15-12-2017, 04:17 PM | #1 |
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निराशा ... आशा
जिस प्रकार कमजोर नीव पर ऊँचा मकान खड़ा नहीं किया जा सकता ठीक इसी प्रकार यदि विचारो में उदासीनता, नैराश्य अथवा कमजोरी हो तो जीवन की गति कभी भी उच्चता की ओर नहीं हो सकती। निराशा का अर्थ ही लड़ने से पहले हार स्वीकार कर लेना है और एक बात याद रख लेना निराश जीवन मे कभी भी हास्य (प्रसन्नता) का प्रवेश नही हो सकता और जिस जीवन में हास्य ही नहीं उसका विकास कैसे संभव हो सकता है ? जीवन रूपी महल में उदासीनता और नैराश्य ऐसी दो कच्ची ईटें हैं, जो कभी भी इसे ढहने अथवा तबाह करने के लिए पर्याप्त हैं। अतः आत्मबल रूपी ईट जितनी मजबूत होगी जीवन रूपी महल को भी उतनी ही भव्यता व उच्चता प्रदान की जा सकेगी। |
15-12-2017, 05:57 PM | #2 | |
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Re: निराशा ... आशा
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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18-12-2017, 01:37 AM | #3 | |
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Re: निराशा ... आशा
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जी भाई हमारी जिंदगी हमें सिखलाते रहती है पर चिंताओं में हम इंसान धीरज खो देते हैं और सुख और खुशियों को हम अटल मान लेते हैं जबकि इस जीवन में कुछ भी नहीं टिकता न सुख न दुःख समय के साथ सब बदलते रहता है |
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