22-04-2011, 05:17 PM | #81 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
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29-04-2012, 06:34 PM | #82 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
एक रुका हुआ फैसला इस अंग्रेजी फिल्म की नक़ल थी.
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29-04-2012, 08:18 PM | #83 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
आपको धरम पाजी की फिल्म सत्यकाम देखनी चाहिए
हृषी da की ye फिल्म kai मामलो में बेहतरीन है dharmendra is in this movie at his best
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
30-10-2012, 09:05 AM | #84 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
कल ही मैंने यह फिल्म देखी, फिल्म काफी अच्छी थी।
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05-10-2013, 05:18 AM | #85 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
रजनीगंधा भारत में कहानियों और उपन्यासों पर आधारित कम ही फिल्में बनी हैं. अभी हाल में ही चेतन भगत ने उपन्यास थ्री मिस्टेक्स ऑफ़ माय लाइफ से प्रेरणा ले कर "काई पो चे" रिलीज़ हुई, जिसे दर्शको और फिल्म समीक्षकों ने काफी सराहा। ऐसा क्यों होता है जब भी फिल्म किसी कहानी और उपन्यास पर आधारित होती है ओवरआल अच्छी बन जाती है. चलिए एक उदहारण देता हूँ, अगर आप आई एम् डी बी के टॉप २५० फिल्मों की लिस्ट को देखेंगे तो पायेंगे तो इस लिस्ट की अधिकतर फिल्में किसी ना किसी उपन्यास पर आधारित या प्रेरणा लेकर बनी हैं. इसपर कभी किसी और दिन विस्तार से चर्चा करेंगे। फिलहाल इस वीकेंड पर जो मैंने फिल्म देखी, उसके बारे में यहाँ ब्लॉग करने जा रहा हूँ. फिल्म का नाम था, रजनीगंधा, हमारी पीढ़ी के बहुत सारे लोग इसको शायद रजनीगंधा पान मसाले के साथ कंफ्यूज ना कर जाए, तो मैं उनके लिए बता दूं, यह फिल्म १९७४ में रिलीज़ हुई थी, इसके निर्देशक थे बासु चटर्जी। फिल्म की पठकथा मन्नू भंडारी के एक प्रसिद्ध कहानी यही सच है पर आधारित थी. इसमें अमोल पालेकर, विद्या सिन्हा और दिनेश ठाकुर ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई थी. इस फिल्म को १९७५ का बेस्ट फिल्म का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला था. जब पूरा देश अमिताभ की मार धाड़ वाली फिल्मों के मज़े ले रहा था तो ऐसे में रजनीगंधा ने यथार्थवादी फिल्मों का एक नया ट्रेंड शुरू किया था और अमोल पालेकर उसके नायक बनकर उभरे थे.
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05-10-2013, 05:18 AM | #86 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
यह फिल्म असल में एक प्रेम त्रिकोण है. फिल्म की नायिका दीपा कपूर दिल्ली में अपने भैया भाभी के साथ रहकर पढ़ रही है. दिल्ली में उसकी मुलाक़ात संजय (अमोल पालेकर) से होती है, जल्द ही दोनों में प्रेम हो जाता है और दोनों शादी के विषय में सोचने लगते हैं इसी बीच दीपा को नौकरी के इंटरव्यू के लिए बम्बई जाना पड़ता है. बम्बई में दीपा की मुलाकात अपने एक पुराने प्रेमी नवीन(दिनेश ठाकुर) से होती है. नवीन दीपा को नौकरी दिलाने में, बम्बई घुमाने में तथा अन्य कार्यों में बहुत मदद करता है. दीपा के मन में नवीन के प्रति पुराना प्यार फिर से जाग जाता है. दीपा अब मन ही मन संजय और नवीन की तुलना करने लगती है. फिर दीपा दिल्ली लौट आती है और बम्बई से उसकी नौकरी लगने की सूचना आती है, वह बहुत खुश हो जाती है. इधर संजय को भी प्रमोशन मिल जाता है और वो ये समाचार देने दीपा के पास जाता है दीपा फिर उलझन में फंस जाती है, एक ओर उसका पुराना प्रेमी नवीन तो दूसरी ओर संजय , जिसको वह काफी चाहती है| अंत में दीपा किस को चुनती है, नवीन को या संजय को, यह जानने के लिए यह फिल्म जरुर देखें।
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05-10-2013, 05:20 AM | #87 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
फिल्म में केवल दो ही गाने हैं, और दोनों ही सुपरहिट। मुकेश की आवाज़ में "कई बार यू ही देखा है" मेरे पसंदीदा गानों में से एक है. इस गाने के लिए मुकेश को नेशनल अवार्ड भी मिला था. फिल्म का दुसरा गाना "रजनीगंधा फूल तुम्हारे" भी काफी अच्छा है. लता की आवाज़ और सलिल चौधरी के संगीत ने इसमें चार चाँद लगा दिए हैं.
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05-10-2013, 05:32 AM | #88 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
फिल्म की शुरुआत होती है, ट्रेन के सीन से जिसमे दीपा की ट्रेन छुट जाती है, हालांकि यह एक सपना होता है, हरेक सपने की तरह यह भी टूट जाता है और फिल्म की कहानी आगे बढती हैं.
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05-10-2013, 05:33 AM | #89 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
दीपा अपने भैया और भाभी के साथ में रहती है, अभी दोनों पटना जाने वाले हैं. कमरे में आपको किताबें, साड़ियाँ और एक अलमारी दिखाई पड़ेगी, बासु दा ने उस समय के मिडिल क्लास के घर को फिल्म में बड़े ही अच्छे तरीके से दिखाया है.
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05-10-2013, 05:33 AM | #90 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
इसमें कोई शक नहीं कि रजनीगंधा एक नायिका प्रधान फिल्म है, और फिल्म के कास्टिंग में यह बात अच्छी तरह जाहिर हो जाती है. काले गौगल और सफ़ेद-लाल साड़ी और सफ़ेद हैण्ड बैग का मेल और सिनेमा हॉल का बैकग्राउंड, उस समय के फैशन को बड़े अच्छी तरह दर्शा रहे हैं. फिल्म की कास्टिंग अंग्रेजी और हिंदी दोनों में है.
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