02-03-2011, 06:14 AM | #9 |
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अकबर और बीरबल की कहानी
{गुरू ग्रन्थ}
एक बार अकबर और बीरवल अपने बगीचे मे बैठे थे तभी राजा अकबर ने बीरवल से कहा अकबर - बीरवल ये बताओ की हमारी जनता हमारे बारे मे क्या सोचती है बीरवल - महाराज इस बात का जबाब जनता से सही कोई नही दे सकता बीरवल और राजा अकबर वेश बदलकर अपनी सलतान्त मे घुमने निकले तभी दूर से जंगल मे से एक लकडहारा लकडी काट कर लेकर आ रहा था तो (राजा अकबर ने मन मे सोचा ये लकडहारा चोर है अब मे जंगल से लकडी चोरी के लिये इसे डन्ड दूँगा ) राजा अकबर ने बीरबल से कहाँ इस लकडहारे से पता करो मेरे बारे मे ये क्या सोचता है बीरबल - सुनो लकडहारे हमारे राजा अकबर नही रहे लकडहारा - अच्छा हुआ बो ना रहा और अकबर को बुरा भला कहता हुआ निकल गया राजा अकबर दुखी होये की उनकी जनता उनके बारे मे ये सोचती है तभी बीरवल ने कहा कि महाराज आप थोडा और रूकिये तभी राजा अकबर को दूर से एक बुजूर्ग महिला आती दिखाई दी और उस बुजूर्ग महिला को देख कर राजा अकबर का मन दुखी हुआ ( राजा अकबर ने सोचा की बो उस महिला की मदद करेगेँ ) बीरबल ने उस महिला कहा की राजा अकबर नही रहे तो बो महिला रोने लगी और कहने लगी हे भगबान राजा अकबर की जगह मुझे उठा लेते) लकडहारा और बुजूर्ग महिला दोनो की बातो के बाद राजा अकबर को अपने सबाल का उत्तर मिल गया दोस्तो कहानी का मतलब है हम जैसा सोचते है वैसा हमे मिलता है तो दोस्तो बताये कैसी लगी मेरी कहनी ये कहानी मेरी जिन्दगी का एक हिस्सा बन चुकी है आप भी बनाये आपका मित्र bholu
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Gaurav kumar Gaurav |
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