16-04-2011, 09:21 PM | #1 |
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पैगम्बर मुहम्मद साहब के उपदेश उनका व्यवहा
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16-04-2011, 09:30 PM | #2 |
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Re: पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमके कुछ
पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमके कुछ सदव्यवहार,
स्वभाव औरगुण-विशेषण
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16-04-2011, 09:44 PM | #3 |
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Re: पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमके कुछ
फैज भाई एक मशवरा हैँ मेहरबानी करके बुरा ना माने
इसे सही जगह करवा ले किसी नियामक से कहकर
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
16-04-2011, 09:46 PM | #4 | |
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Re: पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमके कुछ &am
Quote:
पर सिकंदर भाई का जाने कहाँ ध्यान है इसी लिए तो आगे पोस्ट नहीं कर रहा
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16-04-2011, 10:34 PM | #5 | |
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Re: पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमके कुछ &am
Quote:
मै कुछ समय के लिए बाहर गया था आपका सूत्र सही विभाग मे भेज दिया है नाम मे क्या परिवर्तन करना है लिख दीजिए
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
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18-04-2011, 10:23 AM | #6 |
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Re: पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमके कुछ
शीर्षक :- पैगम्बर मुहम्मद साहब के उपदेश और उनका व्यवहार
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Last edited by saajid; 18-04-2011 at 11:15 AM. |
18-04-2011, 11:06 AM | #7 |
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Re: पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमके कुछ &am
पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमके कुछ सदव्यवहार,
स्वभाव औरगुण-विशेषण 1. परिपूर्ण बुद्धिःपैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम परिपूर्णबुद्धिमानता की उस चरम सीमा पर पहुंचे हुए थे जहाँ आप के सिवा कोई मनुष्य नहींपहुंचा है। क़ाज़ी अयाज़ कहते हैं: "परिपूर्ण बुद्धि और उस की विभिन्न शाखाओं में पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का सर्वश्रेष्ट स्थान उस आदमी के निकटनिशिचत रूप से सिद्ध और साबित है जो आप के हालात और समाचार के धारे तथा आप के स्वभाव की निरंतरता और व्यवहार कुशलता को खोजता और टटोलता है,आप के जवामिउल-कलिम(संक्षिप्त परन्तु अर्थपूर्ण व्यापक कथन), आप के शिष्टाचार की सुंदरता, आपके अनुपमजीवन चरित्र् और आप की बुद्धिमत्ता की बातों का अध्ययन करता है,तथा तौरात, इन्जील औरअन्य उतरी हुई आसमानी किताबों में मौजूद बातों, बुद्धिमानों के कथनों, पिछली क़ौमों(समुदायों) के हालात एंव समाचार, कहावतों (लोकोत्तियों)और लोक राजनीतियों के विषय मेंआप के ज्ञान और जानकारी से अवगत होता है, तथा आप का संविधान रचना एंव संचालन, उत्तमशिष्टाचार और सराहने योग्य स्वभाव एंव व्यवहार की स्थापना करना, तथा इनकेअतिरिक्त अनेक प्रकार के शास्त्र् एंव विज्ञान (से अवज्ञत होता है) जिनके विषयमें पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के कथन, उनके ज्ञानियों ने अपना आदर्श औरआप के संकेतों को हुज्जत (तर्क) बनाया है, जैसे- ख़ाब की ताबीर (स्वपनफल), तिब(आयुर्वेद), हिसाब (गणित शास्त्र्), विरासत (मुरदे की जायदाद को बांटने का शास्त्र् )औरनसब (वंशावली शास्त्र् )इत्यादि.... इन समस्त चीज़ों की जानकारी आप को बिना शिक्षाऔर पढ़ाई के प्राप्त थी। इसके लिए आप ने कहीं शिक्षा प्राप्त नहीं की, और न आप नेपिछले लोगों की किताबों का पाठ किया और न ही आप उनके ज्ञानियों और विद्वानों के पासबैठे, बल्कि आप एक अनपढ़ (निरक्षर) ईश्दूत थे (पढ़ना लिखना जानते ही न थे) । आप को इनमें से किसी भी चीज़ का ज्ञान नहीं था यहाँ तक कि अल्लाह तआला ने आप के सीने को खोलदिया, (आप के मामले को स्पष्ट कर दिया), (आप को सिखाया और पढ़ाया।) (अशिशफाबि-तारीफि हुक़ूकि़ल-मुस्त्फा १/८५)
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Last edited by saajid; 18-04-2011 at 11:12 AM. |
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