08-02-2015, 06:47 PM | #12 |
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Re: पैसा----- या------ प्यार
जीवन में प्रेम की महत्ता इसी बात से समझी जा सकती है कि प्रेम यदि झूठा हो तो भी स्वीकार्य है. इस बात पर प्रकाश डालने के लिए यहाँ पर 'जॉनी मेरा नाम' का एक गीत उद्घृत करना ही पर्याप्त होगा-
पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले... झूठा ही सही... दो दिन के लिए कोई इकरार कर ले... झूठा ही सही... हमने बहुत तुझको छुप छुपके देखा... दिल पे खिंची है तेरे काजल की रेखा... काजल की रेखा बनी लछमन की रेखा... राम में क्यों तुने रावण को देखा... खड़े खिड़की पे जोगी स्वीकार कर ले... झूठा ही सही... पल भर के लिए... धीरे से जड़े तेरे नैन बडे... जिस दिन से लड़े तेरे दर पे पडे... सुन सुनकर तेरी नहीं नहीं... जाँ, अपनी निकल जाए ना कहीं... ज़रा हाँ कह दे मेरी जाँ कह दे... मेरी जाँ कह दे ज़रा हाँ कह दे... जब रैन पडे नहीं चैन पड़े... नहीं चैन पडे जब रैन पड़े... माना तू सारे हँसीनो से हसीं है... अपनी भी सूरत बुरी तो नहीं है... कभी तु भी हमारा दीदार करले... झूठा ही सही... पल भर के लिए... पल भर के प्यार पे निसार सारा जीवन... हम वो नहीं जो छोड़ दे तेरा दामन... अपने होंठों की हँसी हम तुझको देंगे... आंसू तेरे अपनी आँखों में लेंगे... तू हमारी वफ़ा का ऐतबार कर ले... झूठा ही सही... पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले... झूठा ही सही...
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