17-04-2013, 05:22 AM | #1 |
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नाचोगे तो बुढ़ापा भी रहेगा दूर
लम्बी उम्र के कई खतरे होते हैं। उन अतिरिक्त सालों में पुरानी बीमारियों के कारण लोग बीमारी और कमजोरी से जूझते दिखेंगे। यही नहीं, स्वस्थ रहने का खर्च आसमान छुएगा। अमरीका में अल्जाइमर जैसी बुढ़ापे की बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या एक करोड़ 32 लाख होने की सम्भावना है, यानी अल्जाइमर के रोगियों की संख्या सदी के मध्य तक दोगुनी हो जाएगी। ऐसे मरीजों की देखभाल का खर्चा भी एक लाख करोड़ डॉलर होने की सम्भावना है।
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17-04-2013, 05:23 AM | #2 |
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Re: नाचोगे तो बुढ़ापा भी रहेगा दूर
शोध
पूरी दुनिया के वैज्ञानिक ये पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि उम्र बढ़ने के साथ ही साथ वे कैसे स्वस्थ भी रहें। इसके नए और किफायती तरीके तलाशने की कोशिश की जा रही है। इस बात की भी सम्भावनाएं तलाशने की कोशिश हो रही है कि क्या कला के जरिए अधिक उम्र में होने वाली बीमारियों का इलाज सम्भव है? तात्पर्य ये कि क्या रचनात्मक गतिविधियों के जरिए व्यक्ति ज्यादा दिनों तक जवान बना रह सकता है? परीक्षण कर देख गया कि 66 साल की एक महिला में जो आकर्षण और जोश है वह उनसे आधी उम्र की महिला को भी मात दे रहा है। वे इसका श्रेय डांस को देती हैं। वह कहती हैं पहले मुझे डांस नहीं आता था। अब जब एक बार इसे शुरु कर दिया तो मुझे कोई नहीं रोक सकता। आज ये हाल है कि डांस उनकी जिंदगी बन गया है। वह बताती हैं कि एक कम्पनी हर सप्ताह डांस का वर्कशॉप करती है जिसने यहां डांस सीखने आने वाले सभी बुजुर्गों का जीवन बदल दिया है। डांस में हर स्टेप की टाइमिंग बेहद उतार-चढ़ाव वाली होती है और इस तरह की गतिविधियों से ही इस उम्र में भी सक्रियता और ऊर्जा बनी रहती है।
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17-04-2013, 05:25 AM | #3 |
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Re: नाचोगे तो बुढ़ापा भी रहेगा दूर
बच्चों से ज्यादा बूढ़े
2030 में ऐसा पहली बार होगा कि बूढ़ों की गिनती बच्चों से ज्यादा हो जाएगी और अब नीति निर्माताओं के लिए यह चिंता का प्रमुख विषय होने वाला है कि बुढ़ापे में भी लोग शारीरिक और मानसिक रूप से कैसे भले-चंगे रह सकते हैं? ये माना जा रहा है कि इस संदर्भ में कला एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। वॉशिंगटन में ‘सेंटर फॉर सीनियर्स’ है। इस सेंटर का मकसद बूढ़ों को सामाजिक रूप से सक्रिय रखना है। वे बुजुग,जो अपने जीवन में अलगाव व अवसाद झेल रहे हैं, उनमें यहां आने के बाद खुद को काफी जोशो-खरोश और उत्साह से भरा पा रहे हैं। एक शोध के अनुसार कला के विभिन्न रूपों जैसे डांस, पेंटिंग, ड्राइंग आदि में सक्रिय होने से शरीर और मन पर काफी गहरा असर होता है। हम शारीरिक और मानसिक रूप से निरोग महसूस करते हैं। मगर ये सुनिश्चित करना जरूरी है कि व्यक्ति ज्यादा दिन जीने के साथ-साथ तंदुरुस्त भी रहे। अधिक उम्र से जुडेÞ रोग न केवल कष्टकारी होते हैं बल्कि उनसे जूझना जेब पर भी भारी पड़ता है। सक्रियता रोगों के लक्षणों को टालने में कामयाब होती है।
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