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#1 |
Diligent Member
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![]() ■■■■■■■■■■■ इस तरह दिल चुराने लगी वो मुझे गुनगुनाने लगी हो गयी क्या मुहब्बत उसे गेसुओं को सजाने लगी अश्क़ बहने लगे इश्क़ में और वो मुस्कुराने लगी जान लेकर मेरी क्या कहूँ जान ही दूर जाने लगी बात उसकी चुभी इस क़दर शर्म तीरों को आने लगी छोड़ 'आकाश' प्यासा मुझे डुबकियाँ वो लगाने लगी ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 19/06/2020 ■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) पिन- 274304 मो- 9919080399 |
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#2 |
Member
Join Date: Jun 2013
Posts: 15
Rep Power: 0 ![]() |
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Bahut khoob
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