21-03-2011, 08:29 PM | #31 |
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उत्तराखण्ड
ऋषिकेश में गंगा नदी
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
21-03-2011, 08:30 PM | #32 |
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उत्तराखण्ड
झीलें और तालाब
झीलों और तालाबों का निर्माण भू-गर्भीय शक्तियों द्वारा परिवर्तन के पश्चात हिमानियों के रुप में हुआ है जो स्थाई है और जल से भरी है। इनकी संख्या कुमाऊँ मण्डल में सबसे अधिक है। नैनीताल की झील भीमताल जिसकी लम्बाई ४४५ मी. है, एक महत्वपूर्ण झील है। इसके अलावा नैकुनि, चालाल, सातसाल, खुर्पाताल, गिरीताल मुख्य है जो अधिकतर नैनीताल जिले में है। गढ़वाल के तालाब व झीलें: डोडिताल, उत्तरकाशी, देवरियाताल, रुद्रप्रयाग जनपद, वासुकीताल, अप्सरा ताल, लिंगताल, नर्किंसग ताल, यमताल, सहस्मताल, गाँधी सरोवर, रुपकुण्ड धमो जनपद, हेमकुण्ड, संतोपद ताल, वेणीताल, नचकेला ताल, केदार ताल, सातताल, काजताल मुख्य हैं। उत्तराखण्ड के प्रमुख हिमनदों में गंगोत्री, यमनोत्री, चौरावरी, बद्रीनाथ हिमनद महत्वपूर्ण है।
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21-03-2011, 08:45 PM | #33 |
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उत्तराखण्ड
मण्डल और जिले
उत्तराखण्ड में १३ जिले हैं जो दो मण्डलों में समूहित हैं: कुमाऊँ मण्डल और गढ़वाल मण्डल। कुमाऊँ मण्डल के छः जिले हैं: * अल्मोड़ा जिला * उधम सिंह नगर जिला * चम्पावत जिला * नैनीताल जिला * पिथौरागढ़ जिला * बागेश्वर जिला गढ़वाल मण्डल के सात जिले हैं: * उत्तरकाशी जिला * चमोली गढ़वाल जिला * टिहरी गढ़वाल जिला * देहरादून जिला * पौड़ी गढ़वाल जिला * रूद्रप्रयाग जिला * हरिद्वार जिला
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21-03-2011, 08:47 PM | #34 |
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Re: उत्तराखण्ड
वैसे उत्तर प्रदेश की सारी ख़ूबसूरती चली गयी !
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( वैचारिक मतभेद संभव है ) ''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है'' |
21-03-2011, 08:51 PM | #35 |
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उत्तराखण्ड
हां ये बात तो सही कही| अब उ. प्र. में वो रौनक भी नहीं रही|
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21-03-2011, 09:01 PM | #36 |
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Re: उत्तराखण्ड
हाँ एक तो रौनक नहीं ऊपर से ये जलजली मोहतरमा ! आशा है आप समझ गएँ होंगे ! भाई घर नहीं फुक्वाना !
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( वैचारिक मतभेद संभव है ) ''म्रत्युशैया पर आप यही कहेंगे की वास्तव में जीवन जीने के कोई एक नियम नहीं है'' |
30-05-2011, 11:11 PM | #37 |
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उत्तराखण्ड
उत्तराखण्ड के लोग
उत्तराखण्ड के मूल निवासियों को कुमाऊँनी या गढ़वाली कहा जाता है जो प्रदेश के दो मण्डलों कुमाऊँ और गढ़वाल में रहते हैं। एक अन्य श्रेणी हैं गुज्जर, जो एक प्रकार के चरवाहे हैं और दक्षिणपश्चिमी तराई क्षेत्र में रहते हैं। मध्य पहाड़ी की दो बोलियाँ कुमाऊँनी और गढ़वाली, क्रमशः कुमाऊँ और गढ़वाल में बोली जाती हैं। जौनसारी और भोटिया दो अन्य बोलियाँ, जनजाति समुदायों द्वारा क्रमशः पश्चिम और उत्तर में बोली जाती हैं। लेकिन हिन्दी पूरे प्रदेश में बोली और समझी जाती है और नगरीय जनसंख्या अधिकतर हिन्दी ही बोलती है। शेष भारत के समान ही उत्तराखण्ड में हिन्दू बहुमत में हैं और कुल जनसंख्या का ८५% हैं, इसके बाद मुसलमान १२%, सिख २.५%, और अन्य धर्मावलम्बी ०.५% हैं।
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30-05-2011, 11:14 PM | #38 |
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उत्तराखण्ड
कुमाऊँनी लोग
इसमें वे सभी लोग सम्मिलित हैं जो कुमाऊँनी भाषा या सम्बन्धित उपभाषाएँ बोलते हैं, और जो उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मण्डल के अल्मोड़ा, उधमसिंहनगर, चम्पावत, नैनीताल, पिथौरागढ़, और बागेश्वर जिलों में रहते हैं। कूमाऊँनी मूल के लोग बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश में मुख्यतः लखनऊ में रहते हैं। इसके अतिरिक्त दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, और हिमाचल प्रदेश में भी कुमाऊँनी लोग रहते हैं। इस बात के प्रमाण मिले हैं की कुमाऊँ की पहाड़ियों पर एक सहस्त्राब्दी से मनुष्यों का वास रहा है, और आज के कुमाऊँ के लोग विभिन्न स्थानों से आए लोगों के वंशज है जो सदियों से प्रवास कर यहाँ आते रहे। भारत की सशस्त्र सेनाएँ और केन्द्रीय पुलिस संगठन, कुमाऊँ के लोगों के लिए रोजगार का प्रमुख स्रोत रहे हैं। भारत की सीमाओं की रक्षा करने में कुमाऊँ रेजीमेंट की उन्नीस वाहिनियाँ कुमाऊँ के लोगों का स्पष्ट प्रतिनिधित्व करतीं हैं।
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30-05-2011, 11:16 PM | #39 |
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उत्तराखण्ड
गढ़वाली लोग
इसमें वे सभी लोग सम्मिलित हैं जो गढ़वाली भाषा या सम्बन्धित उपभाषाएँ बोलते हैं, और जो उत्तराखण्ड के गढ़वाल मण्डल के उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी, देहरादून, पौड़ी, रूद्रप्रयाग, और हरिद्वार जिलों में रहते हैं। गढ़वाली मूल के लोग बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश में रहते हैं। इसके अतिरिक्त दिल्ली, राजस्थान, और हिमाचल प्रदेश में भी गढ़वाली लोग रहते हैं।
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30-05-2011, 11:19 PM | #40 |
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उत्तराखण्ड
२००१ की जनगणना के अनुसार, उत्तराखण्ड की जनसंख्या ८४,८९,३४९ थी, जिसमें ४३,२५,९२४ पुरुष और ९१,६३,८२५ स्त्रियाँ थीं। इसमें सर्वाधिक जनसंख्या राजधानी देहरादून की ५,३०,२६३ है। मैदानी क्षेत्रों के जिले पर्वतीय जिलों की अपेक्षा अधिक जनसंख्या घनत्व वाले हैं। राज्य के मात्र चार सर्वाधिक जनसंख्या वाले जिलों में राज्य की आधे से अधिक जनसंख्या निवास करती हैं। जिलों में जनसंख्या का आकार २ लाख से लेकर अधिकतम १४ लाख तक है। राज्य की दशकवार वृद्धि दर १९९१-२००१ में १९.२ प्रतिशत रही। उत्तराखण्ड के मूल निवासियों को कुमाऊँनी या गढ़वाली कहा जाता है जो प्रदेश के दो मण्डलों कुमाऊँ और गढ़वाल में रहते हैं। एक अन्य श्रेणी हैं गुज्जर, जो एक प्रकार के चरवाहे हैं और दक्षिण-पश्चिमी तराई क्षेत्र में रहते हैं। मध्य पहाड़ी की दो बोलियाँ कुमाऊँनी और गढ़वाली, क्रमशः कुमाऊँ और गढ़वाल में बोली जाती हैं। जौनसारी और भोटिया दो अन्य बोलियाँ, जनजाति समुदायों द्वारा क्रमशः पश्चिम और उत्तर में बोली जाती हैं। लेकिन हिन्दी पूरे प्रदेश में बोली और समझी जाती है और नगरीय जनसंख्या अधिकतर हिन्दी ही बोलती है।
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