06-01-2013, 08:11 AM | #21 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
हलो दोस्तो, इन दिनों लगभग आप सभी परीक्षा में व्यस्त होंगे या इसकी तैयारियाँ कर रहे होंगे। परीक्षा के दिनों में टेलीविजन के सीरियल देखने का मन होता है। इसी बीच होली भी आई और जिन स्टुडेंट्*स का रंगों से खेलने का मन हुआ, उन्होंने खूब रंग और गुलाल खेला होगा। कुछ विद्यार्थियों को परीक्षा का डर ज्यादा होता है तो वे पूरे समय पढ़ाई में ही लगे रहते हैं। परीक्षा के दिनों में पढ़ाई को गंभीरता से लेना ठीक है पर परीक्षा तनाव नहीं बनना चाहिए। जो स्टूडेंट्स परीक्षा के दिनों में तरोताजा रहते हैं और अपनी तैयारी पर विश्वास रखते हैं वे अच्छा स्कोर कर जाते हैं। परीक्षा का ज्यादा टेंशन होने पर परीक्षा हॉल में भी चीजों के भूल जाने का डर रहता है। इसलिए ज्यादा अच्छा तो यह है कि परीक्षा को आने दो और अपनी तैयारी पूरी रखो। जितनी भी तैयारी करें आत्मविश्वास से करें। कुछ कठिन होने के कारण छूट भी रहा हो तो उसमें अपनी मेहनत जाया न करें। क्योंकि इस तरह ऐसा भी हो सकता है कि आप 10 नंबरों के लिए शेष 90 नंबरों से खिलवाड़ कर रहे हों। ऐसी स्थिति में आपको जो मैटर ईजी लगे उसे और अच्छे से तैयार करें, परीक्षा में उन प्रश्नों के आने पर आप उसे किस तरह हल करें, उसका प्रस्तुतीकरण कैसा हो। इस पर ध्यान दें। तो काफी हद तक संभावना है कि कोई कठिन प्रश्न आने पर आपको छोड़ना भी पड़े तो यह अतिरिक्त तैयारी उसे काफी हद तक कवर कर लेगी। ठीक है ना दोस्तो वैसे भी थोड़ी देर के लिए सकारात्मक होकर सोच लें कि मैरिट में आने वाले छात्रों को भी 100 में से 100 मार्क्स तो आते नहीं हैं। अत: एकदम परफैक्ट होने के चक्कर में ऐसा न हो कि जो हमें आता हो वही न कर पाएँ। आशा करता हूँ इन बातों को ध्यान रखते हुए पूरे आत्मविश्वास के साथ पेपर देने जाएँगे और बढ़िया करेंगे। विश यू ऑल द बेस्ट।
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07-01-2013, 08:01 AM | #22 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
शिक्षा ऎसी हो, जो सुसंस्कार दे
दिल्ली में गैंग रेप की घटना से यह सिद्ध हुआ है कि जितना नीचे मनुष्य गिर सकता है, उतना नीचे पशु भी नहीं गिर सकता। इस पर आक्रोश और दु:ख स्वाभाविक है। इन दिनों कानून और व्यवस्था संबंधी बहुत से सुझाव दिए जा रहे हैं। उन पर गंभीरता से विचार करके बिना विलंब किए क्रियान्वित करना प्रशासन और सरकार का प्राथमिक दायित्व है। आशा की जानी चाहिए कि इस दिशा में सरकार आधे मन से काम नहीं करेगी और ऎसे उपाय बरतेगी कि उसका परिणाम व्यवहार में दिखाई दे सके। गैंग रेप की घटना हो या आतंकवाद की अथवा भ्रष्टाचार की, इन सबके समाधान का कानून और प्रशासन के अतिरिक्त एक अन्य पक्ष भी है। वह पक्ष सांस्कृतिक है। मनुष्य को सुसंस्कृत बनाने का कार्य शिक्षा का है। विचार करना चाहिए कि क्या हमारी शिक्षा यह कार्य पूरी ईमानदारी से कर रही है या कि वह मनुष्य को केवल पैसा कमाने वाली मशीन बनाने भर का ही कार्य कर रही है। गैंग रेप की घटना कानून और व्यवस्था की कमी के कारण तो घटित होती ही है, किंतु इसके अतिरिक्त उसका एक कारण यह भी है कि हमारी शिक्षा में मनुष्य को सुसंस्कृत बनाने के लिए कोई कारगर उपाय नहीं किया जा रहा। इस दिशा में पहली बाधा हमारी संवैधानिक पंथ-निरपेक्षता प्रतीत होती है, किंतु वास्तव में ऎसा है नहीं। आचार्य विनोबा भावे ने, जिनकी पंथ-निरपेक्षता पर किसी को भी संदेह नहीं है, छोटी-छोटी पुस्तकों में ऎसी सामग्री जुटा दी है, जो विभिन्न संप्रदायों और मजहबों से सर्वसम्मत सार-भूत मूल्यों को समाहित किए हैं। शताब्दियों से मानव-मूल्यों की शिक्षा उपनिषद्-गीता, बाइबिल, कुरान जैसे धर्मग्रंथों के माध्यम से दी जाती रही है। दुर्भाग्य से ये धर्मग्रंथ संप्रदायों के घेरों में घिर गए हैं और पंथ-निरपेक्षता में बाधक प्रतीत होते हैं। देश में ऎसे प्रबुद्ध चिंतक हैं, जो इन ग्रंथों के शाश्वत और सार्वभौम मूल्यों को रेखांकित करके ऎसी पाठ्यसामग्री उपलब्ध करा सकते हैं, जिसे पंथ-निरपेक्षता को सुरक्षित रखते हुए शिक्षा की मुख्य धारा में पाठ्क्रम के रूप में प्रस्तावित किया जा सकता है। यह कार्य करणीय है, क्योंकि पंथ-निरपेक्षता का अर्थ चरित्र-निरपेक्षता नहीं है। इस देश की परंपरा और मानसिकता नैतिकता को पवित्र धर्मग्रंथों से जोड़कर देखने की है। फिर भी यदि पश्चिमी प्रणाली की धर्म-ग्रंथ-निरपेक्ष आचार मीमांसा भी हमारा सहयोग कर सके तो उससे भी परहेज नहीं करना चाहिए। नैतिकता का आधार अध्यात्म है। अध्यात्म के बिना नैतिकता बिना नींव का महल है। अध्यात्म का सूत्र योग है। पिछले कुछ दशकों में योग के अनेक आंदोलन चले हैं। वे भी दुर्भाग्य से व्यक्ति-केंद्रित हो गए। योग के प्रामाणिक ग्रंथों के आधार पर हम एक ऎसी पद्धति भी बना सकते हैं, जो व्यक्ति का रूपांतरण कर सके। योग का प्रयोजन चित्त-वृत्ति का परिष्कार है। चित्त-वृत्ति परिष्कृत हुए बिना केवल कानूनी प्रावधान गैंग रेप जैसी दुर्घटनाओं को एक सीमा तक ही रोक सकते हंै। धर्मस्थान पवित्रता के केंद्र माने जाते हैं, किंतु अब उनकी पवित्रता पर संदेह होने लगा है। वे स्वयं को महिमा-मंडित करने वाले बनते जा रहे हैं। धर्मगुरू इस संबंध में गंभीरता से विचार करें। धर्मगुरू देखें कि उनके अनुयायी कुछ "कर्मकांड" करके ही संतुष्ट हो जाते हैं या उनके जीवन में पवित्रता का भी प्रवेश होता है। उन्हें भी इस दिशा में फलदायी कदम उठाने होंगे। विशेषकर भारत में संसार के सभी प्रमुख धर्मो के प्रमुख केंद्र हैं। छोटे-छोटे गांव में भी एक न एक धर्म का स्थान है। इन केंद्रों के व्यवस्थापकों को सोचना होगा कि ये वृद्ध स्त्री-पुरूषों के समय बिताने का स्थान न रहकर संस्कार-निर्माण का कार्य करने का केंद्र बन सकें।
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10-01-2013, 09:20 PM | #23 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
आईआईटी में पढ़ना हुआ महंगा, सरकार ने की फीस में 40000 रुपये की वृद्धि
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11-01-2013, 04:29 AM | #24 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए फोकस है जरूरी
कैट की परीक्षा में टॉप करने छात्रों अंशुल, सोनाली और एडवेट का मानना है कि सफलता के लिए फोकस सबसे अहम है। बिना इसके कैट जैसी परीक्षा में टॉप करना आसान नहीं है। सोचा नहीं था कि पहला स्थान मिलेगा अंशुल गर्ग 100 पर्सेटाइल अंक हासिल करने हासिल करने वाले आईआईटी रोपड़ के छात्र अंशुल गर्ग कहते हैं कि अमूमन इंजीनियरिंग और प्रबंधन को अलग-अलग देखा जाता है। लेकिन इंजीनियरिंग के बेहतर छात्र के लिए जिंदगी और प्रोफेशनल लाइफ दोनों में प्रबंधन काफी जरूरी है। अंशुल ने कहा कि मेरा प्रश्नपत्र अच्छा गया था। मुझे इस बात की पूरी उम्मीद थी कि मेरे अंक अच्छे आएंगे पर मैं पहला स्थान पाऊंगा, मैंने सोचा नहीं था। वह अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पढ़ाई के तरीके को देते हैं।पीटी एजुकेशन से पढ़ाई करने वाले अंशुल के पिता व्यवसायी है और मां गृहणी है। मेरे बड़े भाई एमसीए की पढ़ाई कर रहे हैं। वह कहते हैं कि मैं एमबीए कर इंटरप्रिन्योरशिप करना चाहता हूं। मैं एमबीए द्वारा अपनी स्किल को मजबूत करना चाहता हूं। परीक्षा के दौरान खुद को रखा शांत सोनाली गर्ग कैट परीक्षा में 99.99 पर्सेटाइल अंक हासिल करने वाली आईआईटी दिल्ली की छात्रा सोनाली गर्ग कहती है कि किसी भी परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए आवश्यक है फोकस और रिलैक्स रहना।वह कहती है कि अक्*सर देखने में आता है कि छात्रों को जानकारी तो बहुत होती है लेकिन तनाव होने की वजह से वह परीक्षा में बेहतर नहीं कर पाते। उन्होंने कहा कि मैं परीक्षा के एक हफ्ते पहले अपने संस्थान के महोत्सव में व्यस्त थी। ऐसे में मैंने तैयारी के लिए बहुत समय नहीं दिया। मैंने एक हफ्ते में अपनी तैयारी को अंतिम रूप दिया। परीक्षा में जो प्रश्न मुझे आते थे मैंने सिर्फ उन्हीं का उत्तर दिया। मेरे माता-पिता सहित मेरे दोस्तों ने मुझे काफी प्रोत्साहित किया। जिसके चलते मैं इतने अच्छे अंक हासिल करने में कामयाब हुई। अपने विषयों का किया समयानुसार प्रबंधन किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफल होने के लिए जरूरी है कि आप उसके लिए कितने तैयार है। यह कहना है परीक्षा में 99.9 फीसदी अंक लाने वाले एडवेट कुमार का। एडवेट कहते हैं, अगर आप अपनी तैयारी को लेकर शुरू से ही फोकस हैं और आप टाइम को सही से मैनेज कर रहे हैं तो दूसरों की तुलना में आपके सफल होने की संभावना काफी बढ़ जाती है। पटना के रहने वाले एडवेट ने कैट के माध्यम से एमबीए करने का इरादा तो दसवीं कक्षा में पढ़ाई करते समय ही बना लिया था, लेकिन जरूरत थी इस इरादो को सच्चाई में बदलने की। उनकी कड़ी मेहनत के बल उन्होंने इस साल आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग की, जिसके बाद बोकारो के कोचिंग इंस्टिट्यूट में बतौर अध्यापक नौकरी भी लग गई।
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11-01-2013, 09:25 AM | #25 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
nice topic .................................
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11-01-2013, 10:10 AM | #26 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
कैट 2012 नतीजे : 10 छात्रों को मिले परफेक्ट 100
भारतीय प्रबंध संस्थान और प्रमुख बिजनेस स्कूलों में दाखिले के लिए आयोजित कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) -2012 के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं। दस छात्रों ने 100 परसेंटाइल हासिल किए हैं। दो हजार परीक्षार्थियों ने 99 परसेंटाइल से ज्यादा अंक प्राप्त किए। 11 अक्टूबर से 6 नवंबर 2012 के बीच 21 दिन चली इस परीक्षा में देशभर में कुल 1,91,642 परीक्षार्थियों ने भाग लिया था। आईआईएम-कोझीकोड ने कैट का संयोजन किया था। कैट के परिणाम के आधार पर 13 आईआईएम की 2,946 सीटों के लिए विद्यार्थी चुने जाएंगे। कैट के स्कोर के आधार पर ही फैकल्टी ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एफएमएस), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रीयल इंजीनियरिंग और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) में भी एडमिशन होता है। देश के डेढ़ सौ से ज्यादा बी-स्कूल भी कैट के स्कोर को महत्व देते हैं। इंजीनियरिंग स्ट्रीम के छात्रों ने किया कमाल 100 परसेंटाइल हासिल करने वाले 10 में से नौ विद्यार्थी इंजीनियरिंग स्ट्रीम से हैं। इनमें से नौ आर्इआर्इटी के छात्र हैं। पांच तो अब भी स्नातक में अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं। 99.99 परसेंटाइल हासिल करने वाली चार लड़कियां भी इंजीनियरिंग स्ट्रीम से हैं। 99 परसेंटाइल से ज्यादा में मुंबई टॉपर 99 परसेंटाइल या इससे ज्यादा अंक पाने वाले 180 परीक्षार्थियों के साथ मुंबई पहले स्थान पर रहा। दिल्ली 168 परीक्षार्थियों के साथ दूसरे, हैदराबाद 105 परीक्षार्थियों के साथ तीसरे, कोलकाता 92 परीक्षार्थियों के साथ चौथे और चेन्नई 85 परीक्षार्थियों के साथ पांचवे स्थान पर रहा। 99 परसेंटाइल से ज्यादा हासिल करने वाले परीक्षार्थियों में 255 छात्राएं और 1,640 छात्र शामिल हैं।
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14-01-2013, 02:38 PM | #27 |
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Re: शिक्षा और व्यवसाय {Education & career }
तकदीर पर भरोसा रखें
वह एक लैब असिस्टैंट थे। लेकिन उनका मन थिएटर में रमा था। उन्हें प्रतिमाह १२५ रुपए तनख्वाह मिलती थी, जबकि थिएटर में उन्हें कुछ नहीं मिलता था। वह कॉलेज के नाटकों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे। एक दिन पंजाब कला मंच पर उनके कॉलेज के नाटक का मंचन हुआ, जिसे देखने वालों में पंजाब थिएटर की जानी-मानी हस्ती हरपाल तिवाना भी थे। तिवाना ने उन्हें अपने साथ काम करने का प्रस्ताव दिया, जिस पर उन्होंने कहा यदि उन्हें १२५ रुपए से ज्यादा दिए जाएं, तो ही वह उनके साथ काम करेंगे। तिवाना डेढ़ सौ रुपए देने पर राजी हो गए। उन दिनों वह थिएटर में सेलरी पाने वाले इकलौते शख्स थे। यह शख्स और कोई नहीं ओम पुरी थे। थिएटर से सिनेमा तक एक लंबा सफर तय करने के बाद ओम पुरी इन दिनों वापस थिएटर में लौट आए हैं। 'भाग मिल्खा भाग' के निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने अपने कॅरियर की शुरुआत 'यूरेका फोब्र्स' के साथ बतौर सेल्समैन की थी। एक साक्षात्कार में इस फिल्मकार ने बताया कि उन्होंने एक फिल्म सेट पर टी-ब्वॉय के रूप में भी काम किया है। आज की दिग्गज महिला नेता और अतीत में भारतीय टेलीविजन की सबसे लोकप्रिय बहू हमेशा इतनी लोकप्रिय नहीं थी। १८ साल की उम्र में स्मृति अभिनेत्री बनने का ख्वाब लेकर मुंबई आईं। उनका यहां कोई गॉडफादर नहीं था। उन्होंने यहां कुछ दिन मैक्डोनल्ड फास्ट फूड शृंखला के रेस्तरां में बर्गर इत्यादि सर्व करने और फर्श बुहारने का काम भी किया। आखिरकार किस्मत ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी और आज वह इस मुकाम पर हैं। उनकी असली प्रतिभा एक अप्रत्याशित माहौल में सामने आई, जब वह एक बस कंडक्टर के रूप में काम कर रहे थे। निष्णात अभिनेता बलराज साहनी ने ऐसी ही एक बस में सफर करते हुए वर्ष १९५० में उन्हें मुसाफिरों का मनोरंजन करते हुए देखा। जिसके बाद उन्होंने उन्हें मुंबई आने की सलाह दी। उन्होंने पहले स्क्रीन टेस्ट में एक पियक्कड़ शराबी का जबरदस्त अभिनय किया, जिसके बाद उनका नाम 'जॉनी वाकर' पड़ गया। कुछ ही लोग जानते होंगे कि वह कट्टर मुसलमान थे और मद्यपान से कोसों दूर थे। वह अपने समुदाय में एक नियमित कुली थे। बाद में वह बैंगलोर परिवहन सेवा के साथ बतौर बस कंडक्टर जुड़ गए। उनके दोस्त राज बहादुर ने फिल्मों की पढ़ाई करने की उनकी योजनाओं में पूरा साथ दिया, जिसके बाद रजनीकांत नामक इस लेजेंड ने सुपरस्टारडम की ओर पहला कदम बढ़ाया। 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' जैसी फिल्म में अपने अभिनय के जरिए सुर्खियां बटोरने वाले इस अभिनेता का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक छोटे-से कस्बे से है। वह पहले बड़ौदा की एक फैक्ट्री में चीफ कैमिस्ट थे। थिएटर में उनकी गहरी दिलचस्पी थी, जिसकी खातिर उन्होंने चौकीदार की नौकरी भी की। कोई आश्चर्य नहीं कि यह अभिनेता आज भी खुद को 'कॉमन मैन' मानता है। इस अभिनेता का नाम है नवाजुद्दीन सिद्दीकी। उन्होंने अपने कॅरियर की शुरुआत ताज महल पैलेस एंड टॉवर होटल में वेटर और रूम सर्विस स्टाफर के रूप में की थी। बाद में उन्होंने अपनी पुश्तैनी बेकरी शॉप का जिम्मा संभाला। हालांकि अंकल चिप्स के साथ फ्रेंचाइजी करार करने के बावजूद उनकी यह बेकरी नहीं चली। आज हम उन्हें बोमन ईरानी के रूप में जानते हैं, जो 'मुन्नाभाई शृंखला' में अपने दमदार अभिनय के बाद घर-घर में लोकप्रिय हो गए। वह बैंकॉक में मेट्रो गेस्ट हाउस में शेफ थे। उनकी पहली सेलरी 1000 बहत (1500 रुपए) थी और वह रात में किचन के फर्श पर ही सोते थे। उन्होंने कोलकाता में एक ट्रैवल एजेंसी के लिए प्यून के रूप में भी काम किया। यह कोई संयोग नहीं था कि 'मास्टरशेफ इंडिया' के निर्माताओं ने इस एक्शन हीरो अक्षय कुमार को अपने शो के होस्ट के रूप में चुना।
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