03-01-2016, 06:17 PM | #1 |
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ग़ज़ल/ गीतिका
_____________________________ ये' कलयुग है यहाँ तो पाप को मिलता ठिकाना है कि सच मैं बोल कर टूटा बड़ा झूठा जमाना है यहाँ पर पाप हैं करते कि हम औ आप हैं करते बहुत दौलत जुटा कर भी हमें सब छोड़ जाना है न पूछो हाल कैसे हो गुजारा हो रहा कैसे मे'री मजबूरियों पे क्या तुझे फिर मुस्कुराना है हैं' यादें आज भी मेरा कलेजा चीर देतीं जो वही यादें बचीं मुश्किल जि'न्हें अब भूल पाना है भला 'आकाश' तुमसे हम शिकायत किसलिए करते तु'म्हारा काम जब केवल सभी का दिल दुखाना है ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी _____________________________ पता- वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर, पोस्ट- कुबेरस्थान, जनपद- कुशीनगर, उत्तर प्रदेश |
04-01-2016, 08:48 AM | #2 | |
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Re: ग़ज़ल/ गीतिका
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
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10-01-2016, 09:33 AM | #3 |
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Re: ग़ज़ल/ गीतिका
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