03-11-2010, 04:55 PM | #1 |
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॥ चर्चा ॥
विषय कोई भी हो एक दिन मेँ सिर्फ एक विषय का चर्चा करेँगेँ सभी सदस्य कृप्या आपलोग चर्चा मेँ जरुर अपनी भागीदारी देँ |
03-11-2010, 04:57 PM | #2 |
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आज का विषय हैँ
जवानी के बाद बुढापा |
03-11-2010, 05:04 PM | #3 |
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बुढापा एक ऍसा शब्द हैँ जो शायद कोई अपने नाम के साथ जानबुझ कर जोडना पसन्द नहीँ करेगा
बुढापे मेँ आके आदमी या औरत अपने औलाद या पडोसी या रिश्तेदार का मोहताज हो जाता हैँ जो कि एक खुद्दार इंसान कभी भी नहीँ चाहेगा |
03-11-2010, 05:07 PM | #4 |
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खालिद भाई जो यथार्थ सत्य है उसे हम झुठला नहीं सकते
बुढ़ापा कष्टकारी होता है पर अगर हम जवानी से ही इसके बारे सोचने लगे तो जवानी भी कष्टदायक हो जाएगी
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
03-11-2010, 05:50 PM | #5 |
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सही समय पर उम्र का सही सदुपयोग करना ही अच्छा जीवन जीना है
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03-11-2010, 10:46 PM | #6 | |
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Quote:
लेकिन मित्र बात आती हैँ सीखने की तो हम अपने सामने के बुढे को देख कर शिक्षा तो ले सकतेँ हैँ |
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03-11-2010, 11:42 PM | #8 |
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कुछ दिनों पूर्व एक कलेंडर में मुझे संकृत भाषा में लिखी श्रीमदभगवद गीता की कुछ पंक्तियाँ दृष्टिगत हुईं तो अनायास कुछ पंक्तियाँ निकल पडीं / प्रस्तुत सूत्र के उपयुक्त जान कर उन्हें मैं नीचे उधृत कर रहा हूँ / संभावित भाषा दोष अथवा व्याकरण दोष के लिए मैं क्षमा प्राथी हूँ /
क्यों यह नश्वर तन मिटने से, व्यर्थ पार्थ! डरते हो ! शाश्वत आत्मा के मरने की व्यर्थ में चिंता करते हो !! यह तन कैसे हुआ तुम्हारा, मुझे तनिक समझा तो दो ! धरा,वायु,जल,नभ, अग्नि से बना नहीं क्या बतला तो दो !! पञ्च तत्व में मिल जाना है, इस मोहक तन की आभा को ! अजर अमर तो आत्मा ही है, बोलो अर्जुन! अब तुम क्या हो!! जो विगत हुआ वह सुन्दर था, जो आगत है वह सुन्दर होगा ! वर्तमान भी अति सुन्दर है, तब फिर पश्चाताप से क्या होगा !! पल पल परिवर्तन होना, यही धरा का सत्य नियम है ! जिसे सोचते हो तुम मरना, किन्तु वहीं नवजीवन है !! उच्च शिखर पर अभी अभी थे, अगले पल धरणी पे हो ! कोटिक मुद्रा के स्वामी थे, अब लगे कि तुम चिरऋणी से हो !! तेरा मेरा, लघु विशाल, तुम मन से मिटा दो अपने पराये ! देखो तुम सबके बन बैठे, और सभी अब हुए तुम्हारे !! जन्म के समय क्या लाये थे जिसे सहज ही खो बैठे तुम ! किस अपने के मर जाने से व्यथित हृदय से रो बैठे तुम !! क्या उत्पन्न किया जीवन में, मिट जो गया जाने अनजाने ! कोई कुछ भी ले के ना आये, मंदबुद्धि हो या कि सयाने !! यहीं लिया है, यहीं दिया है, लेता देता प्रभु स्वयं है ! आज एक का, कल दूजे का, फिर तीजे का यही नियम है !! करो समर्पित स्वयं को प्रभु को,वही तो है बस एक सहारा ! प्रभु सानिध्य में 'जय' जीता , भय चिंता दुःख मुक्त है सारा !! जो भी करो सब प्रभु को दे दो, मोह फन्द से हो उन्मुक्त ! तुम्हे मिलेगी शान्ति व खुशियाँ, हो आभासित जीवन मुक्त !!
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
03-11-2010, 11:49 PM | #9 |
Administrator
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ऐसा नहीं है... अमित अंकल (amitabh bachchan) को देखिये बुदापे में भी क्या जोश और उमंग से सक्रिय है..
बुडापा तब तक नहीं आता जब तक आदमी उसको अपने मन में ना आने दे.. एक और example steve jobs apple से १९८६ में निकाल दिए गए थे.. लेकिन उसने काफी सालो बाद अपने बुदापे में apple के सीईओ बने और ipod, iphone से तकनीकी दुनिया में क्रांति ला दी..
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
04-11-2010, 09:02 AM | #10 |
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आज का विषय हैँ
ओबामा भारत आरहेँ हैँ Last edited by khalid; 04-11-2010 at 12:58 PM. |
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