23-02-2011, 01:53 PM | #31 |
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Re: मानो या ना मानो!!! यह सच है!!!!!!
बर्न्स ने कहा कि ' सचिन ' यहां नहीं है। मैं उसे बहुत मिस कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि वह ' सचिन ' को अपने साथ नहीं ला सके , लेकिन घर पर उसकी देखभाल के लिए काफी लोग हैं। सचिन तेंडुलकर बर्न्स के फेवरिट बैट्समैन हैं। इसलिए उन्होंने अपने कुत्ते को यह नाम दिया है। उनका मानना है कि तेंडुलकर ' सुपरमैन ' हैं और कुछ भी कर गुजर सकते हैं।
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
24-02-2011, 04:49 PM | #32 |
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Re: मानो या ना मानो!!! यह सच है!!!!!!
सूत्र पर आपके सहयोग के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
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25-02-2011, 05:52 AM | #33 |
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Re: मानो या ना मानो!!! यह सच है!!!!!!
धन्यवाद भुमि जी आगे और सहयोग करुगा
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ईश्वर का दिया कभी 'अल्प' नहीं होता,जो टूट जाये वो 'संकल्प' नहीं होता,हार को लक्ष्य से दूर ही रखना,क्यूंकि जीत का कोई 'विकल्प' नहीं होता. |
25-02-2011, 05:46 PM | #34 |
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Re: मानो या ना मानो!!! यह सच है!!!!!!
"डैड बॉल" "डैड बॉल" यानि की वोअर की वह गेंद जिसे गिना नहीं, का स्पष्टीकरण अलग -अलग तरह दिया जाता है मैच के दौरान जब अम्पायर को नजर आता है की क्षेत्ररक्षक तैयार नहीं है या बल्लेबाज खेलने के लिए तैयार नहीं तो गेंद को डैड घोषित कर देते हैं आस्ट्रेलिया -दक्षिण अफ्रीका मेलबोर्न टेस्ट के दौरान मोर्ने मोर्केल एक गेंद फैंकने के लिए अपना रन अप शुरू कर चुके थे. सामने थे "साइमन केटिच" अचानक ही साइमन केटिच क्रीज से हट गए - तब तक मोर्केल के हाथ से गेंद छूट चुकी थी. गेंद सीधे स्टंप्स पर जा लगी और मिडिल और लैग दोनों उड़ा ले गयी. अम्पायर ने तब तक गेंद को डैड घोषित नहीं किया था. मोर्केल विकेट की अपील कर रहा थे और कैटिच को डैड बॉल के इशारे का इन्तजार था तो अब सवाल ये है की अम्पायर अलीम दार क्या कर रहे थे? असल मैं अलीम दार के चहरे पर मख्खी बैठ गयी थी और वे अपने हाथ से मख्खी उड़ा रहे थे. मख्खी उडी तो उन्होंने गेंद को डैड घोषित कर दिया. कैटिच को अहसास हो गया था की मोर्केल गुस्से में हैं. उन्होंने गेंद उठाई और मोर्केल तक गए- न सिर्फ गेंद दी बल्कि,उसनी पीठ भी थपथपाई. चहरे से मक्खी उड़ाने के चक्कर मैं अलीम दार को डैड बॉल कहना याद ही नहीं रहा
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25-02-2011, 06:15 PM | #35 |
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Re: मानो या ना मानो!!! यह सच है!!!!!!
"ऐसा मैच सिर्फ यहाँ हो सकता है " विश्व में और कहाँ ये संभव है की जिन पर क़त्ल और बड़े -बड़े अपराध का आरोप हो वे जेल की दीवारों के अन्दर क्रिकेट मैच खेलें और उनका खेल देखने के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर मौजूद हों. दिल्ली के तिहाड़ जेल मैं संगीन अपराध के आरोपियों ने ट्वंटी- 20 मैच खेला और उनकी क्रिकेट का हौसला बढ़ाने वीरेंद्र सहवाग, मुरली कार्तिक,और शिखर धवन जैसे अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर मौजूद थे. खेलने वालों में जेसिका लाल हत्याकांड में फंसे मनु शर्मा और एक अन्य अपराधी संतोष कुमार सिंह भी थे
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25-02-2011, 06:18 PM | #36 |
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Re: मानो या ना मानो!!! यह सच है!!!!!!
: मुरली कार्तिक ने कहा- मैंने तो इससे पहले जेल देखा भी नहीं था
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25-02-2011, 06:28 PM | #37 |
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Re: मानो या ना मानो!!! यह सच है!!!!!!
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03-03-2011, 04:36 PM | #38 | |
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Re: मानो या ना मानो!!! यह सच है!!!!!!
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04-03-2011, 07:49 AM | #39 |
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Re: मानो या ना मानो!!! यह सच है!!!!!!
मान गये सर जी
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Gaurav kumar Gaurav |
04-03-2011, 09:06 AM | #40 |
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Re: मानो या ना मानो!!! यह सच है!!!!!!
"सबसे लम्बा क्रिकेट मैच" सितम्बर २००८ में एक खबर आई थी कि इंग्लैण्ड में "ब्लन्हेम (blunham) क्रिकेट क्लब" ने सबसे लम्बा क्रिकेट मैच खेला. यह मैच लगातार 59 घंटे 35 मिनट तक चला. रात के समय तापमान गिरकर 5 डिग्री तक हो गया था लेकिन क्रिकेटर धुन के ऐसे पक्के थे कि खेलते ही रहे. क्यूँकि नया रिकार्ड बनाने की कोशिश की जारी थी इसलिए "गिनीज बुक ऑफ़ रिकार्ड" वाले मैच देखें मौजूद थे हर रिकार्ड का कोई सबूत चाहिए इसलिए पूरे मैच की वीडियो रिकार्डिंग हो रही थी. गिनीज के विशेषज्ञों को यही रिकार्डिंग अपने साथ ले जानी थी रिकार्ड को मान्यता देने के लिए. अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस वीडियो रिकार्डिंग का कितना महत्व था क्योंकि सारा दारोमदार रिकार्डिंग पर टिका था. विश्वाश कीजिए यह रिकार्डिंग गायब हो गई. गिनीज ने रिकार्डिंग के बिना इस कोशिश को मान्यता देने से इनकार कर दिया. इस तरह लगभग 60 घंटे तक लगातार खेलने की म्हणत बेकार हो गई बदकिस्मती ऐसी कि साथ ही साथ एक कंप्यूटर पर भी रिकार्डिंग हो रही थी लेकिन किसी वजह से कंप्यूटर में फ़ाइल करप्ट हो गयी. कंप्यूटर ठीक करने के चक्कर में सारी फ़ाइल उड़ गयी. गिनीज वालों को फिर से अपील की गयी कि चूँकि उनके अधिकारी मैच देखने मौजूद थे इसलिए उनकी रिपोर्ट के आधार पर रिकार्ड को मान्यता मिले. तब तक गिनीज वालों ने नजरिया बदला और मैच की अखबारों में हुई रिपोर्टिंग तथा जो फुटेज टेलीविजन पर दिखाई उसी को आधार बनाकर रिकार्ड को मान्यता दे दी इस तरह रिकार्ड बन गया
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