15-03-2018, 09:01 PM | #1 |
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पीना तू छोड़ दे
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ बीवी पे' जुल्म कर के' यूँ' जीना तू' छोड़ दे कहता है' वक्त आज कि पीना तू' छोड़ दे ◆◆◆ देखो कि हाल आज ते'रा हो गया है' क्या होशोहवास यार कहीं खो गया है' क्या ख़ंजर है' इसको' जाम का' है नाम क्यों दिया तेरा दिमाग आज कहीं सो गया है' क्या ख़ंजर उठा के' ज़ख्म को' सीना तू' छोड़ दे- कहता है' वक्त आज कि पीना तू' छोड़ दे ◆◆◆ इक ताज को टू'टा हुआ' पायल बना दिया किसने तुझे दा'रू का' है' कायल बना दिया ये ऐसी' चीज है कि जलाती है' जिन्दगी इसने जमाने' को भी' है' घायल बना दिया इसने ही' तेरा' चैन है' छीना तू' छोड़ दे कहता है' वक्त आज कि पीना तू' छोड़ दे गीत- आकाश महेशपुरी ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ मापनी- 221 2121 1221 212 मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ नोट- यह रचना मेरी प्रथम प्रकाशित पुस्तक “सब रोटी का खेल” जो मेरी किशोरावस्था में लिखी गयी रचनाओं का हूबहू संकलन है, से ली गयी है। यहाँ यह रचना मेरे द्वारा पुनः सम्पादित करने के उपरांत प्रस्तुत की जा रही है। |
16-03-2018, 08:45 AM | #2 |
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Re: पीना तू छोड़ दे
बहुत अर्थपूर्ण. शराब पीने के बुरे परिणाम दर्शाने वाली कविता.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
10-04-2018, 08:05 PM | #3 |
Diligent Member
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Re: पीना तू छोड़ दे
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