्य प्रारम्*भ।
राजसी ठाट-बाट, नौकर-चाकर, घोड़ा-बग्गी, गर्मी, जाडे व वर्षात के लिए अलग-अलग प्रकार के महल, बडे-बडे उद्यान व सरोवरों में सुन्दर मछलियां पाली गयीं, कमल खिलाये गये। सभी अनुचर व अनुचरी भी युवा व सुन्दर रखे गये। किसी भी बूढ़े, बीमार, सन्यासी व मृतक से उन्हें कोषों दूर रखा गया। यशोधरा नामक एक सुन्दर व आकर्षक युवती से उनका विवाह हुआ। चारों ओर आनन्द ही आनन्द। किन्तु, सारी सुविधाओं से युक्त सिद्धार्थ के मन में तो कुछ और ही पल रहा था। एक दिन वे अपने रथ वाहक के साथ बाहर निकल पड़े। बाहर आने पर उन्होंने पहली बार एक बूढ़े व्यक्ति को देखा जिसके बाल सफेद थे, त्वचा मुरझायी और शुष्क थी, दांत टूटे हुए थे, कमर मुड़ी हुई थी और पसलियां साफ दिखाई दे रहीं थी, आंखे अन्दर धंसी हुई थीं और लाठी के सहारे चल रहा था। शरीर की जीर्ण-शीर्ण अवस्था देख सिद्धार्थ कुछ विचलित हुए। उनके मस्तिष्क में हलचल मची और महल की तरफ वापस चल दिये। दूसरे दिन एक बीमार आदमी तथा तीसरे दिन शव यात्रा तथा चौथे दिन एक सन्यासी को देख सिद्धार्थ के मन का दबा हुआ गूढ़ ज्ञान जाग उठा। वे सोचने लगे ”..तो बुढ़ापे का दुख, बीमारी का कष्ट, फिर मृत्यु का दुख, यही मनुष्य का प्राप्य हैं और यही उसकी नित्य गति है। जीवन दु:ख ही दु:ख है। क्या इस दुख से बचने का कोई उपाय नहीं है? क्या मुझे और उन सबको, जिन्हें मैं प्यार करता हूं, बुढ़ापे, बीमारी और मृत्यु का कष्ट भोगना ही पड़ेगा?” इस सबका उत्तार सोचते-सोचते उन्हें लगा कि ‘एक सन्यासी का जीवन ही शांत व निर्द्वंन्द है। लगता है इस संसार के दु:ख व सुख उसे छू नहीं सकते !’ उसी क्षण उन्होंने नि”चय किया कि मैं भी सन्यास ग्रहण करूंगा तथा संसार त्याग कर दुख से मुक्ति पाने का मार्ग ढूढ़ूंगा। यह तय करने के तुरन्त बाद ही महल से उनके पिता राजाशूद्धोधन ने संदेश भिजवाया कि उन्हें (सिद्धार्थ) को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई है। पुत्र प्राप्ति का मोह भी उन्हें उनके मार्ग से डिगा न सका। वे सब कुछ छोड़कर कपिलवस्तु से विदा हो लिए। उन्होंने सत्य, अहिंसा, त्याग, बलिदान, करूणा और देश सेवा का जो पाठ पढ़ाया वह जग जाहिर है। पूरे विश्*व की रग-रग में महात्मा बुद्ध की शिक्षाएं समायी हुई हैं। ऐसे महान संत महात्मा बुद्ध को उनकी जयन्ती पर शत-शत नमन्।
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06-01-2013, 09:49 AM | #9 | |
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Re: महान व्यक्तित्व {Great personality}
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06-01-2013, 09:51 AM | #10 |
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Re: महान व्यक्तित्व {Great personality}
श्रीनिवास रामानुजन्
श्रीनिवास रामानुजन् इयंगर (तमिल ஸ்ரீனிவாஸ ராமானுஜன் ஐயங்கார்) (22 दिसम्बर, 1887 – 26 अप्रैल, 1920) एक महान भारतीय गणितज्ञ थे। इन्हें आधुनिक काल के महानतम गणित विचारकों में गिना जाता है। इन्हें गणित में कोई विशेष प्रशिक्षण नहीं मिला, फिर भी इन्होंने विश्लेषण एवं संख्या सिद्धांत के क्षेत्रों में गहन योगदान दिए। इन्होंने अपने प्रतिभा और लगन से न केवल गणित के क्षेत्र में अद्भुत अविष्कार किए वरन भारत को अतुलनीय गौरव भी प्रदान किया। ये बचपन से ही विलक्षण प्रतिभावान थे। इन्होंने खुद से गणित सीखा और अपने जीवनभर में गणित के 3,884 प्रमेयों का संकलन किया। इनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किये जा चुके हैं। इन्होंने गणित के सहज ज्ञान और बीजगणित प्रकलन की अद्वितीय प्रतिभा के बल पर बहुत से मौलिक और अपारम्परिक परिणाम निकाले जिनसे प्रेरित शोध आज तक हो रहा है, यद्यपि इनकी कुछ खोजों को गणित मुख्यधारा में अब तक नहीं अपनाया गया है। हाल में इनके सूत्रों को क्रिस्टल-विज्ञान में प्रयुक्त किया गया है। इनके कार्य से प्रभावित गणित के क्षेत्रों में हो रहे काम के लिये रामानुजन जर्नल की स्थापना की गई है।
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