13-07-2013, 11:35 AM | #1 |
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हिंदी प्रश्नोत्तरी
विनय पत्रिका, कवितावली, गीतावली, श्रीकृष्ण गीतावली और हनुमान चालीसा। बाबर ने अपनी आत्मकथा 'बाबरनामा' किस भाषा में लिखी थी? अपनी मातृभाषा चग़ताई तुर्की में। यह एक विलुप्त तुर्की भाषा है, जो कभी मध्य एशिया मध्य एशिया के विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती थी। अधिकांश मुगल राजा तुर्की का ही इस्तेमाल करते थे। द्रुत झड़ो जगत के जीर्ण पत्र - यह पंक्ति किस कवि की कविता से ली गई है? सुमित्रनंदन पंत की कविता से। क्या किसी और कवि ने भी इस आशय की पंक्तियाँ लिखी हैं ? हाँ, जयशंकर 'प्रसाद' ने। 'कामायनी' के श्रद्धा सर्ग में वे लिखते हैं - प्रकृति के यौवन का श्रृंगार करेंगे कभी न बासी फूल, मिलेंगे वे जाकर अति शीघ्र आह उत्सुक है उनकी धूल। सतसैया के दोहरे ज्यों नावक के तीर, देखन में छोटे लगैं, बेधें सकल शरीर - यह दोहा किस कवि की प्रशंसा में कहा गया था ? बिहारीलाल की प्रशंसा में। उनके दोहे बिहारी सतसई में संकलित हैं। माना जाता है कि हर दोहे के लिए बिहारी को उनके आश्रयदाता महाराजा जय सिंह (जयपुर) द्वारा एक अशर्फी प्रदान की जाती थी।
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13-07-2013, 11:38 AM | #2 |
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Re: हिंदी प्रश्नोत्तरी
रामचरितमानस को छोड़ कर तुलसीदास की अन्य पाँच रचनाओं के नाम बताइए।
विनय पत्रिका, कवितावली, गीतावली, श्रीकृष्ण गीतावली और हनुमान चालीसा। बाबर ने अपनी आत्मकथा 'बाबरनामा' किस भाषा में लिखी थी? अपनी मातृभाषा चग़ताई तुर्की में। यह एक विलुप्त तुर्की भाषा है, जो कभी मध्य एशिया मध्य एशिया के विस्तृत क्षेत्र में बोली जाती थी। अधिकांश मुगल राजा तुर्की का ही इस्तेमाल करते थे। द्रुत झड़ो जगत के जीर्ण पत्र - यह पंक्ति किस कवि की कविता से ली गई है? सुमित्रनंदन पंत की कविता से। क्या किसी और कवि ने भी इस आशय की पंक्तियाँ लिखी हैं ? हाँ, जयशंकर 'प्रसाद' ने। 'कामायनी' के श्रद्धा सर्ग में वे लिखते हैं - प्रकृति के यौवन का श्रृंगार करेंगे कभी न बासी फूल, मिलेंगे वे जाकर अति शीघ्र आह उत्सुक है उनकी धूल। सतसैया के दोहरे ज्यों नावक के तीर, देखन में छोटे लगैं, बेधें सकल शरीर - यह दोहा किस कवि की प्रशंसा में कहा गया था ? बिहारीलाल की प्रशंसा में। उनके दोहे बिहारी सतसई में संकलित हैं। माना जाता है कि हर दोहे के लिए बिहारी को उनके आश्रयदाता महाराजा जय सिंह (जयपुर) द्वारा एक अशर्फी प्रदान की जाती थी।
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13-07-2013, 11:38 AM | #3 |
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Re: हिंदी प्रश्नोत्तरी
' हिंदी नई चाल में ढली ' - यह वाक्य किस का है ?
भारतेंदु हरिश्चंद्र का। उन्होंने अपनी पुस्तक 'कालचक्र' में लिखा कि हिंदी नई चाल में ढली सन 1873 में। भारतेंदु के समय में हिंदी को एक नया व्यक्तित्व मिला जिसे व्यापक जनता ने स्वीकार किया। यह सरल-सुबोध खड़ीबोली हिंदी थी जिस पर न संस्कृत की छाया थी न उर्दू की न बाँग्ला की। आधुनिक हिंदी का विकास भारतेंदु युग की इसी गद्य शैली की नींव पर हुआ है। भ्रमर गीत किसे कहते हैं ? यह सूर सागर का वह हिस्सा है जिस में वृंदावन की गोपियाँ कृष्ण द्वारा उन्हें समझाने के लिए भेजे गए उद्भव को तरह-तरह के उलाहने देती हैं। इस खंड में सौ से अधिक पद हैं। रामचंद्र शुक्ल ने इन का संकलन 'भ्रमर गीत सार' नाम की किताब में किया है। 'भ्रमर गीत' नाम पड़ने का कारण यह है कि गोपियों ने इनमें से बहुत-से पद भ्रमर को संबोधित करते हुए कहे थे।
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13-07-2013, 11:39 AM | #4 |
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Re: हिंदी प्रश्नोत्तरी
यह पहेली किसने बुझाई थी - एक थाल मोतियों से भरा / सब के सिर पर औंधा धरा/ चारों और वह थाली फिरे / मोती उससे एक न गिरे ? इसका उत्तर भी बताइए।
यह पहेली अमीर ख़ुसरो (1253-1325) की बनाई हुई है। ख़ुसरो को खड़ीबोली हिंदी का पहला लोकप्रिय कवि माना जाता है। उन्होंने बहुत-सी पहेलियों, मुकरियों, दोहों, गजलों सहित विपुल साहित्य लिखा है। 'काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे' - यह गीत ख़ुसरो ने ही लिखा था। इस पहेली का उत्तर है - आसमान। 'हिल मिलि जाने तासों मिलि के जनावै हेत / हित को न जाने ताकों हितू न बिसाहिए। / होय मगरूर तापै दूनी मगरूरी कीजे / लघु ह्वै चले जो तासों लघुता निबाहिए। / बोधा कवि नीति को निबेरो यहि भाँति अहै / आपको सराहै ताहि आपहू सराहिए। / दाता कहा, सूर कहा, सुंदर सुजान कहा / आपको न चाहे ताके बाप को न चाहिए।'- यह रचना किस छंद में लिखी गई है? क्या इस छंद का प्रयोग किसी आधुनिक काव्यकृति में भी हुआ है? इस छंद का नाम कवित्त है। यह वार्णिक छंद है, जिस का प्रयोग हिंदी में कम ही हुआ है। आधुनिक युग में रामधारी सिंह 'दिनकर' ने अपनी काव्य कृति 'कुरुक्षेत्र' में कवित्त छंद का खूब इस्तेमाल किया है।
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13-07-2013, 11:39 AM | #5 |
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Re: हिंदी प्रश्नोत्तरी
जेनी वॉन वेस्टफेलेन कैन थी ? उस पर हिंदी के किस कवि ने कविता की है?
जेनी जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स की पत्नी थी। उस पर मैथिलीशरण गुप्त ने लघु काव्य लिखा है। (हजारी प्रसाद द्विवेदी का चित्र) 'किसी से न डरना, गुरु से भी नहीं, लोक से भी नहीं... मंत्र से भी नहीं।' यह उक्ति हिंदी के किस उपन्यास से ली गई है? उस के लेखक का नाम बताइए। ' बाणभट्ट की आत्मकथा ' से। यह हजारी प्रसाद द्विवेदी का पहला उपन्यास (प्रकाशन वर्ष : 1955) है। ' भागो नहीं दुनिया को बदलो ' किस लेखक की रचना है ? उनका मूल नाम क्या था ? यह पुस्तक राहुल सांकृत्यायन की है। उनका मूल नाम था, केदारनाथ पांडेय। जयशंकर ' प्रसाद ' ने कितने नाटक लिखे हैं ? उन के किस नाटक में स्त्री विमर्श का प्रमुख स्थान है ? 'प्रसाद' जी ने कुल सात नाटक लिखे : स्कंदगुप्त , चंद्रगुप्त , ध्रुवस्वामिनी , जन्मेजय का नाग यज्ञ , राज्यश्री , कामना और एक घूँट । 'ध्रुवस्वामिनी' में स्त्री प्रश्न को गंभीरता से उठाया गया है। गजानन माधव मुक्तिबोध की कुछ कहानियों का नाम बताइए। काठ का सपना, क्लॉड ईथर्ली, विपात्र, अँधेरे में, पक्षी और दीपक, ब्रह्मराक्षस का शिष्य आदि
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