24-11-2012, 10:48 PM | #131 |
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Re: छींटे और बौछार
विपद की इस घड़ी में भी, मेरी आँखें नहीं रोयी मैं नदिया हूँ बहा करती, निरंतर और द्रुत गति से मेरी धारा है अति पावन, हुयी क्या भूल है मुझ से मेरे तट पर नहीं आते, पशु-पक्षी-पथिक प्यासे बिना उपयोग के जीवन, नदी का है भला कोई विपद की इस घड़ी में भी, मेरी आँखें नहीं रोयी मैं तरुवर हूँ मरुस्थल का, मीठे फल बड़े प्यारे घने पत्ते हैं शीतालकर, मगर नीरस वा बेचारे दशा पर मेरी हँसते हैं, ये चन्दा सूरज वा तारे अकेला हूँ मैं निर्जन में, नहीं सानिध्य में कोई विपद की इस घड़ी में भी, मेरी आँखें नहीं रोयी मैं बदली हूँ, बरस करके, 'जय' नीरसता मिटा देती आँचल में भरा अमृत, मैं धरती पर लुटा देती कृषक मुझको न देखें अब, भले सूखे फसल, खेती बरसना तो रुदन है अब, नहीं जब मूल्य हो कोई विपद की इस घड़ी में भी, मेरी आँखें नहीं रोयी
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
25-11-2012, 07:22 AM | #132 |
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Re: छींटे और बौछार
बहुत बढ़िया जय भाई।
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26-11-2012, 08:37 AM | #133 |
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Re: छींटे और बौछार
जय जी आपको फिर से फोरम पर देख कर अच्छा लगा।
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26-11-2012, 10:55 AM | #134 |
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Re: छींटे और बौछार
जय भैया
बहुत ख़ुशी हुई पुनः आपको सक्रीय देखकर और आपकी रचना पढ़कर
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
26-11-2012, 10:57 AM | #135 | |
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Re: छींटे और बौछार
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अब इसमें जान आ गयी
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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26-11-2012, 12:38 PM | #136 |
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Re: छींटे और बौछार
जय भइया ! आपको फोरम पर देखकर बहुत खुशी हुई ! उम्मीद है अब आपसे फोरम पर मुलाकात होती रहेगी |
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26-11-2012, 04:36 PM | #137 |
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Re: छींटे और बौछार
कौन हतभाग्य ऐसा, न चाहे साथ चलना आपके
असंख्य हैं जिनके लिए, सौभाग्य दर्शन आपके. कामना है, इन दृगों को लेखनी यह नित दिखे ज्ञान गंगा के लिए हम नित निहारें सूत्र आपके.
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
26-11-2012, 04:59 PM | #138 |
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Re: छींटे और बौछार
जय जी ......फोरम पर पुन: सक्रीय होने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ........!
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ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें ! आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....! love is life |
26-11-2012, 10:40 PM | #139 | |||
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Re: छींटे और बौछार
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26-11-2012, 10:41 PM | #140 |
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Re: छींटे और बौछार
जीवन पथ पर ठहराव अनेकों, अनचाहे 'जय' आते हैं।
प्रबल धैर्य और चपल बुद्धि से, हम आगे बढ़ जाते हैं।।
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