My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > New India > Knowledge Zone

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 20-05-2011, 12:38 PM   #11
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

Quote:
Originally Posted by prashant View Post
हा बहुत ही अच्छी जानकारी बाँट रहे है/
धन्यवाद प्रशांत भाई
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 20-05-2011, 12:48 PM   #12
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

Quote:
Originally Posted by abhisays View Post
बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी है, इसके लिए सूत्रधार को बहुत बहुत बधाई.
आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद .आप ने मेरा मनोबल बढ़ाया इसके लिए शुक्रिया
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 20-05-2011, 02:59 PM   #13
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

यहाँ यह उल्लेखनीय है कि राजपूताना और राजस्थान दोनों नामों के मूल में "राज' शब्द मुख्य रुप से उभरा हुआ है जो इस बात का सूचक है कि यह भूमि राजपूतों का वर्च लिये रही और इस पर लम्बे समय तक राजपूतों का ही शासन रहा। इन राजपूतों ने इस भूमि की रक्षा के लिए जो शौर्य, पराक्रम और बलिदान दिखाया उसी के कारण सारे वि में इसकी प्रतिष्ठा सर्वमान्य हुई। राजपूतों की गौरवगाथाओं से आज भी यहाँ की चप्पा-चप्पा भूमि गर्व-मण्डित है।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 20-05-2011, 03:01 PM   #14
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

प्रसिद्ध इतिहास लेखक कर्नल टॉड ने इस राज्य का नाम "रायस्थान' रखा क्योंकि स्थानीय साहित्य एवं बोलचाल में राजाओं के निवास के प्रान्त को रायथान कहते थे। इसा का संस्कृत रुप राजस्थान बना। हर्ष कालीन प्रान्तपति, जो इस भाग की इकाई का शासन करते थे, राजस्थानीय कहलाते थे। सातवीं शताब्दी से जब इस प्रान्त के भाग राजपूत नरेशों के आधीन होते गये तो उन्होंने पूर्व प्रचलित अधिकारियों के पद के अनुरुप इस भाग को राजस्थान की संज्ञा दी जिसे स्थानीय साहित्य में रायस्थान कहते थे। जब भारत स्वतंत्र हुआ तथा कई राज्यों के नाम पुन: परिनिष्ठित किये गये तो इस राज्य का भी चिर प्रतिष्ठित नाम राजस्थान स्वीकार कर लिया गया।अगर इस प्रदेश की भौगोलिक संरचना को देख तो राजस्थान के दो प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र हैं। पहला, पश्चिमोत्तर जो रेगिस्तानीय है, और दूसरा दक्षिण-पूर्वी भाग जो मैदानी व पठारी है। पश्चिमोत्तर नामक रेगिस्तानी भाग में जोधपुर, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर जिले आते हैं।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 20-05-2011, 03:04 PM   #15
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

यहाँ पानी का अभाव और रेत फैली हुई है। दक्षिण-पूर्वी भाग कई नदियों का उपजाऊ मैदानी भाग है। इन नदियों में चम्बल, बनास, माही आदि बड़ी नदियाँ हैं। इन दोनों भागों के बीचोंबीच अर्द्धवर्तीय पर्वत की श्रृंखलाएं हैं जो दिल्ली से शुरु होकर सिरोही तक फैली हुई हैं। सिरोही जिले में अरावली पर्वत का सबसे ऊँचा भाग है जो आबू पहाड़ के नाम से जाना जाता है। इस पर्वतमाला की एक दूसरी श्रेणी अलवर, अजमेर, हाड़ौती की है जो राजस्थान के पठारी भाग का निर्माण करती हैं।

राजस्थान में बोली जाने वाली भाषा राजस्थानी कहलाती है। यह भारतीय आर्यभाषाओं की मध्यदेशीय समुदाय की प्रमुख उपभाषा है, जिसका क्षेत्रफल लगभग डेढ़ लाख वर्ग मील में है। वक्ताओं की दृष्टि से भारतीय भाषाओं एवं बोलियों में राजस्थानी का सातवां स्थान है। सन् १९६१ की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार राजस्थानी की ७३ बोलियां मानी गई हैं।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 20-05-2011, 03:08 PM   #16
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

सामान्यतया राजस्थानी भाषा को दो भागों में विभक्त किया जा सकता है। इनमें पहला पश्चिमी राजस्थानी तथा दूसरा पूर्वी राजस्थानी। पश्चिमी राजस्थानी की मारवाड़ी, मेवाड़ी, बागड़ी और शेखावटी नामक चार बोलियाँ मुख्य हैं, जबकि पूर्वी राजस्थानी की प्रतिनिधी बोलियों में ढ़ूंढ़ाही, हाड़ौती, मेवाती और अहीरवाटी है। ढ़ूंढ़ाही को जयपुरी भी कहते हैं।

पश्चिमी अंचल में राजस्थान की प्रधान बोली मारवाड़ी है। इसका क्षेत्र जोधपुर, सीकर, नागौर, बीकानेर, सिरोही, बाड़मेर, जैसलमेर आदि जिलों तक फैला हुआ है। साहित्यिक मारवाड़ी को डिंगल तथा पूर्वी राजस्थानी के साहित्यिक रुप को पिंगल कहा गया है। जोधपुर क्षेत्र में विशुद्ध मारवाड़ी बोली जाती है।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 20-05-2011, 10:10 PM   #17
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

दोस्तों में सूत्र के बिच में एक दोस्तके कहने पर आपको एक महान शक्सियत की फोटो दिखा रहा हूं
ये आपको कितनी पसंद आई आपका रेपो मुझे बताएगा.


रानी लक्ष्मीबाई की असली फोटो


रेपो जरुर करे ताकि आगे भी अच्छे पोस्ट कर सकूँ ....धन्यवाद
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 23-05-2011, 09:20 PM   #18
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

दक्षिण अंचल उदयपुर एवं उसके आसपास के मेवाड़ प्रदेश में जो बोली जाती है वह मेवाड़ी कहलाती है। इसकी साहित्यिक परम्परा बहुत प्राचीन है। महाराणा कुम्भा ने अपने चार नाटकों में इस भाषा का प्रयाग किया। बावजी चतर सिंघजी ने इसी भाषा में अपना उत्कृष्ट साहित्य लिखा। डूंगरपुर एवं बांसवाड़ा का सम्मिलित क्षेत्र वागड़ के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र में जो बोली बोली जाती है उसे वागड़ी कहते हैं।

उत्तरी अंचली ढ़ूंढ़ाही जयपुर, किशनगढ़, टोंक लावा एवं अजमेर, मेरवाड़ा के पूर्वी अंचलों में बोली जाती है। दादू पंथ का बहुत सारा साहित्य इसी में लिखा गया है। ढ़ूंढ़ाही की प्रमुख बोलियों में हाड़ौती, किशनगढ़ी, तोरावाटी, राजावाटी, अजमेरी, चौरासी, नागरचोल आदि हैं।

मेवाती मेवात क्षेत्र की बोली है जो राजस्थान के अलवर जिले की किशनगढ़, तिजारा, रामगढ़, गोविन्दगढ़ तथा लक्ष्मणगढ़ तहसील एवं भरतपुर जिले की कामा, डीग तथा नगर तहसील में बोली जाती है। बूंदी, कोटा तथा झालावाड़ क्षेत्र होड़ौती बोली के लिए प्रसिद्ध हैं।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 23-05-2011, 09:21 PM   #19
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

अहीरवाटी अलवर जिले की बहरोड़ तथा मुण्डावर एवं किशनगढ़ जिले के पश्चिम भाग में बोली जाती है। लोकमंच के जाने-माने खिलाड़ी अली बख्स ने अपनी ख्याल रचनायें इसी बोली में लिखी।

राजस्थान की इस भौगोलिक संरचना का प्रभाव यहाँ के जनजीवन पर कई रुपों में पड़ा और यहाँ की संस्कृति को प्रभावित किया। अरावली पर्वत की श्रेणियों ने जहाँ बाहरी प्रभाव से इस प्रान्त को बचाये रखा वहाँ यहाँ की पारम्परिक जीवनधर्मिता में किसी तरह की विकृति नहीं आने दी। यही कारम है कि यहाँ भारत की प्राचीन जनसंस्कृति के मूल एवं शुद्ध रुप आज भी देखने को मिलते हैं।

शौर्य और भक्ति की इस भूमि पर युद्ध निरन्तर होते रहे। आक्रान्ता बराबर आते रहे। कई क्षत्रिय विजेता के रुप में आकर यहाँ बसते रहे किन्तु यहां के जीवनमूल्यों के अनुसार वे स्वयं ढ़लते रहे और यहाँ के बनकर रहे। बड़े-बड़े सन्तों, महन्तों और न्यागियों का यहाँ निरन्तर आवागमन होता रहा। उनकी अच्छाइयों ने यहाँ की संस्कृति पर अपना प्रभाव दिया, जिस कारण यहाँ विभिन्न धर्मों और मान्यताओं ने जन्म लिया किन्तु आपसी सौहार्द और भाईचारे ने यहाँ की संस्कृति को कभी संकुचित और निष्प्रभावी नहीं होने दिया।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Old 23-05-2011, 09:22 PM   #20
The ROYAL "JAAT''
Senior Member
 
The ROYAL "JAAT'''s Avatar
 
Join Date: May 2011
Posts: 584
Rep Power: 21
The ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to beholdThe ROYAL "JAAT'' is a splendid one to behold
Default Re: राजस्थान का शौर्यपूर्ण इतिहास : एक परिचय

राजस्थान में सभी अंचलों में बड़े-बड़े मन्दिर और धार्मिक स्थल हैं। सन्तों की समाधियाँ और पूजास्थल हैं। तीर्थस्थल हैं। त्यौहार और उत्सवों की विभिन्न रंगीनियां हैं। धार्मिक और सामाजिक बड़े-बड़े मेलों की परम्परा है। भिन्न-भिन्न जातियों के अपने समुदायों के संस्कार हैं। लोकानुरंजन के कई विविध पक्ष हैं। पशुओं और वनस्पतियों की भी ऐसी ही खासियत है। ख्यालों, तमाशों, स्वांगों, लीलाओं की भी यहाँ भरमार हैं। ऐसा प्रदेश राजस्थान के अलावा कोई दूसरा नहीं है।

स्थापत्य की दृष्टि से यह प्रदेश उतना ही प्राचीन है जितना मानव इतिहास। यहां की चम्बल, बनास, आहड़, लूनी, सरस्वती आदि प्राचीन नदियों के किनारे तथा अरावली की उपत्यकाओं में आदिमानव निवास करता था। खोजबीन से यह प्रमाणित हुआ है कि यह समय कम से कम भी एक लाख वर्ष पूर्व का था।

यहां के गढ़ों, हवेलियों और राजप्रासादों ने समस्त वि का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया है। गढ़-गढ़ैये तो यहाँ पथ-पथ पर देखने को मिलेंगे। यहां का हर राजा और सामन्त किले को अपनी निधि और प्रतिष्ठा का सूचक समझता था। ये किले निवास के लिये ही नहीं अपितु जन-धन की सुरक्षा, सम्पति की रक्षा, सामग्री के संग्रह और दुश्मन से अपने को तथा अपनी प्रजा को बचाने के उद्देश्य से बनाये जाते थे।
__________________
'' हम हम हैं तो क्या हम हैं '' तुम तुम हो तो क्या तुम हो '
आपका दोस्त पंकज










The ROYAL "JAAT'' is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Thread Tools
Display Modes

Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 03:39 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.