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Old 05-04-2012, 01:06 AM   #441
Dark Saint Alaick
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Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

लड़कियों की अपेक्षा लड़के ज्यादा होते हैं मंदबुद्धि

लखनऊ। अगर बच्चा एक साल की उम्र तक नहीं बोले या फिर अर्थपूर्ण इशारे न करे, सोलह महीने की आयु तक कोई शब्द नहीं कहे, नाम पुकारने पर ध्यान न दे और उसके भाषा के प्रयोग तथा सामाजिक व्यवहार में कमी दिखे, तो तत्काल डाक्टर को दिखाकर उसका इलाज कराना चाहिए, क्योंकि ये सब बच्चों को होने वाली आटिज्म बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इससे बच्चा मंदबुद्धि का होता है और उसकी सामान्य क्रियाएं ठीक नहीं होती। इसका शीघ्र उपचार विशिष्ट शिक्षा और पारिवारिक सहयोग से ही इलाज संभव है। मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि आटिज्म से ग्रस्त लोग अपनी ही दुनिया में खोए हुए अलग-थलग, विरक्त से रहते हैं। ये अन्य लोगों के साथ भावनात्मक संबंध बनाए रखने में भी असमर्थ होते हैं। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि बच्चों में होने वाला यह रोग लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में चार-पांच गुना ज्यादा पाया जाता है। इससे ग्रस्त बच्चे सामान्य तौर पर विकसित नहीं हो पाते। अधिकांश मामलों में इस बीमारी का सही उपचार भी समय रहते शुरू नहीं हो पाता। उन्होंने बताया कि यह एक तरह की मानसिक बीमारी है, जिसमें मुख्यत: बातचीत करने तथा परिवेश में उचित प्रतिक्रिया करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसका न तो खून की जांच से पता लगाया जा सकता है और न ही एमआरआई या सीटी स्कैन से। डॉक्टर की कुशलता से ही बीमारी की पहचान संभव है। सिर्फ बच्चे के हाव-भाव से ही इस बीमारी को पहचाना जा सकता है। व्यावहारिक प्रशिक्षण ही इसका मुख्य इलाज है। इस बीमारी की पहचान के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने आटिज्म डायग्नोस्टिक स्केल तय किया था। पूरे देश में इसी के आधार पर बच्चों में आटिज्म का परीक्षण किया जाता है। आजीवन रहने वाली इस बीमारी का दवा से इलाज कम ही संभव है। आटिज्म पीडित बच्चों के लिए व्यावहारिक प्रशिक्षण ही मुख्य इलाज है। हालांकि ऐसे बच्चों के लिए स्कूल काफी कम हैं। सरकार ने इनके लिए बचपन स्कूल खोला था, लेकिन यह प्रयोग सफल नहीं हुआ। कुछ लोग निजी स्तर पर आटिज्म पीडित बच्चों को प्रशिक्षण देने का कार्य कर रहे हैं। एक बच्चे को ठीक करने में मिली सफलता पर उन्होंने बताया कि इस बीमारी के मात्र कुछ ही मामले पूरी तरह से ठीक हो पाए हैं। इनमें लखनऊ के छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्वविद्यालय के मानसिक रोग विभाग में आया एक बच्चा भी था, जिसके बारे में इंडियन जनरल आफ साइकियाट्रिक में भी प्रकाशित किया गया था।
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Old 05-04-2012, 01:07 AM   #442
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Default Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें

लंबाई से भी गर्भाशय कैंसर का लेना-देना

लंदन। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि महिलाओें को गर्भाशय कैंसर होने का खतरा उनके कद से भी संबंधित है। आक्सफोर्ड विवि में हुए एक शोध में कहा गया है कि लंबे कद वाली महिलाओं को कैंसर होने की ज्यादा संभावना रहती है। शोध के लिए इन वैज्ञानिकों ने दुनियाभर से इकट्ठे किए आंकडों का अध्ययन किया। उन्होंने 14 देशों से 25000 गर्भाशय कैंसर से पीड़ित महिलाओं पर भी शोध किया। दल का नेतृत्व करने वाली प्रो. वैलेरी बेरल ने बीबीसी से कहा कि सभी तथ्यों को देख कर हम यह सकते हैं कि ऊंचा कद होना भी गर्भाशय कैंसर के पनपने का संकेत हो सकता है। साथ ही मोटापे से भी इसको जोड़ कर देखा जाना चाहिए। कैंसर शोध संस्थान की स्वास्थ अधिकारी सारा विलियम्स ने बताया कि इस अध्ययन से महिलाओं में गर्भाशय कैंसर के खतरे की साफ तस्वीर पैदा होती है और यह भी पता चलता है कि शरीर के आकार से भी लेना-देना है। इस अध्ययन को ‘पीएलओएस मेडिसिन’ जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
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Old 05-04-2012, 01:07 AM   #443
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विकसित की नारियल की नई प्रजाति

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के कृषि अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद की गई नारियल की नई प्रजाति बस्तर केरा की गुणवत्ता को शुद्ध बनाए रखने के लिए नारियल विकास बोर्ड कोचीन की मदद से यहा के वैज्ञानिकों ने तमिलनाडु के अलिया नगर व महाराष्ट्र के रत्नागिरी में इस प्रजाति के 500 नारियल बीज तैयार किए हैं। बस्तर में केरा नारियल वातावरण के अनुकूल होने के साथ इसकी पैदावार भी अधिक है। इस पर अन्य राज्यों में निरीक्षण चल रहा है। सीडीबी कोचिन ने इस योजना के लिए एक जेआरएफ के साथ ही 70 हजार रुपए प्रति वर्ष देने की बात कही थी। कोडगांव स्थित नारियल विकास बोर्ड के सौ एकड़ के प्लांट में जगह नहीं होने के चलते इसे यहां अब नहीं रखा जा रहा है, लेकिन पर्याप्त स्थान नहीं होने के चलते शोध में जुटे वैज्ञानिक अब नई जगह की तलाश में जुटे हुए हैं। नारियल बीज की मांग कर रहे किसानों को 30-30 नग वितरित किए जा रहे हैं, जिन्हें रोपने का काम जून के पहले सप्ताह से शुरूकिया जाएगा। अधिष्ठाता डॉ. एस.एस. राव ने बताया कि सीडीबी ने जगह नहीं होने की बात कही है। फिलहाल बीज हमारे पास हैं और इन्हें किसानों को रोपने के लिए दिया जा रहा है।
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Old 05-04-2012, 01:09 AM   #444
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वैज्ञानिकों ने बनाई अत्यंत सूक्ष्म लेजर

वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने दुनिया की सबसे पहली अत्यंत सूक्ष्म लेजर बना ली है। यह लेजर बहुत ही तेज है जो चिकित्सा और गणना के क्षेत्र में बहुत मदद कर सकेगी। सिडनी यूनिवर्सिटी के भौतिकी विभाग के प्रोफेसरों द्वारा किया गया यह शोध ‘नेचर कम्यूनिकेशन्स’ में प्रकाशित किया गया है। दल का नेतृत्व करने वाले डॉ. डैविड मॉस ने कहा कि हमारी इस नई लेजर से सूक्ष्मता, उच्च गणना की नई संभावनाएं सामने आई हैं। यह पहली बार हुआ है, जब हमने लेजर में सूक्ष्म सर्किट का इस्तेमाल किया है। ऐसा करने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक प्रयास कर रहे थे। मॉस ने बताया कि अनेक वैज्ञानिकों ने इस पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं, पर यह पहली सफलता है। इस का इस्तेमाल गणना, मापन, चिकित्सा और कई पदार्थों के प्रक्रमण में हो सकेगा।
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Old 05-04-2012, 09:41 PM   #445
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आर्थराइटिस के इलाज में धनिया उपयोगी

नई दिल्ली। एम्स में हुए एक नए अध्ययन से सामने आया है कि भोजन में प्रमुखता से इस्तेमाल होने वाला धनिया आर्थराइटिस के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है और इससे जोड़ों के सूजन में कमी आती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में फार्माकोलाजी विभाग के प्रमुख डॉ. वाई के गुप्ता के अनुसार धनिया से जोड़ों के सूजन में कमी होती है और इससे वैसे जैव रयासनों के स्राव पर रोक लगती है जिससे शरीर में ऐसी सूजन होती है। आर्थराइटिस रोग में जोड़ों और उसकेआसपास के उतकों में सूजन हो जाती है। इससे अन्य अंग भी प्रभावित हो सकते हैं। लंबे समय तक बने रहने वाले इस रोग की शुरूआत आम तौर पर 30 से 60 साल की उम्र में होती है। पुरूषों में यह अक्सर देर से होता है। कई बार युवकों में भी इस रोग के लक्षण देखे जाते हैं। इस रोग के लक्षणों में सुबह शरीर में जकड़न शामिल है जो घंटा भर से भी ज्यादा समय तक बनी रहती है। इसमें जोड़ों में सूजन आ जाती है और कई बार स्थिर रहने से समस्या बढ़ जाती है। एम्स के इसी विभाग में प्राध्यापक डा सुरेद्र्र सिंह ने कहा कि आयुर्वेद, यूनानी जैसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में धनिया के गुणों का जिक्र देखते हुए यह प्रयोग किया गया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक रूप से कही जा रही बातों के वैज्ञानिक मूल्यांकन के लिए यह अध्ययन किया गया। उन्होंने कहा कि दो साल तक चले अध्ययन से पता लगा कि यह पशुओं पर काफी प्रभावी है। पशुओं और मानव समस्याओं में समानता को देखते हुए हमारा मानना है कि यह अध्ययन आर्थराइटिस के इलाज के लिए धनिया के पारंपरिक उपयोग को उचित ठहराता है। इस अध्ययन के लिए भारतीय चिकित्सा शोध परिषद ने वित्त पोषण किया और इसे प्रतिष्ठित इंडियन जर्नल आफ मेडिकल रिसर्च में प्रकाशित किया जा रहा है।
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Old 05-04-2012, 09:46 PM   #446
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प्रदूषण से लड़ने के लिए तुलसी के पौधे को वृक्ष जितना बढ़ाएं

नागपुर। प्रदूषण से लड़ने के लिए तुलसी के विशेष गुणों के मद्दे-नजर वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इसका आकार बढ़ाकर सामान्य पेड़ जितना कर दिया जाए तो इससे प्रदूषण नियंत्रण और स्वास्थ्य लाभ में सहयोग मिलेगा। राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियर अनुसंधान संस्थान (नीरी) के निदेशक डा. सतीश वाटे ने इस सम्बंध में यहां दादा धाम द्वारा आयोजित जागरूकता अभियान कार्यक्रम के इतर यह सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि तुलसी की पत्तियां वातावरण से कार्बन डाईआक्साइड जैसे प्रदूषक तत्वों को सोंखकर उन्हें गैर घातक तत्वों में तोड़ देती हैं और इस प्रक्रिया में प्रचुर मात्रा में आक्सीजन गैस छोड़ती है। उन्होंने बताया कि तुलसी में मौजूद विशेष एंजाइम साइक्लो आक्सीजेनास की वजह से तुलसी के पौधे एक दिन में 20 घंटे आक्सीजन और चार घंटे ओजोन का निर्माण करते हैं। डा. वाटे ने बताया कि उत्तर प्रदेश वन विभाग ने वैज्ञानिकों के सहयोग से आगरा स्थित ताजमहल के चारों ओर तुलसी के लाखों पौधे लगाए हैं ताकि ताजमहल को उद्योंगों से निकलने वाले प्रदूषक तत्वों से बचाया जा सके। उन्होंने बताया कि इस प्रयोग के अच्छे नतीजे भी सामने आए हैं। आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. दत्तात्रेय सराफ के अनुसार ग्लोबल वार्मिग, रोडियोधर्मी विकिरण, बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू तथा अन्य कई श्वास सम्बंधी बीमारियों के लिए तुलसी अत्यंत प्रभावशाली समाधान है।
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इंटरनेट पर दर्ज होगी गौरैया की घटती हुई संख्या

कोलकाता। बंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) ने देशभर में गौरैयों की संख्या में आ रही कमी को दर्ज करने के लिए एक आनलाइन सर्वेक्षण जारी कर लोगों से जानकारी मांगी है। बीएनएचएस के विशेष पक्षी क्षेत्र कार्यक्रम के प्रमुख डॉ. राजू कसांबे ने बताया, ‘‘इस पक्षी की वर्तमान स्थिति के बारे में शीघ्र जानकारी की जरूरत है। अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी वाला नागरिक विज्ञान कार्यक्रम ही पूरे देश के स्तर पर इस पक्षी से जुड़ी जानकारी एकत्र करने में मददगार हो सकता है।’’ ‘सिटिजन स्पैरो’ नाम का यह सर्वेक्षण डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डॉट सिटिजनस्पैरो डॉट इन पर उपलब्ध है। इस सर्वेक्षण के जरिए कोई भी व्यक्ति गौरैया से जुड़ी पुरानी या वर्तमान जानकारी दे सकता है। ‘नेचर कंजरवेशन फाउंडेशन’ के डॉ. सुहेल कादिर ने बताया कि इस सर्वेक्षण के जरिए लोगों के पास मौजूद गौरैया से संबंधित जानकारी को एक जगह इकट्ठा करने का प्रयास किया जा रहा है।
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Old 05-04-2012, 09:49 PM   #448
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हल्के-फुल्के व्यायाम में भी जिम जाने का फायदा

वाशिंगटन। शारीरिक तौर पर चुस्त दुरूस्त बने रहने की लालसा के बावजूद यदि आप जिम नहीं जा पाते हों तो अफसोस की बात नहीं। नए शोध पर यकीन करें तो आप कम समय तक लगातार हल्का-फुल्का कसरत करते हैं तो इसका भी उतना ही फल आपको मिलेगा। कनाडा के ओंटारिया में क्वींस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कहा है कि कठिन व्यायाम करने वालों की तुलना में जो उस तरह से मेहनत नहीं कर पाते हैं उनमें मेटाबोलिक सिंड्रोम का जोखिम कम हो जाता है। और तो और कैलोरी भी उतनी ही खपत होगी जितना आपका कठिन व्यायाम में खत्म होता है। कठिन व्यायाम में दौड़ना, कूदना आदि शामिल है और इसी तरह के व्यायाम का फायदा आपको लगातार टहलने और इत्मीनान से बाइक की सवारी जैसी गतिविधियों में भी मिलता है। ‘मेटाबोलिक सिंड्रोम’ वाले लोगों की कमर के चर्बीदार होने की आशंका रहती है और रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित रखने में कठिनाई आती है।
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कैंसर से लड़ेगी मधुमेह की दवा

वाशिंगटन। खास किस्म के मधुमेह रोग के उपचार में इस्तेमाल की जाने वाली दवा कैंसर से निपटने में भी मददगार हो सकती है। नए अनुसंधान में पता चला है कि दवा के कारण प्रोस्टेट और प्राइमरी लीवर कैंसर ट्यूमर का विकास भी कम होने लगता है। शिकागो में ‘अमेरिकन एसोसिएशन फोर कैंसर रिसर्च’ की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत प्राथमिक अध्ययन के परिणामों से पता चला है कि ‘मेटफोरमिन’ प्रोस्टेट कैंसर ट्यूमर में वृद्धि को कम कर देता है। इस अध्ययन में प्रोस्टेट कैंसर से जूझ रहे कुल 22 लोगों को शामिल किया गया। इन लोगों का ट्यूमर निकाला जाना था। प्रोस्टेट को हटाए जाने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को मधुमेह की दवा दी गयी थी उनमें ट्यूमर बढोतरी की रफ्तार कम होने लगी बनिस्बत उन लोगों के जिन्हें यह दवा नहीं दी गयी थी। परिणाम के बाद इस बात की संभावना बढ गयी है कि मधुमेह की दवा कैंसर के निदान में कुछ हद तक कारगर हो सकती है।
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फिर तैयार किया गया इंसानी शरीर के बायो क्लॉक का खाका

लंदन। वैज्ञानिकों ने इंसानी शरीर के बायो क्लॉक का खाका एक बार फिर तैयार किया है। नए खाके की बाबत वैज्ञानिकों का दावा है कि इससे नींद से जुड़ी समस्याओं और मधुमेह सहित हर तरह के मेटाबोलिक विकारों के इलाज के लिए नई दवाएं पेश करने की राह खुल सकती है। नेचर पत्रिका के मुताबिक साक इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज की अगुवाई वाली एक अंतरराष्ट्रीय टीम की ओर से बायो क्लॉक में एक बड़े गियर का पता लगाने के बाद ऐसा मुमकिन हो सका। वैज्ञानिकों ने दिखाया कि चूहे की कोशिकाओं के नाभिक में पाए गए आरईवी-ईआरबी और आरईवी-ईआरबी नाम के दो कोशिकीय स्विच सामान्य नींद और खाना खाने का चक्र बरकरार रखने के लिए जरूरी है। खाद्य पदार्थों से पोषक तत्वों के चयापचय के लिए भी यह जरूरी है। शोध के नतीजे सिरकाडियन लय और चयापचयता के बीच मजबूत संबंध बारे में भी बताते हैं और दोनों प्रणालियों से जुड़ी अव्यवस्था से निजात पाने के लिए नई राह भी सुझाते हैं।
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