12-11-2010, 09:14 AM | #1 |
Senior Member
Join Date: Nov 2010
Posts: 257
Rep Power: 20 |
प्रेम, प्रणय और धोखा
ज़िंदा है शाहजाहाँ की चाहत अब तक, गवाह है मुमताज़ की उल्फत अब तक ! जाकर देखो इक बार ताज को दोस्तों, पत्थर पत्थर से टपकती है मुहब्बत अब तक !!
__________________
"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!" |
12-11-2010, 05:19 PM | #2 |
Diligent Member
Join Date: Oct 2010
Location: जयपुर (राजस्थान)
Posts: 1,366
Rep Power: 18 |
गुड वर्क अनुज प्रेत
लेकिन इसमें जल्दी जल्दी कुछ प्रविष्टियाँ कीजिये ताकि मजे का मीटर तेज चलने लगे |
12-11-2010, 08:49 PM | #3 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,421
Rep Power: 33 |
अच्छा सूत्र है कल्याण जी. कृपया इसी तरह कार्य करते रहे. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ और चित्र. मेरे विचार से खाली चित्र देने के स्थान पर आपने जो दो पंक्तियाँ लिख दीं उसने इनका प्रभाव दस गुना कर दिया.
__________________
|
13-11-2010, 10:07 AM | #4 |
Banned
Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0 |
भूत भाई,
बहुत देर कर दी मेहरबान आते-आते....... अब आ ही गए है, तो दिखाईए अपना जलवा.... |
16-11-2010, 11:31 PM | #6 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
Posts: 8,512
Rep Power: 100 |
Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
सब अपनी बीवी को चाहें, सूरत से और शिद्दत से /
नारि परायी पर जा अटकें, मर्द बेशरम इस आदत से // अब ऐसे इंसा लाखों हैं, जो हर साल बना दें ताजमहल / 'जय' वैसे अब ना शाहजहाँ, ना वैसी अब मुमताजमहल //
__________________
तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
17-11-2010, 05:55 AM | #7 |
Special Member
|
Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
इश्क ने यहाँ कितनों को कोई और मुकद्दर दिया
दिल को तन्हाई तो आँखों को समंदर दिया इबादत-ए-इश्क में जिसे पूजते रहे खुदा मान कर उस कातिल को इस इश्क ने ही तो खंजर दिया
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
17-11-2010, 10:32 AM | #8 | |
Banned
Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
Rep Power: 0 |
Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
Quote:
ताजमहल की इमारत हर आशिक को मुहब्बत की मिशाल नजर आती है। मै किस-किस के लिए ताज बनवाउ, मुझे तो हर लड़की मुमताज़ नज़र आती है। प्यार तो हमें भी करना था, पर कुछ खास नहीं हुआ। ताजमहल तो हमे भी बनाना था, पर अफसोस.......... लोन पास ही नहीं हुआ। |
|
17-11-2010, 11:28 AM | #9 |
Senior Member
Join Date: Nov 2010
Posts: 257
Rep Power: 20 |
Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
न जाने क्यूँ गले से लिपट कर रोने लगा, जब हम बरसों बाद मिले, जाते हुए जिसने ने कहा था .... की "तुम जैसे लाखों मिलेंगे"…!!!
__________________
"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!" |
17-11-2010, 08:29 PM | #10 |
VIP Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49 |
Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
भूत भाई बहुत कम ही फोरम पे आ रहे हो. क्या समय की कोई पाबन्दी है या कुछ और बात !
__________________
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें! |
Bookmarks |
Tags |
cheating, conspiracy, dokha, hate, hindi forum, illusion, love, pranaya, prem, traitor |
|
|