02-04-2011, 02:35 PM | #21 |
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Re: ! आशिकाना शायरी !
महबूब की आखोँ मेँ नशा
महबूब की चाहत मेँ नशा महबूब की बातो मेँ नशा महबूब तो महखाने के मलिक है और चाहत तो हमारी भी आशिकी भरी है क्योकि की हम भी समां के परबाने है
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Gaurav kumar Gaurav |
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