22-12-2012, 10:14 PM | #11 |
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Re: मुहम्मद रफी : बहू की नजरों में
दोनों मानें आधी-आधी बात
मुझे याद है, उस दिन जब अब्बा लंदन आ रहे थे तो खालिद मुझे छेड़ने लगे, बोले ज्यादा एक्साइटेड होने की जरूरत नहीं है। मत भूलो कि अब तुम सिर्फ उनकी फैन ही नहीं हो, अब्बा तुम्हारे ससुर भी हैं। मुझे और खालिद को भी साथ में खुश देखकर अब्बा ने मेरे सिर पर हाथ रखकर कहा, हमेशा इसी तरह से खुश रहना और एक-दूसरे का खयाल रखना। फिर मुस्कुराकर अपने सीधे-साधे अंदाज में कहा, आधी बात आप खालिद की मानें और आधी बात वे आपकी, फिर सब ठीक है। अम्मा फौरन बीच में बोलीं, ये आप अपनी बहू को क्या सिखा रहे हैं? उससे कहिए, सारी बातें उसे अपने शौहर की ही माननी चाहिए। सुनकर मुझे तो एक पल को ऐसा लगा, जैसे मैं फिल्म ‘ससुराल’, ‘घराना’ या ‘नीलकमल’ का कोई दृश्य देख रही हूं और हीरोइन की जगह मैं हूं।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
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