05-02-2011, 01:24 AM | #41 |
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बिहार का इतिहास
बिन्दुसार के समय में भारत का पश्*चिम एशिया से व्यापारिक सम्बन्ध अच्छा था । बिन्दुसार के दरबार में सीरिया के राजा एंतियोकस ने डायमाइकस नामक राजदूत भेजा था । मिस्र के राजा टॉलेमी के काल में डाइनोसियस नामक राजदूत मौर्य दरबार में बिन्दुसार की राज्यसभा में आया था । दिव्यादान के अनुसार बिन्दुसार के शासनकाल में तक्षशिला में दो विद्रोह हुए थे, जिनका दमन करने के लिए पहली बार अशोक को, दूसरी बार सुसीम को भेजा प्रशासन के क्षेत्र में बिन्दुसार ने अपने पिता का ही अनुसरण किया । प्रति में उपराजा के रूप में कुमार नियुक्*त किए । दिव्यादान के अनुसार अशोक अवन्ति का उपराजा था । बिन्दुसार की सभा में ५०० सदस्यों वाली मन्त्रिपरिषद्* थी जिसका प्रधान खल्लाटक था । बिन्दुसार ने २५ वर्षों तक राज्य किया अन्ततः २७३ ई. पू. उसकी मृत्यु हो गयी ।
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05-02-2011, 01:24 AM | #42 |
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बिहार का इतिहास
अशोक (२७३ ई. पू. से २३६ ई. पू.)- राजगद्दी प्राप्त होने के बाद अशोक को अपनी आन्तरिक स्थिति सुदृढ़ करने में चार वर्ष लगे । इस कारण राज्यारोहण चार साल बाद २६९ ई. पू. में हुआ था ।
वह २७३ ई. पू. में सिंहासन पर बैठा । अभिलेखों में उसे देवाना प्रिय एवं राजा आदि उपाधियों से सम्बोधित किया गया है । मास्की तथा गर्जरा के लेखों में उसका नाम अशोक तथा पुराणों में उसे अशोक वर्धन कहा गया है । सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार अशोक ने ९९ भाइयों की हत्या करके राजसिंहासन प्राप्त किया था, लेकिन इस उत्तराधिकार के लिए कोई स्वतंत्र प्रमाण प्राप्त नहीं हुआ है । दिव्यादान में अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी है, जो चम्पा के एक ब्राह्मण की पुत्री थी । सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार उज्जयिनी जाते समय अशोक विदिशा में रुका जहाँ उसने श्रेष्ठी की पुत्री देवी से विवाह किया जिससे महेन्द्र और संघमित्रा का जन्म हुआ । दिव्यादान में उसकी एक पत्*नी का नाम तिष्यरक्षिता मिलता है । उसके लेख में केवल उसकी पत्*नी का नाम करूणावकि है जो तीवर की माता थी । बौद्ध परम्परा एवं कथाओं के अनुसार बिन्दुसार अशोक को राजा नहीं बनाकर सुसीम को सिंहासन पर बैठाना चाहता था, लेकिन अशोक एवं बड़े भाई सुसीम के बीच युद्ध की चर्चा है ।
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05-02-2011, 01:25 AM | #43 |
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बिहार का इतिहास
अशोक का कलिंग युद्ध
अशोक ने अपने राज्याभिषेक के ८वें वर्ष २६१ ई. पू. में कलिंग पर आक्रमण किया था । आन्तरिक अशान्ति से निपटने के बाद २६९ ई. पू. में उसका विधिवत्* अभिषेक हुआ । तेरहवें शिलालेख के अनुसार कलिंग युद्ध में एक लाख ५० हजार व्यक्*ति बन्दी बनाकर निर्वासित कर दिए गये, एक लाख लोगों की हत्या कर दी गयी । सम्राट अशोक ने भारी नरसंहार को अपनी आँखों से देखा । इससे द्रवित होकर अशोक ने शान्ति, सामाजिक प्रगति तथा धार्मिक प्रचार किया । कलिंग युद्ध ने अशोक के हृदय में महान परिवर्तन कर दिया । उसका हृदय मानवता के प्रति दया और करुणा से उद्वेलित हो गया । उसने युद्ध क्रियाओं को सदा के लिए बन्द कर देने की प्रतिज्ञा की । यहाँ से आध्यात्मिक और धम्म विजय का युग शुरू हुआ । उसने बौद्ध धर्म को अपना धर्म स्वीकार किया । सिंहली अनुश्रुतियों दीपवंश एवं महावंश के अनुसार अशोक को अपने शासन के चौदहवें वर्ष में निगोथ नामक भिक्षु द्वारा बौद्ध धर्म की दीक्षा दी गई थी । तत्पश्*चात्* मोगाली पुत्र निस्स के प्रभाव से वह पूर्णतः बौद्ध हो गया था । दिव्यादान के अनुसार अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित करने का श्रेय उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षुक को जाता है । अपने शासनकाल के दसवें वर्ष में सर्वप्रथम बोधगया की यात्रा की थी । तदुपरान्त अपने राज्याभिषेक के बीसवें वर्ष में लुम्बिनी की यात्रा की थी तथा लुम्बिनी ग्राम को करमुक्*त घोषित कर दिया था ।
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05-02-2011, 01:27 AM | #44 |
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बिहार का इतिहास
अशोक एवं बौद्ध धर्म
*कलिंग के युद्ध के बाद अशोक ने व्यक्*तिगत रूप से बौद्ध धर्म अपना लिया । *अशोक के शासनकाल में ही पाटलिपुत्र में तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता मोगाली पुत्र तिष्या ने की । इसी में अभिधम्मपिटक की रचना हुई और बौद्ध भिक्षु विभिन्*न देशों में भेजे गये जिनमें अशोक के पुत्र महेन्द्र एवं पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा गया । *दिव्यादान में उसकी एक पत्*नी का नाम तिष्यरक्षिता मिलता है । उसके लेख में केवल उसकी पत्*नी करूणावकि है । दिव्यादान में अशोक के दो भाइयों सुसीम तथा विगताशोक का नाम का उल्लेख है । *विद्वानों अशोक की तुलना विश्*व इतिहास की विभूतियाँ कांस्टेटाइन, ऐटोनियस, अकबर, सेन्टपॉल, नेपोलियन सीजर के साथ की है । अशोक ने अहिंसा, शान्ति तथा लोक कल्याणकारी नीतियों के विश्*वविख्यात तथा अतुलनीय सम्राट हैं । एच. जी. वेल्स के अनुसार अशोक का चरित्र “इतिहास के स्तम्भों को भरने वाले राजाओं, सम्राटों, धर्माधिकारियों, सन्त-महात्माओं आदि के बीच प्रकाशमान है और आकाश में प्रायः एकाकी तारा की तरह चमकता है ।" *अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया और साम्राज्य के सभी साधनों को जनता के कल्याण हेतु लगा दिया ।
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05-02-2011, 01:28 AM | #45 |
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बिहार का इतिहास
अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए निम्नलिखित साधन अपनाये-
(अ) धर्मयात्राओं का प्रारम्भ, (ब) राजकीय पदाधिकारियों की नियुक्*ति, (स) धर्म महापात्रों की नियुक्*ति, (द) दिव्य रूपों का प्रदर्शन, (य) धर्म श्रावण एवं धर्मोपदेश की व्यवस्था, (र) लोकाचारिता के कार्य, (ल) धर्मलिपियों का खुदवाना, (ह) विदेशों में धर्म प्रचार को प्रचारक भेजना आदि । अशोक ने बौद्ध धर्म का प्रचार का प्रारम्भ धर्मयात्राओं से किया । वह अभिषेक के १०वें वर्ष बोधगया की यात्रा पर गया । कलिंग युद्ध के बाद आमोद-प्रमोद की यात्राओं पर पाबन्दी लगा दी । अपने अभिषेक २०वें वर्ष में लुम्बिनी ग्राम की यात्रा की । नेपाल तराई में स्थित निगलीवा में उसने कनकमुनि के स्तूप की मरम्मत करवाई । बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने साम्राज्य के उच्च पदाधिकारियों को नियुक्*त किया । स्तम्भ लेख तीन और सात के अनुसार उसने व्युष्ट, रज्जुक, प्रादेशिक तथा युक्*त नामक पदाधिकारियों को जनता के बीच जाकर धर्म प्रचार करने और उपदेश देने का आदेश दिया । अभिषेक के १३वें वर्ष के बाद उसने बौद्ध धर्म प्रचार हेतु पदाधिकारियों का एक नया वर्ग बनाया जिसे धर्म महापात्र कहा गया था । इसका कर्य विभिन्*न धार्मिक सम्प्रदायों के बीच द्वेषभाव को मिटाकर धर्म की एकता स्थापित करना था ।
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05-02-2011, 01:28 AM | #46 |
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बिहार का इतिहास
अशोक के शिलालेख
अशोक के १४ शिलालेख विभिन्*न लेखों का समूह है जो आठ भिन्*न-भिन्*न स्थानों से प्राप्त किए गये हैं- (१) धौली- यह उड़ीसा के पुरी जिला में है । (२) शाहबाज गढ़ी- यह पाकिस्तान (पेशावर) में है । (३) मान सेहरा- यह हजारा जिले में स्थित है । (४) कालपी- यह वर्तमान उत्तरांचल (देहरादून) में है । (५) जौगढ़- यह उड़ीसा के जौगढ़ में स्थित है । (६) सोपरा- यह महराष्ट्र के थाणे जिले में है । (७) एरागुडि- यह आन्ध्र प्रदेश के कुर्नूल जिले में स्थित है । (८) गिरनार- यह काठियाबाड़ में जूनागढ़ के पास है ।
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05-02-2011, 01:29 AM | #47 |
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बिहार का इतिहास
अशोक के लघु शिलालेख
अशोक के लघु शिलालेख चौदह शिलालेखों के मुख्य वर्ग में सम्मिलित नहीं है जिसे लघु शिलालेख कहा जाता है । ये निम्नांकित स्थानों से प्राप्त हुए हैं- (१) रूपनाथ- यह मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में है । (२) गुजरी- यह मध्य प्रदेश के दतुया जिले में है । (३) भबू- यह राजस्थान के जयपुर जिले में है । (४) मास्की- यह रायचूर जिले में स्थित है । (५) सहसराम- यह बिहार के शाहाबाद जिले में है । धम्म को लोकप्रिय बनाने के लिए अशोक ने मानव व पशु जाति के कल्याण हेतु पशु-पक्षियों की हत्या पर प्रतिबन्ध लगा दिया था । राज्य तथा विदेशी राज्यों में भी मानव तथा पशु के लिए अलग चिकित्सा की व्य्वस्था की । अशोक के महान पुण्य का कार्य एवं स्वर्ग प्राप्ति का उपदेश बौद्ध ग्रन्थ संयुक्*त निकाय में दिया गया है । अशोक ने दूर-दूर तक बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु दूतों, प्रचारकों को विदेशों में भेजा अपने दूसरे तथा १३वें शिलालेख में उसने उन देशों का नाम लिखवाया जहाँ दूत भेजे गये थे । दक्षिण सीमा पर स्थित राज्य चोल, पाण्ड्*य, सतिययुक्*त केरल पुत्र एवं ताम्रपार्णि बताये गये हैं ।
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05-02-2011, 01:30 AM | #48 |
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बिहार का इतिहास
अशोक के अभिलेख
अशोक के अभिलेखों में शाहनाज गढ़ी एवं मान सेहरा (पाकिस्तान) के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में उत्कीर्ण हैं । तक्षशिला एवं लघमान (काबुल) के समीप अफगानिस्तान अभिलेख आरमाइक एवं ग्रीक में उत्कीर्ण हैं । इसके अतिरिक्*त अशोक के समस्त शिलालेख लघुशिला स्तम्भ लेख एवं लघु लेख ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण हैं । अशोक का इतिहास भी हमें इन अभिलेखों से प्राप्त होता है । अभी तक अशोक के ४० अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं । सर्वप्रथम १८३७ ई. पू. में जेम्स प्रिंसेप नामक विद्वान ने अशोक के अभिलेख को पढ़ने में सफलता हासिल की थी । रायपुरबा- यह भी बिहार राज्य के चम्पारण जिले में स्थित है । प्रयाग- यह पहले कौशाम्बी में स्थित था जो बाद में मुगल सम्राट अकबर द्वारा इलाहाबाद के किले में रखवाया गया था ।
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05-02-2011, 01:31 AM | #49 |
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बिहार का इतिहास
अशोक के लघु स्तम्भ लेख
सम्राट अशोक की राजकीय घोषणाएँ जिन स्तम्भों पर उत्कीर्ण हैं उन्हें लघु स्तम्भ लेख कहा जाता है जो निम्न स्थानों पर स्थित हैं- १. सांची- मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में है । २. सारनाथ- उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में है । ३. रूभ्मिनदेई- नेपाल के तराई में है । ४. कौशाम्बी- इलाहाबाद के निकट है । ५. निग्लीवा- नेपाल के तराई में है । ६. ब्रह्मगिरि- यह मैसूर के चिबल दुर्ग में स्थित है । ७. सिद्धपुर- यह ब्रह्मगिरि से एक मील उ. पू. में स्थित है । ८. जतिंग रामेश्*वर- जो ब्रह्मगिरि से तीन मील उ. पू. में स्थित है । ९. एरागुडि- यह आन्ध्र प्रदेश के कूर्नुल जिले में स्थित है । १०. गोविमठ- यह मैसूर के कोपवाय नामक स्थान के निकट है । ११. पालकिगुण्क- यह गोविमठ की चार मील की दूरी पर है । १२. राजूल मंडागिरि- यह आन्ध्र प्रदेश के कूर्नुल जिले में स्थित है । १३. अहरौरा- यह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित है । १४. सारो-मारो- यह मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में स्थित है । १५. नेतुर- यह मैसूर जिले में स्थित है ।
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05-02-2011, 01:32 AM | #50 |
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बिहार का इतिहास
अशोक के गुहा लेख
दक्षिण बिहार के गया जिले में स्थित बराबर नामक तीन गुफाओं की दीवारों पर अशोक के लेख उत्कीर्ण प्राप्त हुए हैं । इन सभी की भाषा प्राकृत तथा ब्राह्मी लिपि में है । केवल दो अभिलेखों शाहवाजगढ़ी तथा मान सेहरा की लिपि ब्राह्मी न होकर खरोष्ठी है । यह लिपि दायीं से बायीं और लिखी जाती है । तक्षशिला से आरमाइक लिपि में लिखा गया एक भग्न अभिलेख कन्धार के पास शारे-कुना नामक स्थान से यूनानी तथा आरमाइक द्विभाषीय अभिलेख प्राप्त हुआ है ।
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