19-03-2011, 08:29 PM | #71 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
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19-03-2011, 08:30 PM | #72 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
दूसरी ओर विजय को एक दुर्घटना में चोट लगती है और वह एक संयोगवश मृत समझ लिया जाता है| गुलाबो अपने कुछ अन्य प्रभावशाली परिचितों की सहायता से विजय की रचनाएं प्रकाशित करा देती है|ये कवितायेँ घोष इस आशा से प्रकाशित करता है कि वह विजय की मृत्यु से उपजी सहानुभूति का लाभ उठाकर धन कमा लेगा पर उसके भाई(महमूद) घोष के पास जाते है वो पैसा हथियाने के लिए|
परन्तु विजय जीवित है और उसका इलाज़ एक मानसिक रोग अस्पताल में चल रहा है| एक दिन नर्स से अपनी ही प्रकाशित रचना सुन कर तथा अपनी प्रसिद्धि का समाचार जान कर विजय सामान्य हो जाता है|परन्तु कोई उसका विश्वास नहीं करता तथा उसको पागलों वाले कमरे में ही रखा जाता है|घोष को जब यह पता चलता है तो वह विजय के मित्र श्याम व भाईयों को अपने रचे षड्यंत्र में शामिल कर लेता है तथा सब मिल कर उसको पहचानने से मना कर देते हैं|फिर शुरू होती है विजय की दुनिया के सामने अपना अस्तित्व साबित करने की कशमकश| अबरार अली की लिखी यह कहानी एक सन्देश समेटे हुए है और ये सन्देश अपने उत्कृष्ट अभिनय के माध्यम से गुरुदत्त,वहीदा रहमान ,जोनी वाकर ,रहमान व माला सिन्हा ने प्रस्तुत किया है| गुरु दत्त का निर्देशन ठोस है और उन्होंने बेहद उम्दा पटकथा दी है| फिल्म का चरम दिल छु लेने वाला है और पूरे फिल्म की जान है| गुरु दत्त ने एक बेहतरीन और भावुक चरम से दुनिया की सच्चाई सामने रखने की कोशिश की है| फिल्म में संगीत ठोस है और फिल्म की थीम पर जचता है| एस. डी. बर्मन का संगीत तथा मोहम्मद रफ़ी के गाये कुछ गीत आज भी उतने ही पसंद किये जाते हैं|
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19-03-2011, 08:31 PM | #73 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
फिल्म में संवाद भी अबरार अल्वी के हैं,जो फिल्म की जान हैं| "अपने शौक के लिए प्यार करती है और अपने आराम के लिए प्यार बेचती है" संवाद विजय के साथ हुई बेवफ़ाई बयान करती है| वही "तो मै यहाँ क्या कर रहा हूँ मैं जिन्दा क्यों हूँ ,गुलाबो" निराश हताश विजय की दुर्दशा दिखाती है| हालाँकि फिल्म एक दृष्टि से बहुत ही धीमे चलती है और कुछ स्थानों पर थोड़ी बोरियत सी लगती है| पर गीत, संगीत, अभिनय, संवाद शेष सभी कसोटियों पर खरी उतरती है|
गुरुदत्त की 'प्यासा' आज भी उतना ही महत्व रखती और और शायद इसलिए ही इस फिल्म की आज भी उतनी ही महता है|
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19-03-2011, 08:32 PM | #74 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
कुछ रोचक बातें:
1) व्यवसायिक दृष्टिकोण से सफल कुछ फ़िल्में बनाने के बाद गुरुदत्त कुछ फ़िल्में अपनी रूचि के अनुसार बनाना चाहते थे,जो उनके मन को सुकून दे सके| इनमे से ही एक फिल्म प्यासा थी| 2) फिल्म की कहानी हिमाचल के एक असफल कवि चन्द्रशेखर प्रेम की अपनी कहानी है जिसको अपनी रचना को बम्बई जाकर बेचनी पडी|उसने उर्दू हिंदी में बहुत सी किताबें लिखी परन्तु उनके लिए वह कभी प्रसिद्ध न हो सका | 3) फिल्म का अंत परिस्तिथियों से समझौता कर किया जाय या नहीं इस पर भी बहुत विचार विमर्श हुआ| अंत में फिल्म का अंत गुरुदत्त ने अपनी पसंद से किया| 5) अपनी इस विख्यात फिल्म के लिए गुरु दत्त ट्रेजेडी किंग दिलीप साहब को लेना चाहते थे परन्तु उनके मना करने पर उन्होंने स्वयं इस रोल को निभाया | 6) एक धीमी शरुआत के बाद फिल्म सफल रही | विडंबना ही कहा जाए गा कि गुरुदत्त के जीवन काल में तो नहीं परन्तु उनके बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी बहुत सराहना मिली| फ्रांस,जर्मनी में फिल्म बहुत पसंद की गयी| फ्रेंच प्रीमियर में इसका शो हुआ , तद्पश्चात नौवें अंतर्राष्ट्रीय एशियन फिल्म फेस्टिवल में भी इसको प्रदर्शित किया गया| 7) टाईम्स रीडर्स ने इसको सर्वकालिक टॉप दस फिल्मों में सम्मिलित किया| आज भी इस फिल्म को पसंद करने वाले दर्शक हैं |
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19-03-2011, 08:33 PM | #75 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
फिल्म के मुख्य कलाकार.
माला सिन्हा - मीना गुरु दत्त - विजय वहीदा रहमान रहमान जॉनी वॉकर - अब्दुल सत्तार कुमकुम लीला मिश्रा श्याम महमूद टुन टुन मोनी चटर्जी यह जानकारी यहाँ से ली गयी है. http://filmkahani.com/50-decade/pyaasa.html
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19-03-2011, 08:43 PM | #76 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
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22-04-2011, 04:55 PM | #77 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
बहुत लोग धर्मेन्द्र को केवल मार धार वाली फिल्मो का हीरो मानते हैं, इसके पीछे कारण यह है की उन्होंने ऐसी ही फिल्में की हैं. लेकिन एक फिल्म मैंने आज ही youtube पर राजश्री productions की जीवन मृत्यु फिल्म देखी, इसमें मैंने धर्मेन्द्र का अलग ही रूप पाया, फिल्म में उन्होंने काफी संजीदगी से अभिनय किया है, फिल्म अपने ज़माने में सुपर हिट हुई थी.
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22-04-2011, 05:00 PM | #78 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
जीवन मृत्यु १९७० में रिलीज़ हुई थी, इस फिल्म के निर्माता थे राजश्री फिल्मो के जनक ताराचंद बर्जात्या. फिल्म के मुख्या कलाकार थें धर्मेन्द्र, राखी (यह राखी की पहली फिल्म थी), अजित, राजेन्द्रनाथ और लीला चिटनिस. फिल्म का संगीत दिया था लक्ष्मी कान्त प्यारेलाल ने और गीत लिखे थे आनंद बक्षी ने.
फिल्म का एक गाना झिलमिल सितारों का आँगन होगा काफी लोकप्रिय हुआ था.
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22-04-2011, 05:05 PM | #79 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
फिल्म की कहानी कुछ इस तरह से है.
अशोक टंडन (धर्मेन्द्र) बैंक में मेनेजर है, और उसे दीपा नाम की लड़की से प्यार है, उन दोनों की शादी होने वाली थी, तभी अशोक के खिलाफ बैंक में गबन का मुकदमा चल जाता है और उसे ७ साल की सजा हो जाती है, जेल से निकल जाने के बाद अशोक को पता चलता है की दीपा की शादी हो चुकी है, और उसकी माँ भी मर चुकी होती है. तभी कुछ ऐसा होता है की राजा रणबीर सिंह, उसे नौकरी देते है और एक नयी पहचान. अशोक अब विक्रम सिंह बन जाता है, फिर वो दीपा का पता लगाता है और अपने बैंक के सहकर्मियों से धोखे का बदला लेता है.
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22-04-2011, 05:12 PM | #80 |
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Re: मेरी पसंदीदा हिंदी फिल्में
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