09-10-2013, 09:01 PM | #491 |
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Re: रोचक समाचार
1- सिद्धपीठ विंध्याचल आदिकाल से ऋषि मुनियों का साधना स्थल रहा है। पृथ्वी के केंद्र बिंदु पर विराजमान आदि शक्ति के धाम में देव दानव व मानवों ने तपस्या कर सिद्धि प्राप्त की है। देवासुर संग्राम के दौरान त्रिदेवों ने तप कर देवी से वरदान प्राप्त किया था। आज भी देवी के गर्भ गृह से निकलने वाले जल से भरे कुण्ड में ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश तपस्या कर रहे हैं। |
09-10-2013, 09:01 PM | #492 |
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Re: रोचक समाचार
2- भगवान सूर्य की परिक्रमा को रोकने वाले विंध्य पर्वत की हजारों किलोमीटर की विशाल श्रृंखला में विंध्य पर्वत एवं पतित पावनी गंगा का संगम इस क्षेत्र में होता है। |
09-10-2013, 09:02 PM | #493 |
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Re: रोचक समाचार
3- वास्तुशास्त्र के अनुसार ईशान कोण धर्म का स्थान है। धरा के मध्य एवं विंध्य पर्वत के ईशान कोण पर आदि शक्ति लक्ष्मी स्वरुपा माता विंध्यवासिनी स्वर्ण कमल पर विराजमान होकर भक्तों का कल्याण कर रही है। |
09-10-2013, 09:02 PM | #494 |
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4- धरा के मध्य केंद्र बिन्दु पर विराजमान माता विंध्यवासिनी के धाम से ही भारतीय मानक समय का निर्धारण होता है। माता विंध्यवासिनी को बिन्दुवासिनी भी कहा जाता है। |
09-10-2013, 09:03 PM | #495 |
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5- धरती के अन्य स्थानों पर शिव प्रिय सती का एक-एक अंग जहां गिरा वह शक्तिपीठ कहा जाता है। जबकि विंध्य धाम में आदि शक्ति सम्पूर्ण अंगो के साथ विराजमान हैं, इसलिए विंध्य धाम को सिद्धपीठ कहा गया है। |
09-10-2013, 09:03 PM | #496 |
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Re: रोचक समाचार
6- शक्ति संतुलन करने वाली विंध्यवासिनी देवी के स्वर्ण पताका पर प्रकाश बिखेरने वाले भगवान सूर्य एवं शीतलता प्रदान करने वाले भगवन चन्द्रदेव एक साथ विराजमान हैं। |
09-10-2013, 09:04 PM | #497 |
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Re: रोचक समाचार
7- विंध्य क्षेत्र में आदि शक्ति सत, रज, तम गुणों से युक्त महाकाली (कालीखोह), महालक्ष्मी (विंध्यवासिनी), महासरस्वती (अष्टभुजा) तीनों रूप में विराजमान हैं। आदि शक्ति को घंटे की ध्वनि अति प्रिय है। इसलिये यह तंत्र साधना का अद्भुत पीठ हैं। भक्तों के कल्याण के लिए मां चार रूपों में चारो दिशाओं में मुंह करके माता विंध्यवासिनी, माता काली, माता अष्टभुजा व मां तारा के रूप में विराजमान हैं। |
09-10-2013, 09:04 PM | #498 |
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Re: रोचक समाचार
8- आदि शक्ति माता विंध्यवासिनी के हजारवें अंश से माता अष्टभुजा का अवतरण हुआ। मार्कंडेय पुराण में देवताओं के प्रश्नों का उत्तर देते हुए देवी ने कहा है कि "नंदगोप गृहे जाता यशोदा गर्भ संभवा, ततस्तौ नाशयिश्यामी विन्ध्याचल निवासिनी" कंस के विनाश को माता का अवतरण हुआ है। |
09-10-2013, 09:10 PM | #499 |
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Re: रोचक समाचार
9- तीनो लोक में विंध्य क्षेत्र की महिमा अपरम्पार है। पुराणों में कहा गया है कि "विंध्य क्षेत्र परम दिव्य नास्ति ब्रह्माण्ड गोलके"। विंध्य क्षेत्र जैसा पावन स्थल पूरे ब्रह्माण्ड में कहीं नहीं है। विंध्य पर्वत पर देवी के दूत लंगुरों के साथ ही जंगल में पशु पक्षी विचरण करते हैं। |
09-10-2013, 09:11 PM | #500 |
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Re: रोचक समाचार
10- विंध्य क्षेत्र का त्रिकोण ताड़कासुर द्वारा स्थापित तारकेश्वर महादेव मंदिर से आरम्भ होता है। इस स्थान पर भगवान विष्णु ने हजारों साल तक तप कर सुदर्शन चक्र प्राप्त किया था। माता लक्ष्मी ने सदाशिव की आराधना कर अपने स्तन को काट कर अर्पित कर दिया था। शिव के प्रसन्न होने पर बेल वृक्ष की उत्पत्ति विंध्य क्षेत्र में हुई। देवी लक्ष्मी के नाम पर मीरजापुर बसा है। "मीर" का अर्थ समुद्र "जा" अर्थात पुत्री और पुर का मतलब नगरी। इस प्रकार मीरजापुर का शाब्दिक अर्थ हुआ लक्ष्मी की नगरी। |
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