09-04-2012, 12:42 AM | #6121 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
नई दिल्ली। अदालत से एक लड़की को ऐसा तोहफा मिला कि शादी वाले दिन उसे एक झूठे मामले से बरी कर दिया गया । अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रमेश कुमार ने दिल्ली यातायात पुलिस के हैड कांस्टेबल सुंदर सिंह के साथ दुर्व्यवहार के झूठे मामले में फंसाई गई जागृति को बरी कर दिया। अदालत ने दिल्ली पुलिस के इस तर्क को खारिज कर दिया कि सिंह ने गलत दिशा में स्कूटर चला रही लड़की को रोका और जब वह चालान रसीद तैयार कर रहा था तो जागृति ने भागने की कोशिश की। सिंह ने यह भी दावा किया था कि जब लड़की ने भागने की कोशिश की तो उसने उसके वाहन को पीछे से पकड़ लिया। इससे वह कुछ दूरी तक घिसटता चला गया और उसे गंभीर चोटें आईं तथा घटनास्थल पर बहुत से लोग एकत्र हो गए। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कुमार ने हालांकि कि उल्लेख किया कि अपनी चिकित्सा जांच के दौरान सिंह ने उस समय भी लड़की का नाम नहीं बताया जब डॉक्टर ने उससे खास तौर पर पूछा कि उसे किसने घायल किया है । उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि उसे आरोपी के नाम की जानकारी थी। उसने अपने से हुई जिरह में स्वीकार किया था कि आरोपी ने उसे अपना नाम बताया था। फिर यह बात समझ नहीं आती कि हैड कांस्टेबल सुंदर ने डॉक्टर के सामने लड़की के नाम का खुलासा क्यों नहीं किया। अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि जनता से किसी व्यक्ति को गवाह नहीं बनाया गया, जबकि घटना दिन में व्यस्त मार्ग पर हुई थी। दूसरी ओर, लड़की ने अपने तर्क में कहा था कि एक खास स्थान पर जाने के लिए उसने सिंह से रास्ता पूछा था, लेकिन उसने दुर्व्यवहार की कोशिश की और जब उसने विरोध किया तो कांस्टेबल ने उसे थप्पड़ जड़ दिया। उसने यह भी कहा कि जब घटनास्थल पर बहुत से लोग इकट्ठे हो गए तो उसे थाने ले जाया गया और झूठे मामले में फंसा दिया गया ।
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09-04-2012, 12:43 AM | #6122 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
उपेक्षा का दर्द लिए उदास खड़ी है ब्रिटिश काल की ‘चिमनी’
खर्सियोंग। एक समय यात्रियों के लिए यह शहर का सीमा चिन्ह होती थी लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरा खर्सियोंग शहर की ब्रिटिश जमाने की प्रसिद्ध ‘चिमनी’ को लोगों ने भुला दिया। आज यह गुमसुम उदास खड़ी है और प्रशासन के आने की बाट जोह रही है। समुद्र तल से 7,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित ईंटों से बनीं यह चिमनी ब्रिटिश राज में बनी थी लेकिन आज यह उपेक्षा की शिकार है। एक समय 27 फुट लंबी चिमनी दार्जिलिंग की ठिठुरती ठंड से यात्रियों को राहत देती थी और साथ ही शहर की महत्वपूर्ण निशानी थी। गांववाले याद करते हैं कि अंग्रेज रात के वक्त इसे ठहरने के तौर पर इस्तेमाल करते। उस वक्त वर्तमान का हिल कार्ट रोड नहीं बना था। चिमनी में घोड़ों का एक अस्तबल भी हुआ करता था। आज यह न केवल उपेक्षा का शिकार है बल्कि स्थानीयों लोगों के अतिक्रमण का गंभीर खतरा भी यह झेल रही है। काउंसलर और संरक्षण विभाग के प्रभारी विनोद शर्मा ने बताया कि चिमनी का एक हिस्सा नगर निकाय के जिम्मे है। उन्होंने कहा कि निकाय की अगली बैठक में इसके रखरखाव के लिए कदम उठाने पर चर्चा की जाएगी।
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09-04-2012, 12:43 AM | #6123 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
ट्रेनों के लिए प्रोफेसर ने बेहतर शौचालय विकसित करने का दावा किया
नई दिल्ली। रेलवे की ओर से यात्री ट्रेन के डिब्बों में डीआरडीओ द्वारा निर्मित जैव शौचालयों का इस्तेमाल किए जाने की तैयारियों के बीच पुणे के एक प्रोफेसर ने ज्यादा कारगर और किफायती हरित शौचालय विकसित करने का दावा किया है। यह नकदी के संकट से जूझ रहे संगठन के लिए संसाधनों को बचाने में मददगार साबित होगा। सिंहगढ़ डेंटल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख राजीव सक्सेना ने कहा कि उनके और उनके छात्रों द्वारा विकसित की गई प्रौद्योगिकी भारतीय परिस्थितियों में काम करेगी। प्रोफेसर ने दावा किया, रेलवे ने जिस प्रौद्योगिकी को अपनाया है वह बदलती मौसमी दशाओं के कारण कारगर तरीके से काम नहीं कर सकती है। लेकिन हमने जो प्रौद्योगिकी विकसित की है वह हर तरह के मौसम में और बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के काम करती है। उन्होंने कहा कि वह रेलवे के समक्ष प्रस्तुति देने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रौद्योगिकी के तहत डिब्बे के नीचे कंटेनर लगाया जाएगा, जिसमें थर्मल प्लेट लगे होंगे जो मल को गर्म करेगा और सभी जीवाणुओं को नष्ट करेगा। बची सामग्री एक पाइप के जरिए पहिए के निकट लगे कंटेनर में चली जाएगी और ट्रेन के वाशिंग यार्ड में पहुंचने पर उसे खाली कर दिया जाएगा। सक्सेना ने कहा कि अपशिष्ट पदार्थ का खाद या बायो गैस संयंत्र में बिजली पैदा करने में इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे रेलवे को धन जुटाने की प्रक्रिया में मदद मिलेगी।
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09-04-2012, 09:18 PM | #6124 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
कांग्रेस 2014 के लोस चुनाव से पहले कुछ राज्यों में सरकार और पार्टी में फेरबदल करेगी
नई दिल्ली। हाल के विधानसभा चुनावों में निराशाजनक नतीजे आने के साथ कांग्रेस अगले लोकसभा चुनाव के मुकाबले के लिए अपने को तैयार करने के परोक्ष इरादे से कुछ राज्यों में सरकार और संगठन में बड़ा बदलाव करने की योजना बना रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी शासित कुछ राज्यों में सरकार और संगठन में बदलाव हो सकता है। यह बदलाव विधानसभा चुनाव में हार के कारणों की समीक्षा करने के लिए बनी ए के एंटनी समिति की इस महीने के अंत में रिपोर्ट आने के बाद किये जायेंगे । संसद का बजट सत्र 22 मई को समाप्त होगा । वरिष्ठ नेता ने कहा कि जो बदलाव किया जायेगा उसका उद्देश्य नये चेहरों को सामने लाना है ताकि 2014 के लोकसभा चुनाव की चुनौतियों का सामना करने में मदद हो । उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और मुंबई सहित अनेक राज्यों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है और ऐसी चर्चा है कि उत्तर प्रदेश में संगठन में जिला स्तर तक पर बदलाव किया जा सकता है। उच्चतम न्यायालय की टिप्पणियों के मद्देनजर केन्द्रीय मंत्री विलासराव देशमुख विपक्ष के निशाने पर हैं। उधर मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों में पार्टी में असहजता बढती जा रही है।
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09-04-2012, 09:19 PM | #6125 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
मध्य प्रदेश में अभी भी 70 प्रतिशत से अधिक परिवारों के पास शौचालय नहीं
भोपाल। आजादी के साठ से अधिक साल बीत जाने के बावजूद मध्य प्रदेश में 70 प्रतिशत से अधिक मकानों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध नहीं है और लोग खुले में जाने को मजबूर हैं। जनगणना संचालक सचिन सिन्हा ने आज यहां जनगणना 2011 के आंकडे जारी करते हुए बताया कि प्रदेश में परिसर के अंदर मात्र 28.8 प्रतिशत परिवारों को शौचालय की सुविधा है जबकि 71.2 प्रतिशत परिवारों को शौचालय सुविधा उपलब्ध नहीं है जबकि जनगणना 2001 में 76 प्रतिशत परिवारों के पास शौचालय सुविधा नहीं थी। उन्होने बताया कि परिसर के अंदर 25.8 प्रतिशत परिवारों के पास स्ननागृह की सुविधा है जबकि 21.4 प्रतिशत परिवारों के पास बिना छत के स्नानगृह उपलब्ध हैं। उन्होने बताया कि प्रदेश में 52.8 प्रतिशत परिवारों के पास स्नानगृह की सुविधा नहीं है। सिन्हा ने बताया कि खाना पकाने के लिये 66.4 प्रतिशत परिवार जलाउ लकडी का उपयोग करते हैं जबकि कैरोसिन तेल का उपयोग मात्र 1.3 प्रतिशत परिवारों द्वारा किया जाता है। इसमें 0.60 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी है।
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09-04-2012, 09:19 PM | #6126 |
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खुर्शीद को कैबिनेट से हटाने संबंधी जनहित याचिका खारिज
लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनउ पीठ ने आज एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद को हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अल्पसंख्यक आरक्षण पर विवादास्पद बयान देने के सिलसिले में उन्हें हटाने की मांग की गयी थी। न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह और न्यायमूर्ति रितुराज अवस्थी की खंडपीठ ने कहा कि न्यायिक समीक्षा के अधिकार का इस्तेमाल प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति को यह परामर्श देने का निर्देश देने के लिए नहीं किया जा सकता कि मंत्री को कैबिनेट से हटाया जाए। ख्ांडपीठ ने कहा कि उक्त कारणों से रिट याचिका में कोई मेरिट :विशेषता: नहीं दिखाई देती। इसलिए इसे खारिज किया जाता है। स्थानीय वकील अशोक पांडेय ने जनहित याचिका दाखिल कर खुर्शीद के बयान पर आपत्ति जताई थी जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग के निर्देशों का भी कथित तौर पर उल्लंघन किया था। खुर्शीद ने गत 8 जनवरी को एक चुनावी रैली में कहा था कि केन्द्र सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग के मौजूदा 27 फीसदी आरक्षण के कोटे में से 9 फीसदी आरक्षण अल्पसंख्यक समुदाय को देगी।
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09-04-2012, 09:20 PM | #6127 |
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98 वर्षीय पूर्व केंद्रीय मंत्री की मानसिक स्थिति का पता लगाने के लिए चिकित्सा बोर्ड के गठन का आदेश
नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने आज भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक से 98 वर्षीय पूर्व केंद्रीय मंत्री शीला कौल की मानसिक स्थिति का परीक्षण करने के लिए वरिष्ठ डाक्टरों का एक बोर्ड गठित करने का आदेश दिया । कौल के खिलाफ अदालत को 1996 के एक हाउसिंग घोटाला मामले में आरोप तय करना है। विशेष सीबीआई न्यायाधीश प्रदीप चड्डा ने कहा, ‘‘आपसे (एम्स निदेशक से) चिकित्सा विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों के वरिष्ठ डाक्टरों का एक मेडिकल बोर्ड गठित करने को कहा जाता है जो उनकी जांच करेगा और अपनी राय देगा कि क्या वह अपने खिलाफ अदालती सुनवाई समझ पाएंगी और क्या वह अस्वस्थ मानसिक और शारीरिक स्थिति की हैंं।’’ अदालत ने 30 अप्रैल तक रिपोर्ट मांगी है। कौल के वकील ने कहा था कि उनकी मुवक्किल अदालती सुनवाई समझने की स्थिति में नहीं है और उनकी मानसिक स्थिति के बारे में रिपोर्ट करने के लिए एक बोर्ड बनाया जाए। अदालत ने पांच फरवरी को उनके और उनके दो पूर्व सहयोगियों-राजन लाला और निजी सहायक आर के शर्मा के खिलाफ आरोप तय करने का फैसला किया था। अदालत ने आरोप तय करने के लिए मामले की सुनवाई 17 फरवरी के लिए स्थगित कर दी थी लेकिन कौल के पेश नहीं पाने पर उसने ऐसा करना टाल दिया था। सीबीआई ने अप्रैल, 2003 में दायर अपने आरोप पत्र में कहा था कि कौल और उनके दो निजी कर्मचारियों को 1992 और 1995 के बीच अधिकारियों से धनसंबंधी लाभ लेकर उन्हें बिना बारी के सरकारी आवास आवंटन किया था। तीनों ने कथित रूप से सरकारी कर्मचारियों से आवास के संबंध में सीधे ही आवेदन लिए थे और मंत्री ने संपदा निदेशालय की आपत्ति पर बिना विचार किए आदेश जारी किए थे। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था। शीर्ष न्यायालय ने वकील शिव सागर तिवारी की एक जनहित याचिका यह आदेश जारी किया था।
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09-04-2012, 09:22 PM | #6128 |
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दूरसंचार विभाग विदेशी कंपनियों की तरफ से संभावित दावों पर कानूनी राय लेगा
नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग इस बारे में कानूनी राय ले सकता है कि क्या रूस की सिस्तेमा तथा नार्वे की टेलीनार जैसे विदेशी दूरसंचार कंपनियां लाइसेंस रद्द होने पर द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौतों के तहत भारत से नुकसान की भरपाई का दावा कर सकते हैं। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि दूरसंचार विभाग (डीओटी) देश के महान्यायवादी से राय ले सकता है कि क्या उच्चतम न्यायालय के 2जी लाइसेंस रद्द करने के आदेश को विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के तहत चुनौती दी जा सकती है। दूरसंचार विभाग महान्यायवादी से इस बारे में भी राय ले सकता है कि क्या इस प्रकार के विदेशी निवेशक समझौतों के उल्लंघन तथा उनके निवेश की सुरक्षा करने में विफल रहने पर भारत से नुकसान की भरपाई का दावा कर सकते हैं। उच्चतम न्यायालय ने 2 फरवरी के अपने आदेश में 2008 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा द्वारा आवंटित 122 दूरसंचार लाइसेंस रद्द करते हुए इसे अवैध करार दिया था। इस निर्णय से यूनिनोर, सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज (एसएसटीएल), टाटा टेलीसर्विसेज, आइडिया सेल्यूलर तथा एस टेल पर प्रभाव पड़ा है। ये सभी विदेशी निवेशक कंपनियां हैं। दूसरी तरफ टेलीनोर (यूनिनोर की संयुक्त उद्यम सहयोगी) तथा सिस्तेमा (एसएसटीएल में संयुक्त उद्यम सहयोगी) ने देश में अपने निवेश की सुरक्षा के लिये द्विपक्षीय समझौतों का हवाला दिया है। दूरसंचार विभाग को यूनिटेक वायरलेस समूह कंपनियों, एस टेल, लूप मोबाइल टेलीकाम तथा एतिसलात डीबी से उनके निवेश की सुरक्षा के लिये अनुरोध पत्र मिला है। डीओटी के अनुसार क्षेत्र में प्रमुख विदेशी निवेश रूस, सिंगापुर तथा मारीशस के रास्ते आया है। भारत का रूस तथा मरीशस के साथ द्विपक्षीय निवेश संवर्द्धन तथा संरक्षण समझौता है जबकि सिंगापुर के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) तथा जापान के साथ व्यापक सहयोग साझीदारी समझौता (सेपा) है।
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09-04-2012, 10:54 PM | #6129 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
आजम खां ने शाही इमाम को दी चुनौती
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं नगर विकास मंत्री मोहम्मद आजम खान ने दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी को चुनौती देते हुए कहा कि वह मुरादाबाद से मेयर का चुनाव लड़े और जीत कर दिखाए।खान ने सोमवार को यहां संवाददाताओं के सवालों का जवाब देते हुए चुनौती भरे अंदाज में कहा कि मैं चुनौती देता हूं कि बुखारी मुरादाबाद से मेयर का चुनाव जीत कर दिखाए , उनकी जमानत जब्त हो जाएगी और अगर ऐसा न हो तो मैं सियासत छोड़ दूंगा। उन्होंने नसीहत भरे अंदाज में इमाम बुखारी से कहा कि उनका काम नमाज पढ़ाना है, वे वही करें सियासत न करें और यह भी कहा कि हम सभी को उनकी हैसियत के बारे में पता है। बुखारी और आजम खां के बीच उस समय वाक युद्ध छिड़ गया जब बुखारी ने आजम खां को चुनौती देते हुए कहा था कि आजम खां रामपुर की जगह किसी अन्य स्थान से चुनाव लड़ कर दिखाए। उल्लेखनीय है कि विधान सभा चुनाव में सैय्यद बुखारी के दामाद उमर अली खां को सपा का टिकट दिया गया था लेकिन वे न केवल चुनाव हार गए बल्कि उनकी जमानत जब्त हो गई थी। इसके बाद सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अली खां को विधान परिषद का उम्मीदवार घोषित किया था, पर सैय्यद बुखारी राज्यसभा का टिकट चाहते थे जिसके चलते बुखारी ने विधान परिषद टिकट वापस कर दिया था।
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09-04-2012, 10:57 PM | #6130 |
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Re: एकदम ताज़ा ख़बरें
हत्या मामले में पाक नागरिक चिश्ती को जमानत
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1992 के हत्या के एक मामले में राजस्थान के अजमेर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 80 वर्षीय बीमार पाकिस्तानी सूक्ष्मजीव विज्ञानी मोहम्मद खलील चिश्ती को सोमवार को जमानत दे दी। न्यायमूर्ति पी सदाशिवम् और न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की पीठ ने चिश्ती को यह राहत उसकी अधिक उम्र तथा इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए दी कि वह अपने खिलाफ हत्या का मामला दर्ज होने के बाद गत 20 वर्ष से जेल में बंद हैं। हत्या का मामला तब का है जब वह अजमेर की यात्रा पर आया था। न्यायालय इसके साथ ही चिश्ती के कराची वापस जाने देने के अनुरोध पर भी सुनवाई करने पर सहमत हुआ और उससे कहा कि वह इसके लिए अलग याचिका दायर करे। पीठ ने हालांकि चिश्ती से कहा कि वह अगले आदेश तक अजमेर छोड़कर नहीं जाए। पीठ ने आदेश देते हुए कहा कि हम इस बात से संतुष्ट हैं कि जमानत पर रिहा किए जाने का मामला बनता है। चिश्ती को जमानत पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के अधिकारियों के बीच उनके मामले पर चर्चा होने के एक दिन बाद मिली है। चिश्ती की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता यूयू ललित ने जब कहा कि उन्हें कम से कम दिल्ली में रहने की अनुमति दी जाए तो पीठ ने कहा कि आप एक अन्य आवेदन दाखिल करें और इन बातों का उल्लेख करें कि आप अपने मुल्क जाना चाहते हैं। हम उस पर विचार करेंगे। राष्ट्रीय राजधानी जाने की अनुमति देने संबंधी चिश्ती की याचिका का राजस्थान सरकार ने विरोध किया। उसने कहा कि चिश्ती को जारी वीजा में उन्हें सिर्फ अजमेर और नजदीकी इलाकों में रहने की अनुमति दी गई है। न्यायालय ने इसके बाद चिश्ती को अगले आदेश तक अजमेर छोड़कर नहीं जाने को कहा। सुनवाई के दौरान पीठ ने जरदारी की यात्रा का भी उल्लेख किया। सोमवार की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि अगर चिश्ती ने अपना पासपोर्ट जमा नहीं किया है तो उन्हें ऐसा करना है। चिश्ती के परिवार ने उन्हें जमानत पर रिहा करने के शीर्ष अदालत के आदेश पर खुशी जताई। चिश्ती की पुत्री सोहा ने इस्लामाबाद में मीडिया से कहा कि जमानत ‘अल्लाह’ और असंख्य पाकिस्तानियों और भारतीयों के प्रयास के कारण मिली है। हत्या के इस मामले में 18 वर्ष चली सुनवाई के बाद अजमेर की सत्र अदालत ने अंतत: चिश्ती को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। सत्र अदालत ने सुनवाई के दौरान चिश्ती को जमानत दे दी थी लेकिन उन्हें अजमेर नहीं छोड़ने का आदेश दिया गया था। दोषी साबित होने पर सजा काटने के लिए उन्हें फिर से गिरफ्तार किया गया। अजमेर में वर्ष 1992 के हत्या मामले में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार होने के बाद सत्र अदालत ने उन्हें कुछ दिन बाद ही जमानत दे दी थी लेकिन उसने उन्हें अजमेर छोड़कर नहीं जाने का आदेश दिया था। हृदय और बहरेपन समेत कई अन्य बीमारियों से पीड़ित चिश्ती दोषी साबित होने से पहले तक अपने भाई के मुर्गीपालन फार्म में रहते थे। चिश्ती का मामला उस समय प्रकाश में आया था, जब उच्चतम न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति काटजू ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि पाकिस्तानी नागरिक को मानवीय आधार पर माफ कर दिया जाए। चिश्ती कराची मेडिकल कालेज में विषाणु विज्ञान के प्रोफेसर थे तथा उन्होंने एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से पीएचडी की है।
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