30-10-2011, 08:57 AM | #1 |
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एक अनोखी सीख
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
Last edited by Sikandar_Khan; 30-10-2011 at 09:41 AM. |
30-10-2011, 08:59 AM | #2 |
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Re: एक अनोखी सीख
किसी बडी कंपनी मे मैनेजर की पोस्ट के लिये साक्षात्कार हो रहा था और उसमे एक ऐसा युवक भी शामिल था जिसका अकेदमीक रिकार्ड बहुत ही शानदार था , और वो कभी भी किसी भी परीक्षा मे खराब नंबर नहीं लाया था |
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Last edited by Sikandar_Khan; 02-11-2011 at 06:17 PM. Reason: edit |
30-10-2011, 09:01 AM | #3 |
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Re: एक अनोखी सीख
उसने अपने पहले साक्षात्कार को पास कर लिया था और अब उसका अन्तिम साक्षात्कार होना बाकी था जिसे उस कंपनी के डॉयरेक्टर ने लेना था। डॉयरेक्टर ने उसके सीवी मे देखा कि इस युवक ने अपने सेकेंडरी से लेकर पोस्ट ग्रजुएशन तक कभी भी कोई भी ऐसी परीक्षा नहीं थी जब उसने अच्छे मार्क्स नहीं हासिल किए होँ |
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Last edited by Sikandar_Khan; 02-11-2011 at 06:15 PM. Reason: edit |
30-10-2011, 09:04 AM | #4 |
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Re: एक अनोखी सीख
उसने उस युवक से प्रश्न किया कि क्या तुमने अपने स्कूल मे स्कॉलरशिप पायी थी ?
उसने उत्तर दिया कि नहीं. डॉयरेक्टर ने फिर प्रश्न किया कि तुम्हारी स्कूल की फ़ीस क्या तुम्हारे पिता ने दी है ? युवक ने उत्तर दिया कि मेरे पिता क देहान्त उस समय हो गया था जब मै केवल 1 वर्ष का ही था, मेरी माँ ने मेरी आज तक की फ़ीस भरी है, डॉयरेक्टर ने उस से प्रश्न किया कि तुम्हारी माता जी क्या करती है? उसने बताया कि वो कपडे धोने क काम करतीं हैं |
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Last edited by Sikandar_Khan; 02-11-2011 at 06:13 PM. Reason: edit |
30-10-2011, 09:06 AM | #5 |
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Re: एक अनोखी सीख
डॉयरेक्टर ने उस युवक से उसका हाथ दिखाने के लिये कहा जब उसने अपना हाथ दिखाया तो उसका हाथ बडा ही चिकना और बिना किसी चोट या खरोंच के था, डॉयरेक्टर ने उस युवक से प्रश्न किया कि क्या उसने कभी अपनी माँ की सहायता कपडे धोने मे की है? उसने कहा कि उसकी माँ उसे ऐसा कभी करने नहीं देती बल्कि वो चाहती है कि वो अपना सारा समय पढ़ाई मे लगाऊँ ताकि अच्छे मार्क्स ला सकूँ और इसके अतिरिक्त उसकी माँ उस से अधिक तेज कपडे धोती है |
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Last edited by Sikandar_Khan; 02-11-2011 at 06:11 PM. Reason: edit |
30-10-2011, 09:08 AM | #6 |
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Re: एक अनोखी सीख
डॉयरेक्टर ने उस युवक से कहा कि मेरी तुमसे एक प्रार्थना है कि तुम जाकर आज अपनी माँ के हाथों को धो और कल मुझ से आकर मिलो |
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Last edited by Sikandar_Khan; 02-11-2011 at 06:08 PM. Reason: edit |
30-10-2011, 09:14 AM | #7 |
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Re: एक अनोखी सीख
युवक जब अपने घर गया और अपनी माँ से कहा कि के उसे आज अपना हाथ धोने दे, माँ को बड़ा आश्चर्य हुआ पर उसने इन्कार नहीं किया|वो युवक अपनी माँ के हाथ धीरे धीरे धोने लगा, ये देख कर के उसके माँ के हाथ कितने झुर्रिओ भरे और कटे फटे हैं, उन्मे कितने घाव है युवक के आँखों से आंसू निकल पडे, उसने आज तक इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया था कि उसकी माँ उसके लिये क्या क्या कष्ट उठाती है, उन घावो मे कुछ घाव तो ऐसे थे कि जब वो उन्हे धो रहा था तो माँ कि कराह निकल पड़ी थी , जिन्हे देख और सुन कर युवक के आंसू नही थम रहे थे |
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Last edited by Sikandar_Khan; 02-11-2011 at 06:07 PM. Reason: edit |
30-10-2011, 09:17 AM | #8 |
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Re: एक अनोखी सीख
उस समय पहली बार युवक ने महसूस किया कि ये वो हाथ है जिन्होंने उसकी पढ़ाई के लिये सारा दिन मेहनत कि है और कपडे धो धो कर आज तक उसे हर परीक्षा मे पास करवाया है, आज उसके पास जो डिग्री है इन्ही हाथोँ के कारण है |अपनी माँ के हाथों को धोने के बाद युवक ने जो कपडे धोने के लिए रखे थे उन्हे धोए | उस रात माँ बेटे बहुत देर तक ढेर सारी बातें करते रहे |
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Last edited by Sikandar_Khan; 02-11-2011 at 05:51 PM. Reason: edit |
30-10-2011, 09:19 AM | #9 |
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Re: एक अनोखी सीख
दूसरे दिन युवक डॉयरेक्टर के पास पहुचा। डॉयरेक्टर ने उस से प्रश्न किया कि उसने कल घर जा कर क्या महसूस किया ...?
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Last edited by Sikandar_Khan; 02-11-2011 at 05:46 PM. Reason: edit |
30-10-2011, 09:23 AM | #10 |
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Re: एक अनोखी सीख
युवक ने कहा कि पहली बार मैने ये सीखा कि किसी कि सराहना क्या होती है, अपनी माँ के बिना आज मै इतना सफ़ल् नहीं होता, उसके अतिरिक्त अपनी माँ के साथ काम करके मैने जाना कि किसी काम को करना कितना कठिन होता है, मैने ये भी जाना कि पारिवारिक संबन्ध क महत्व क्या होता है।
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