24-08-2013, 08:58 PM | #411 |
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Re: रोचक समाचार
यहां के पुजारी का कहना है कि यह मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है। यहां स्थित माता की मूर्ति बड़ी ही चमत्कारी है। पुजारी का दावा है कि यह मूर्ति मदिरापान करती है। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां मां के चमत्कारी रूप के दर्शन करने और माँ से अपनी मुराद मांगने आते हैं। |
24-08-2013, 08:58 PM | #412 |
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Re: रोचक समाचार
मंदिर के ऊंची टेकरी पर स्थित होने के कारण यहां तक पहुंचने के लिए भक्तों को पैदल ही चढ़ाई करनी पड़ती है। |
24-08-2013, 09:01 PM | #413 |
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Re: रोचक समाचार
सबसे प्राचीन सूर्य मंदिर
इंदौर। समूचे देश में आपको विभिन्न देवी देवताओं के मंदिर मिलेंगे, लेकिन सूर्य मंदिर बहुत कम मिलेंगे। देश में कुछ स्थल ऐसे हैं जो अपने शानदार शिल्प और सूर्य मंदिरों के लिए ही जाने जाते हैं मगर यह बात कम ही लोग जानते हैं कि विश्व के अतिप्राचीन सूर्य मंदिरों में से एक मंदिर इस शहर में भी स्थापित है। इस शहर के बारे में एक और खास बात है, वो यह कि यहां राजा रात नहीं बिताते। राजाओं को डर था कि यदि उन्होंने एक रात यहां बिताई तो उनसे उनका राज-पाठ छिन जाएगा। |
24-08-2013, 09:02 PM | #414 |
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Re: रोचक समाचार
इसी सूर्य अर्थात कालप्रिय देव के मंदिर को कालांतर में कालियादेह कहा गया। बाद में इसमें अनेक राजाओं और सुल्तानों ने अपने अनुसार निर्माण करवाया और इसे कालियादेह महल के नाम से पहचाना जाने लगा। |
24-08-2013, 09:02 PM | #415 |
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Re: रोचक समाचार
यह भगवान महाकालेश्वर के नगर उज्जैन के बाहरी क्षेत्र भैरवगढ़ से करीब 3 मील दूर उत्तर क्षेत्र में स्थित है। इस क्षेत्र को आज भी ध्यान से देखने पर सूर्य मंदिर के अतिप्राचीन अवशेष दिखलाई पड़ते हैं। यह स्थल अत्यंत ही रमणीय है। बारिश के समय यहां के प्राकृतिक सौंदर्य की छटा ही कुछ अलग होती है। |
24-08-2013, 09:03 PM | #416 |
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Re: रोचक समाचार
इस स्थापत्य के समीप शिप्रा दो भागों में ऐसे विभक्त हो जाती है जैसे शिप्रा ने इस राजप्रासाद को अपनी बाहों में समेट रखा हो। दरअसल यहां से शिप्रा को नहर रूप में निकालकर एक द्वीप पर राजप्रासाद बनाया गया। |
24-08-2013, 09:03 PM | #417 |
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Re: रोचक समाचार
उज्जैन और इससे एक पुरानी किंवदंती जुड़ी हुई है कि उज्जैन के एक ही राजा है और वो हैं महाकाल। यहां मान्यता है कि महाकाल के अलावा यदि किसी दूसरे राजा ने उज्जैन में एक रात भी गुजारी तो उसका संपूर्ण राजपाट समाप्त हो जाएगा। इसी किवदंती के कारण सिंधिया राजघराने के राजाओं ने अपने रहने के लिए उज्जैन की सीमा के बाहर कालियादेह पैलेस का पुनर्निमाण करवाया था। |
24-08-2013, 09:03 PM | #418 |
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Re: रोचक समाचार
नासिर ने दिया महल का रूप इतिहासविदों का मानना है कि तवारीख शाही के अनुसार 1418 ईं में नसीरुद्दीन खिलजी ने इस स्थान को महल का स्वरूप प्रदान किया। शिप्रा की नहर से सेतु, कुंड, निर्झर, छतरियों और बड़े बड़े स्नानागार बनाए गए। यह स्थान इतना सुंदर है कि शेरशाह सूरी, अकबर, जहांगीर यहां आकर सुकून का अनुभव करते थे। यहां की दीवारों पर इन सम्राटों के लेख भी उत्कीर्ण हैं। तुजुक जहांगीरी में तो इसका वर्णन भी पाया जाता है। इस कालियादेह महल का गुंबद पारसी वास्तुकला का उदाहरण है। |
24-08-2013, 09:04 PM | #419 |
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Re: रोचक समाचार
राजा-महाराजाओं के काल में सिंधिया घराने के राजा ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से आने वाले राजा या उंचे ओहदेदार भी अवंतिका (उज्जैन का पुराना नाम) में रात नहीं बिताते थे। कहा जाता है जब से उज्जैन शहर पर सिंधिया घराने की राजशाही काबिज हुई तब ही से यहां राजाओं ने रात नहीं बिताई। |
24-08-2013, 09:04 PM | #420 |
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Re: रोचक समाचार
मराठों के शासनकाल में इस क्षेत्र में पुर्ननिर्माण किया गया। जिसमें महल और अन्य शिल्पों पर भी जीर्णोद्धार कार्य किया गया। राजमाता स्व. विजयाराजे सिंधिया ने यहां फिर से सूर्य मंदिर की प्रतिष्ठा की। |
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