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05-11-2011, 10:08 AM | #1 |
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राजीव दीक्षित : भारत के एक वीर सपूत
राजीव दीक्षित :: भारत के एक वीर सपूत
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05-11-2011, 10:10 AM | #2 |
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Re: राजीव दीक्षित : भारत के एक वीर सपूत
राजीव दीक्षित (३० नवम्बर १९६७ - ३० नवम्बर २०१०) एक भारतीय वैज्ञानिक,प्रखर वक्ता और आजादी बचाओ आन्दोलन के संस्थापक थे। वे भारत के विभिन्न भागों में विगत बीस वर्षों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के विरुद्ध जन जागरण का अभियान चलाते रहे। आर्थिक मामलों पर उनका स्वदेशी विचार सामान्य जन से लेकर बुद्धिजीवियों तक को आज भी प्रभावित करता हैे। बाबा रामदेव ने उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें भारत स्वाभिमान (ट्रस्ट) के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व सौंपा था, जिस पद पर वे अपनी म्रित्यु तक रहे। वे राजीव भाई के नाम से अधिक लोकप्रिय थे।
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05-11-2011, 10:11 AM | #3 |
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Re: राजीव दीक्षित : भारत के एक वीर सपूत
स्वदेशी के प्रखर प्रवक्ता एवं भारत स्वाभिमान के राष्ट्रीय सचिव भाई राजीव दीक्षित का जन्म ३० नवम्बर १९६७ को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद की अतरौली तहसील के नाह गाँव में श्री राधेश्याम दीक्षित की अर्धांगिनी श्रीमती मिथिलेश कुमारी की कोख से हुआ । इण्टरमीडिएट तक की शिक्षा फिरोजाबाद से प्राप्त करने के उपरान्त उन्होंने इलाहाबाद से बी०टेक० तथा कानपुर से एम०टेक० किया। । राजीव भाई के माता-पिता उन्हें एक scientist बनाना चाहते थे। पिता की इच्छा को पूर्ण करने हेतु कुछ समय भारत के सीएसआईआर तथा फ्रांस के टेलीकम्यूनीकेशन सेण्टर में काम किया तत्पश्चात् वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ० ए०पी०जे० अब्बुल कलाम के साथ जुड़ गये जो उन्हें एक श्रेष्ठ वैग्यानिक के साँचे में ढालने ही वाले थे किन्तु राजीव भाई ने जब पं० राम प्रसाद 'बिस्मिल' की आत्मकथा का अध्ययन किया तो अपना पूरा जीवन ही राष्ट्र-सेवा में अर्पित कर दिया। उनका अधिकांश समय महाराष्ट्र के वर्धा जिले में प्रो० धर्मपाल के कार्य को आगे बढाने में व्यतीत हुआ। राजीव भाई के जीवन में सरलता और विनम्रता कूट-कूट कर भरी थी। वे संयमी, सदाचारी, ब्रह्मचारी तथा बलिदानी थे। उन्होंने निरन्तर साधना की जिन्दगी जी । सन् १९९९ में राजीव जी के स्वदेशी व्याख्यानों की कैसेटों ने समूचे देश में धूम मचा दी थी। पिछले कुछ महीनों से वे लगातार गाँव गाँव शहर शहर घूमकर भारत के उत्थान के लिए और देश विरोधी ताकतों और भ्रष्टाचारियों को पराजित करने के लिए जन जागृति पैदा कर रहे थे। राजीव भाई बिस्मिल की आत्मकथा से इतने अधिक प्रभावित थे कि उन्होंने बच्चन सिंह से आग्रह कर-करके फाँसी से पूर्व उपन्यास लिखवा ही लिया। लेखक ने यह उपन्यास राजीव भाई को ही समर्पित किया था। राजीव भाई पिछले 20 वर्षों से बहुराष्ट्रीय कम्पनियों व उपनिवेशवाद के खिलाफ तथा स्वदेशी की स्थापना के लिए संघर्ष कर रहे थे| वे भारत को पुनर्गुलामी से बचाना चाहते थे|
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05-11-2011, 10:11 AM | #4 |
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Re: राजीव दीक्षित : भारत के एक वीर सपूत
पिछले 20 वर्षों में राजीव भाई ने भारतीय इतिहास से जो कुछ सीखा उसकी जानकारी आम जनता को दी| उदाहरणार्थ अँग्रेज़ भारत क्यों आए ?, उन्होंने हमें गुलाम क्यों बनाया ?, अँग्रेजों ने भारतीय संस्कृति, शिक्षा उद्योगों को क्यों नष्ट किया, और किस तरह नष्ट किया ? इस विषय पर विस्तार से सबको बताया ताकि हम पुनः गुलाम न बन सकें| इन बीस वर्षों में राजीव भाई ने लगभग १५००० से अधिक व्याख्यान दिये जिनमें से कुछ आज भी उपलब्ध हैं| आज भारत में ५००० से अधिक विदेशी कम्पनियाँ व्यापार करके हमें लूट रही हैं, उनके खिलाफ राजीव भाई ने स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत की| देश में सबसे पहली स्वदेशी-विदेशी की सूची तैयार करके स्वदेशी अपनाने का आग्रह प्रस्तुत किया| १९९१ में डंकल प्रस्ताव के खिलाफ घूम-घूम कर जन-जागृति की और रैलियाँ निकालीं| कोका कोला और पेप्सी जैसे प्राणघातक कोल्ड ड्रिंक्स के खिलाफ अभियान चलाया और कानूनी कार्यवाही की| १९९१-९२ में राजस्थान के अलवर जिले में केडिया कम्पनी के शराब-कारखानों को बन्द करवाने में अहम् भूमिका निभायी| १९९५-९६ में टिहरी बाँध के खिलाफ ऐतिहासिक मोर्चे में संघर्ष किया और पुलिस लाठी चार्ज में काफी चोटें खायीं| उसके बाद १९९७ में सेवाग्राम आश्रम, वर्धा में प्रख्यात् इतिहासकार प्रो० धर्मपाल के सानिध्य में अँग्रेजों के समय के ऐतिहासिक दस्तावेजों का अध्ययन करके समूचे देश को आन्दोलित करने का काम किया| पिछले १० वर्षों से स्वामी रामदेव के सम्पर्क में रहने के बाद ९ जनवरी २००९ को स्वामीजी के विशेष आग्रह पर भारत स्वाभिमान ट्रस्ट का पूर्ण उत्तरदायित्व अपने कन्धों पर सम्हाला। ३० नवम्बर २०१० को छत्तीसगढ़ के भिलाई शहर में हृदय गति अवरुद्ध हो जाने पर उनका देहांत हो गया।
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05-11-2011, 10:12 AM | #5 |
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Re: राजीव दीक्षित : भारत के एक वीर सपूत
भ्रष्टाचार के खिलाफ भारत की सम्पूर्ण आजादी के आंदोलन में आहुति देने वाले भारत स्वाभिमान के राष्ट्रीय सचिव, स्वदेशी आंदोलन के प्रणेता, प्रखर राष्ट्रीय चितंक भाई राजीव दीक्षित जी के निधन के बाद समय मानो रुक सा गया। सम्पू्र्ण राष्ट्र में, विश्व के विभिन्न देशों में शोक की लहर दौड गई। परमात्मा के उस प्रतिभाशाली पुत्र को खोने के बाद मां ही नहीं भारत मां भी आँसू न रोक पाई होगी। लोग कहा करते है कि पूर्व सांसद स्व, प्रकाशवीर शास्त्री के बाद किसी व्यक्तित्व का वक्तव्य सुनकर समय ठहर जाता था तो उस व्यक्ति का नाम था “राजीव भाई”। “तेरा वैभव अमर रहे मां हम दिन चार रहे न रहे ।” उन्होंने अपने जीवन, जवानी व अपनी प्रतिभा को मातृभूमि की बलिवेदी पर आहूत कर दिया। महात्मा गांधी आश्रम वर्धा (महाराष्ट्र), इलाहाबाद, हरिद्वार आदि उनकी कर्मभूमि के मुख्य केन्द्र थे। यद्यपि उनका जन्म स्थान अलीगढ उत्तर प्रदेश हुआ। मां मिथलेश, पिता श्री राधेश्याम दीक्षित के दो पुत्र श्री राजीव एवं श्री प्रदीप जी तथा एक पुत्री बहन लता और उन सब में भी राजीव भाई सबसे बडे थे। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से B-Tech करते समय से ही आपके भीतर राष्ट्र के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना पैदा हुई। भारतीय सभ्यता, भारतीय संस्कृति पर मंडरा रहे खतरों को लेकर आक्रोश पैदा हुआ। मां भारती को मानसिक गुलामी, विदेशी भाषा-विदेशी षड्यन्त्रों के मकडजाल से मुक्त करवाने के लिए अपने “आजादी बचाओ आन्दोलन” को स्वर प्रदान किया। आपने राष्ट्र को आर्थिक महाशक्ति के रुप में खडा करने के लिए आजीवन ब्रह्मचारी रहने का निर्णय लिया और उसे जीवन पर्यन्त निभाया। खादी कपडों के संत अथवा स्वदेशी कपडों के किसी संत को, किसी दिव्यात्मा को महात्मा गांधी के बाद कभी याद किया जायेगा तो भाई राजीव जी का नाम सबसे ऊपर आयेगा। स्वदेशी का आग्रह सारी जिन्दगी उन्होंने नहीं छोडा। पं, रामप्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आजाद की तरह स्वदेशी विचारधारा को उन्नत किया, उसे प्रसारित किया, उसे स्थापित करने के मार्ग में अपने जीवन की आहुति इस राष्ट्र-यज्ञ में सौंप दी। विदेशी कम्पनियों की लूट की बात हो या भारत का स्वर्णिम अतीत का गौरव जगाने की बात हो, भाई राजीव की वाणी ने भारत के युवाओं में देश-विदेशों के राष्ट्रभक्त भाई-बहनों में स्वाभिमान को जागृत किया। राजीव भाई अक्सर कहा करते थे कि हम विज्ञान में सबसे आगे, धन-सम्पदा में सबसे आगे थे। परन्तु हमने जीवन में चालाकी नही सीखी। इसी कारण अंग्रेजों के गुलाम बने रहे। घरेलू नुक्खों की बात हो या होम्योपैथी चिकित्सा की बात हो उनकी इस पर विशेष पकड थी। इसके माध्यम से उन्होंने हजारों लोगों का ईलाज किया। इस विषय पर उनका गहन अध्ययन, लेखन एवं अनुभव था। वे पाश्चात्य संस्कृति, पाश्चात्य भाषा के साथ-साथ पाश्चात्य चिकित्सा के भी घोर विरोधी थे। अन्त तक उन्होंने इस सिद्घान्तों का दृढता के साथ पालन किया। सिद्घान्तों का पालन करते हुए अनेकों बाध आयें, तूफान एवं झंझावत उठे जिन्होंने उनके जीवन को भी लीलने का प्रयास किया। परन्तु उन्होंने कभी समझौतावादी एवं पलायनवादी होना स्वीकार नही किया। सिद्घान्तों के प्रति दृढता सीखनी हो तो उनका जीवन हम सब के लिये आदर्श रहेगा। भारत मां के गौरव पुत्र, ओजस्वी वक्ता-जिनकी वाणी पर मां सरस्वती का वास था। जब वह बोलते थे तो घण्टों “मन्त्र-मुग्ध” होकर लोग उनको सुनते रहा करते थे। भारत के स्वर्णिम अतित का गुण-गान करते हुए अथवा विदेशियों के द्वारा की गई आर्थिक लूट के आँकडे गिनवाते हुए उनका दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज चलता था। यदि उन्हें भारत का चलता-फिरता सुपर कम्प्यूटर कहा जाये तो अतिश्योक्ति नही होगी। विलक्षण प्रतिभा के धनी भाई राजीव जी की विनम्रता सबके ह्रदय को छू जाती थी। योगॠषि पूज्य स्वामी जी के सद्रशिष्य, अहंकारमुक्त, संस्कारयुक्त राजीव भाई एक सात्विक कार्यकर्त्ता थे। भारत को विश्व की आर्थिक महाशक्ति बनाने को संकल्पित ‘भारत-स्वाभिमान’ के उद्देश्यों को प्रचारित-प्रसारित करते हुए आप छत्तीसगढ राज्य के दुर्ग जिला में प्रवास पर थे। आपने अपने कर्मक्षेत्र में प्राणों का उत्सर्ग कर भारत मां को आर्थिक गुलामी से मुक्त करवाने हेतु अपना बलिदान कर दिया। छत्तीसगढ से कार्यकर्त्ताओं ने उनकी सेवा में आदर्श पूर्ण कर्त्तव्य का निर्वाह किया। परन्तु अफसोस काल के क्रूर पंजो से हम उन्हें नहीं बचा पाये । उनके आकस्मिक निधन पर पतंजलि योग समिति, भारत स्वाभिमान, महिला पतंजलि योग समिति के सभी केन्द्रीय प्रभारी, प्रन्तीय प्रभारी, जिला प्रभारी, तहसील प्रभारी सभी शिक्षकों व कार्यकर्त्तों की ओर से भावपूर्ण श्रद्घाजंलि। हम सब कार्यकर्त्ता संकल्प लेते है कि हम स्वदेशी के प्रति 100 प्रतिशत आग्रह रखते हुए अहंकारमुक्त, विनम्र जीवन को अपनाकर भाई राजीव जी के सपनों को पूरा करने का प्रयास करेंगे। वो मरे नहीं आस्था चैनल एवं संस्कार चैनल के माध्यम से उनकी वाणी, उनका संदेश उनको सदैव अमर बनाये रखेगा। वे सदैव हमारे बीच रहेगें. वे सच्चे अर्थों में स्वदेशी रंग से सराबोर थे। उन्होंने मरते दम तक बिना अहंकार, निस्वार्थ भाव से देश और देशवासियों की सेवा करते हुए अपना जीवन अर्पण कर दिया। उनके अन्तिम संस्कार के समय स्वामी रामदेव ने घोषणा की कि उनके जन्म/बलिदान दिवस ३० नवम्बर को स्वदेशी दिवस के रूप में मनाया जायेगा। साथ ही यह भी आश्वासन दिया कि पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में बन रहे भारत स्वाभिमान भवन का नाम राजीव भवन ही होगा क्योंकि इससे बेहतर और कोई श्रद्धांजलि दी ही नहीं जा सकती।
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05-11-2011, 10:13 AM | #6 |
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Re: राजीव दीक्षित : भारत के एक वीर सपूत
राजीव भाई जिनका निष्कलंक जीवन सादगी, स्वदेशी , पवित्रता, भक्ति, श्रद्घा, विश्वास से भरा हुआ था। चाहे लोगों ने उन्हें कितना भी कष्ट दिया हो उन्होंने उफ नहीं की।
पूज्य स्वामी रामदेव जी का राजीव भाई से पहला संवाद कनखल के आश्रम मे हुआ था। राजीव भाई लगभग दो दशक से अपना संपूर्ण जीवन लोगों के लिये जी रहे थे। राजीव भाई भगवान के भेजे हुए एक श्रेष्ठतम रचना थे, धरती पर एक ऐसी सौगात जिसे हम चाह कर भी पुन: निर्मित नहीं कर सकते। राजीव भाई के ह्रदय में एक ऐसी आग थी, जिससे प्रतीत होता था कि वे अभी ही भ्रष्ट तंत्र को, भ्रष्टाचार को खत्म कर देंगे। ‘भारत स्वाभिमान’ आंदोलन के साथ आज पूरा देश उनके साथ खडा हुआ है। हम सबको मिल करके भारत स्वाभिमान का जो संकल्प राजीव भाई ने लिया था, उसे पूरा करना है और अब वो साकार रुप ले चुका है। जब भारत स्वाभिमान का आंदोलन बहुत बडे चरण पर है तो एक बहुत बडी क्षति हुई है जिसे शब्दों में बयान नही किया जा सकता। ये ह्रदय की नहीं बल्कि समस्त राष्ट्र की पीडा है। व्यक्ति जब समिष्ट के संकल्प के साथ जीने लगता है तो वो सबका प्रिय हो जाता है। वे अपने माता-पिता के लाल नही थे, बल्कि करोडों-करोडों लोगों के दुलारे और प्यारे थे। वे भारत माता के लाल थे। एक मां की कोख धन्य होती है जब ऐसे लाल पैदा होते है। राजीव भाई हमारे भाई ही नहीं बल्कि देश के करोडों-करोडों लोगों के भाई थे। प्रतिभावान, विनम्र, निष्कलंक जीवन था राजीव भाई का। राजीव भाई की याद में देश की जनता स्वदेशी अपनाने का संकल्प ले। ‘भारत स्वाभिमान’ के मुख्यालय का नाम ‘राजीव भवन’ होगा। पतंजलि योगपीठ और भारत स्वाभिमान के लिये समर्पित थे राजीव भाई। एक वाणी जो भ्रष्ट व्यवस्थाओं के खिलाफ ‘आग उगलती वह आज मौन हो गयी।’ राजीव भाई को इन्साइक्लोपीडिया कहा जाता था। वे चलते-फिरते अथाह ज्ञान के सागर थे।– डाँक्टर प्रणव पंड्या जी
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baba ramdev, rajiv bhai, rajiv dixit, swadeshi movement |
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