My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Art & Literature > Hindi Literature
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 21-02-2013, 09:58 PM   #1
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Thumbs up !! मेरी कहानियाँ > रजनीश मंगा !!

आख़िरी दिन तक
(रचना: रजनीश मंगा)

धर्मार्थ औषधालय से दवा की पुड़ियाँ ले कर उसने अपने कुरते की जेब में डालीं और भारी क़दमों से घर की ओर चल दिया. तनाव के चिन्ह चेहरे पर लिए वह अपनी बस्ती की कीचड़ भरी सड़क पर आ गया. गंदे और गलीज़ बच्चे झुग्गियों के बाहर खेलने में व्यस्त थे. औरतें गली में ही कपड़े और बर्तन वगैरह साफ कर रहीं थीं. कुछ छिछोरे लड़के मेज की चार टांगों पर खड़ी चाय की दुकान के आस पास अश्लील मजाक कर रहे थे. रामधन को देख कर भी उन्होंने शायद कुछ फ़िकरे कसे, किन्तु उसने उनकी ओर कोई ध्यान न दिया और अपनी झुग्गी में आ गया.

झुग्गी का अँधेरा उसके मन को अच्छा लगा यद्यपि इस अँधेरे और घुटन को अब तक बीसियों बार शाप दिए थे उसने. एक ओर खटिया पड़ी थी जिस पर उसकी प्रिय पत्नि लक्ष्मी अपनी भीषण बीमारी से जूझ रही थी. अपने पांच वर्षीय पुत्र किशन से वह माँ के पास रहने को कह गया था, वह अब वहां नहीं था. लक्ष्मी शायद सो रही थी. रामधन यंत्र-चालित सा लक्ष्मी की खाट के पास आया और उसके क्षीण-आभा मुख को एक टक देखते हुए वहीं भूमि पर बैठ गया. उसका कंठ भरा हुआ था, वाणी जैसे अवरुद्ध हो गई थी. विव्हलता में उसने लक्ष्मी के नाम का उच्चारण किया. लक्ष्मी जग रही थी. उसने आँखें खोले बिना अपने कमजोर हाथ को सरकाते हुए अपने पति के हाथ पर रख दिया. रामधन ने प्यार और करुणा से लक्ष्मी के हाथ को अपने होंठों से लगा लिया. रोकते रोकते भी उसकी आँखों से दो बूँदें टपक ही तो पडीं लक्ष्मी के हाथ पर. उन अश्रु-कणों की उष्णता की संवेदना से लक्ष्मी ने आँख खोल दी. मुख पर उभर आने वाले चिन्ह बता रहे थे कि उसे कितना कष्ट था. टुकड़े टुकड़े शब्दों में विव्हल हो कर पति से पूछा –
“क्या हा...ल ...क.र .. लि...या ...है अ...प..ना, तु...म...ने.?
प्रश्न पूछ कर उत्तर सुने बिना उसने अपने आँखें फिर बंद कर लीं. शायद उसे मालूम था कि रामधन क्या उत्तर देगा. रामधन ने भी उसके प्रश्न का कोई उत्तर नहीं दिया.

Last edited by rajnish manga; 01-10-2014 at 05:03 PM.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 21-02-2013, 10:05 PM   #2
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

दिन पर दिन रामधन का मन डूबता जा रहा था. पहले जहाँ लक्ष्मी पहले जहाँ लक्ष्मी का इलाज करवा रहा था उस डॉक्टर की बात उसे सत्य प्रतीत होने लगी थी. उसने सलाह दी थी कि वह अपनी पत्नी को किसी सेनेटेरियम में भिजवा दे और अच्छे डोक्टरों से इलाज करवाये. लेकिन इस सब के लिए रूपए कहाँ थे? जितने थे वह अब तक के इलाज में खर्च हो चुके थे. कुछ उधार भी मांग टांग कर ले लिया. अब तो मरे हुए मन से जो मजदूरी कर लेता है उससे किसी तरह दो चुल्हा ही जलाया जा सकता था, बाकी कुछ नहीं. दवा भी धर्मार्थ औषधालय से लेनी शुरू कर दी थी. अपनी परिस्थितियों के हाथ में वह बुरी तरह जकड़ गया था. बचपन से गरीबी के आँचल से खेलते हुए वह बड़ा हुआ किन्तु पहली बार गरीबी ने उसके अस्तित्व पर इतना जोर का तमाचा मारा था. पिछले एक-डेढ़ माह में उसके हँसते खेलते व्यक्तित्व पर एक आवरण सा छा गया था और उसके ऊपर बरसाती बनस्पति की तरह कोई दूसरा व्यक्तित्व उग आया था.

जाने कितनी देर तक वह उसी प्रकार बैठा रहा. किशन के आने की आहात से उसकी तन्मयता भंग हुयी. अँधेरा छितराने लगा था, उसने उठ कर लालटेन जला दिया. उसकी बीमार रोशनी में रामधन ने आशा की किरण ढूँढने की एक असफल कोशिश की और चूल्हे के निकट आ कर भोजन बनाने की तैयारी करने लगा.

भोजन का मन न करता. किन्तु पुत्र को कोई आघात न पहुंचे इस लिए उसके साथ थोडा बहुत खा लिया. शरीर धर्म भी तो पूरा करना होता है. किश्न की नन्हीं बातों से उसके मन को किंचित सनोश प्राप्त हुआ. इस छोटी सी गृहस्थी में वही केंद्र बिन्दु हो गया था. उसी से घर में रौनक थी. वही था माँ-बाप की आँखों का तारा और उनके भविष्य का सपना. माँ- बाप का जीवन जैसे उसी के लिए था.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 21-02-2013, 10:07 PM   #3
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

पुत्र को सुला कर रामधन वापिस पत्नि के पास आ बैठा. पीड़ा से लक्ष्मी कभी कभी कराह उठती. पत्नि की कराह सुन कर उसके शरीर में भी दर्दीली झनझनाहट फ़ैल जाती. हथोड़े से पड़ने लगते .लक्ष्मी की पैदा आज अन्य दिनों की अपेक्षा अधिक थी. रामधन व्याकुल था.
“लक्ष्मी!”
“हाँ..”
“कैसी तबीयत है?”
“ठीक .. ही... है... आ ...ह..” लक्ष्मी कराह दी.
रामधन कुछ न बोला. वह लक्ष्मी का सिर दबाने लग गया.
“सुनो...”
“हूँ..”
“ल..लग..ता.. है.. अब...”
“क्या..??”
जिस विचार को रामधन अपने म से बलपूर्वक दूर किये हुए था, उसे लक्ष्मी ने इतनी सहजता से प्रकट कर दिया था. अर्थात लक्ष्मी को भी अपनी आसन्न मृत्यु का आभास हो गया है.
“..आ..ह!..अब...मैं...जी...न ..सकूंगी...दम...घु..ट..ता...जा .. रहा...है...”
“न लक्ष्मी, ऐसा न कह! मैं तुझे मरने नहीं दूंगा. मुझे ...किशन को छोड़ कर तू कहीं नहीं जायेगी. मेरी कसम खा! ऐसी अशुभ बातें फिर न कहेगी.” रामधन तड़प कर बोला.
अत नहीं यह लक्ष्मी ने सुना या नहीं. वह अपनी धुन में बोले जा रही थी –
“ अ..प..ना..ध्या..न....र..ख़..ना....कि..श..न....का... .भी....”
“बस करो लक्ष्मी, और कुछ मत बोल...”
“...उसको...अ..प..ने...क..ले...जे....से..ल..गा...कर ...र..ख़..ना....आ..खिरी....दि..न...तक..., आ..खि..री....दि..न...तक.., आ..खि..री....दि..न...तक ....कि..श..न.. को अ..प..ने... क.ले..जे...से... ल...गा....कर ...र..ख़..ना.... आ..खिरी....दि..न...तक.. ओह..!”

सारी रात लक्ष्मी इसी तरह अस्फुट शब्दों में बोलती रही. रामधन उसी प्रकार उसके पास बैठा रहा. दिन चढ़ने के साथ ही लक्ष्मी की हालत और बिगड़ने लगी. रामधन दौड़ कर डॉक्टर को बुला लाया. डॉक्टर ने एक इंजेक्शन दिया और रामधन को एक ओर ले जा कर उसने स्पष्ट किया कि अब लक्ष्मी की इहलीला समाप्ति के निकट आ चुकी है.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 21-02-2013, 10:14 PM   #4
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

रामधन की आँखों के आगे अँधेरा छा गया. आसपास की झुग्गियों के कुछ लोग उसके पास आ कर उसे ढाढस बंधा रहे थे. कोई नीति की बातें समझा रहा था, कोई जीवन की कटुता का दुखड़ा सुना रहा था. यह सब देख कर छोटा किशन कुछ न समझ कर रोने लगा.
संध्या होते होते लक्ष्मी ने प्राण त्याग दिये. रामधन पर जैसे दुखों का पहाड़ गिर पड़ा था. वह गुम सुम हो कर बैठ गया. लक्ष्मी के निर्जीव मुख को ऐसे देखता रहा जैसे अभी वह पुकार उठेगी –
“किशन के बापू!! आज फिर तुमने खाना नहीं खाया, क्यों?”
उसको लक्ष्मी जैसे कह रही थी, “किशन को माँ का प्यार भी देना ... कभी ..अलग न ... करना ..कलेजे से...तुम....सुन...रहे...हो ...न...!”

सोचते सोचते रामधन फूट फूट कर रोने लगा. उधर किशन जो अभी तक सब कुछ देख कर सुबक रहा था, अपने पिता का रोना सुन कर बड़े जोर से रोने लगा. उस रुदन सुन कर सभी उपस्थित व्यक्तियों की आँखें छलछला आयीं.सभी लोग रामधन व बालक को धीरज बंधाने में व्यस्त थे.

चिता में आग देने के बाद रामधन किशन के साथ घर वापिस आ गया. उसका कहीं मन न लग रहा था. लक्ष्मी के बिना उसकी झुग्गी का अँधेरा और घना हो गया था. घुटन बढ़ कर उसके मन मस्तिष्क पर छा गई थी. लक्ष्मी के बिना उसे अपना जीवन ही निस्सार लग रहा था. पिछले सात वर्षों की झांकियां एक के बाद एक याद आने लगीं. किशन भी आज चौकड़ी न भर रहा था, एक दम चुप बैठा था. माँ के बिना उसे बड़ा अजीब अजीब लग रहा था. थोड़ी- थोड़ी देर बाद रामधन उसे अपने सीने से लगा लेता और किशन फिर - फिर व्याकुल हो कर रोना शुरू कर देता.

शाम तक जो पड़ौसी और रिश्तेदार आते रहे थे वो धीरे धीरे उठने लग पड़े थे. दो तीन रिश्तेदार रह गए जो उसको सांत्वना दिए जा रहे थे और बीच बीच में देवी देवताओं और भक्तों की कथाएं सुना रहे थे. किशन रोते रोते सो गया था. कुछ देर बाद उसके रिश्तेदार भी सो गए. जागता रह गया केवल रामधन और उसका एकांत. लालटेन की लौ को अपलक देखते हुए घंटों वह भूत और भविष्य के विचारों में डूबा रहा. उसकी झुग्गी के निकट ही जब एक कुत्ता जोर जोर से हूकने लगा तो वह अपने वर्तमान में लौट आया. बेटे के बारे में सोचने लगा. लक्ष्मी की वही तो एक निशानी थी – किशन. उसकी दृष्टि अबोध बेटे के भोले मुख पर पड़ी और वह ममत्व से भर उठा. उसे लक्ष्मी का कहा याद हो आया. आख़िरी दिन तक मैं तुझे अपने सेने से लगाए रखूंगा, किशन, मेरे बेटे. तेरी माँ कह गई है. उसकी आत्मा को कभी क्लेश न पहुँचने दूंगा – कभी नहीं.
(क्रमशः)

Last edited by rajnish manga; 21-02-2013 at 10:23 PM.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 22-02-2013, 01:50 PM   #5
agyani
Member
 
agyani's Avatar
 
Join Date: May 2012
Location: copy... /... paste
Posts: 163
Rep Power: 15
agyani is a jewel in the roughagyani is a jewel in the roughagyani is a jewel in the rough
Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

रजनीश जी , मृत्यु जीवन का अटल सत्य है परन्तु किसी करीबी की अकाल मृत्यू से जो पीडा , वेदना और मानसिक आघात का अनुभव इन्सान अपने ह्रदय मे अनुभव करता है , उसका मार्मिक और सजीव चित्रण किया आपने .................................. आपकी लेखन शैली को सलाम ! आगे...........................?
agyani is offline   Reply With Quote
Old 22-02-2013, 05:33 PM   #6
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

Quote:
Originally Posted by agyani View Post
रजनीश जी , मृत्यु जीवन का अटल सत्य है परन्तु किसी करीबी की अकाल मृत्यू से जो पीडा , वेदना और मानसिक आघात का अनुभव इन्सान अपने ह्रदय मे अनुभव करता है , उसका मार्मिक और सजीव चित्रण किया आपने .................................. आपकी लेखन शैली को सलाम ! आगे...........................?


कहानी पढ़ने और पसंद करने के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया, ज्ञानी जी. आपकी आत्मीयता से भरी प्रतिक्रिया पढ़ कर मैं बहुत उत्साहित हूँ. आशा करता हूँ कि आप इसी प्रकार मेरे हम कदम रहेंगे. कहानी का आगामी भाग प्रस्तुत है.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 22-02-2013, 05:39 PM   #7
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

सारी रात उसे नींद न आयी. भोर होने से पहले वह उठा और किशन के पास आ कर लेट गया. उसकी गर्दन क नीचे अपनी बांह लगा कर उसने उसे अपने निकट खींच लिया. दूसरे हाथ से उसके बालों बालों में उंगलियाँ फिराने लगा.जाने कब उसकी भी आँख लग गई. सुबह चाय के साथ डबल रोटी मंगवा ली.अन्य लोगों और किशन को भी दी. स्वयं रामधन कुच्छ न खा सका. वह अपने को बेजान सा अनुभव कर रहा था जैसे किसी ने उसके शरीर का सारा अक्त निचोड़ लिया हो. रिश्तेदार उन्हें उसी अवस्था में छोड़ कर चले गए. उसके सामने अब एक नयी समस्या आ खड़ी हुयी.

उसने सोचा कि घर में बैठे बैठे तो उसके मस्तिष्क की सारी नसें ही फट जायेंगी. वह पागल हो जाएगा. और अगर वह चाहे बेदिली से ही सही, अपने काम पर चला जाता है तो किशन कहाँ रहेगा. किशन को अकेले छोड़ कर जाना उसे अच्छा नहीं लगा अतः किशन को उसने साथ ही ले लिया.

रामधन दुखद स्मृतियों को अपने मन से दूर रखना चाहता था. किन्तु उसका यह प्रयास सफल न हो सका क्योंकि यादों का चलचित्र मन में ज्यों का त्यों चलता रहा. आदत से साढ़े हुए हाथ ईंटों की चिनाई कर रहे थे. इस बीच दो-तीन बार हाथ और दिमाग़ का संयोजन टूट गया. एक बार तो ईंट उसके हाथ से छूट कर नीचे खड़े हुए एक और कामगार के कंधे को छूती हुयी जमीन पर आ गिरी और दूसरी बार वह स्वयं ऊपर से गिरते गिरते बचा.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 22-02-2013, 05:43 PM   #8
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

दुर्घटनाएं होते होते बचीं. उसकी मानसिक दशा का सभी को भान था फिर भी कईयों ने बुरा भला कह सुनाया. कई साथी कामगारों ने उसको आराम करने की सलाह दी तथा सहानुभूति का प्रदर्शन भी किया. रामधन अच्छा कारीगर था किन्तु आज उसके ठेकेदार ने भी ऊंचा नीचा कह सुनाया. एक तो पत्नि की मौत का सदमा, उस पर ऐसे उखड़े हुए व्यवहार का आघात उसे भीतर तक बेध गया. उसका मन कटुता से भर उठा. वह इस माहौल से दूर भाग जाना चाहता था. वहां, जहाँ दो क्षण के लिए उसे शान्ति मिल सके. इस जगह तो वह घुट के मर जायेगा. कुछ सोच में और कुछ काम में समय निकल गया. इस बीच किशन दो-तीन बंद खा चुका था और उसने खेलने के लिए कुछ साथी भी यहाँ ढूंढ लिए थे.

पगार देते समय ठेकेदार ने फिर दो चार कड़वी बातें कह दीं. रामधन खुल उठा, किन्तु वह विवाद से बचाना चाहता था अतः आक्रोश को पी गया. किशन का हाथ पकड़े हुए वह मुर्दा क़दमों से सड़क पर आ गया. चौक पर पहुँच कर उसने पल भर सोचा और एक ढाबे में जा पहुंचा. किशन के लिए उसने भोजन की थाली मंगवा ली. उसकी आंतें भी सिकुड़ रही थीं लेकिन खाने की इच्छा न हुई. जाने क्यों उसे अपनी भूख और कष्ट में भी संतोष मिल रहा था.

दिन भर का थका हारा, भूखा, लक्ष्मी के वियोग से टूटा हुआ रामधन अपनी बस्ती में जाते जाते दोसरी और मुड़ गया. किशन ने आश्चर्य से अपने बापू को देखा. रामधन ने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरा जैसे यह उसके मूक प्रश्न का उत्तर हो.

रामधन दारू के अड्डे पर आ पहुँच. यहाँ मजदूरों द्वारा सेवन की जाने वाली सस्ती शराब जिसे यहाँ “कच्ची शराब” के नाम से पुकारा जाता था बिकती थी. काफी देर तक वह बदहवास सा ठेके के सामने खड़ा रहा. किशन भी विस्फारित नेत्रों से वहां का अजीब दृश्य देखने लगा. रामधन सहमा हुआ था, वह स्वयं यहाँ पहली बार आया था. उसे साहस न हुआ अपने बेटे के सामने दारू पीने का.उसने किशन को बाहर ही एक बंद दुकान के पायदान पर बैठा दिया और स्वयं दारू की दुकान में चला गया. एक के बाद एक चार गिलास वह एक ही सांस में पी गया. गले के नीचे उतरती कड़वी शराब उसे इसे लगी जैसे उसकी अपनी घुटन, दुखद स्मृतियाँ, लक्ष्मी की मौत से उपजे खालीपन, ठेकेदार के प्रति रोष, अभाव से पैदा हुयी कुंठा आदि की समस्त पीड़ा उसके गले से नीचे उतर रही हो.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 22-02-2013, 05:46 PM   #9
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

किशन को ले कर वह घर आ गया. उसको उसने आते ही सुला दिया. झुक कर उसके माथे को चूमा और लक्ष्मी की चारपाई के पास आ कर सिरहाने की ओर भूमि पर पहले ही की तरह बैठ गया और बारी बारी से सिरहाने, बिस्तर, खाट के पाए आदि का स्पर्श करके जैसे कुछ याद करने लगा. दारू का असर होने लगा था. स्मृतियाँ भी चंचल और अस्थिर होने लगीं. गला भर्राने लगा और शरीर में एक ढीलापन व्याप्त होने लगा. नींद की झपकी आने लगी, क्षण भर को लक्ष्मी और किशन के चेहरे उसके अंतर में कौंध जाते.

“मेरा बेटा ....मेरा..प्यारा बेटा” कहते हुए वह उठा और लड़खड़ाते क़दमों से किशन की खाट तक आया. उसका सिर घूम रहा था. कष्ट से उसने अपनी आँखें खोलते हुए बालक को बड़ी ममता, प्यार व श्रद्धा की मिश्रित भावना से देखा और उसके निकट आकर लेट गया, उसे अपने वक्ष से लगा लिया और उसके मुख और कन्धों को इस प्रकार स्पर्श किया जैसे उसके आरोग्य का मन्त्र सिद्ध कर रहा हो. धीरे ...धीरे...धीरे वह भी गहरी नींद में उतरता चला गया. किशन उसी प्रकार उसकी छाती से लगा हुआ सो रहा था.

और यह नींद रामधन की आख़िरी नींद साबित हुई और यह दिन उसकी ज़िंदगी का आख़िरी दिन. अगले दिन के समाचार पत्रों में खबर छपी कि विषाक्त शराब पीने से पैतीस व्यक्ति काल कवलित हो गए. उन पैंतीस में से एक रामधन भी था.

--रचना काल : 09/08/1977--
(मित्रो, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि यह कहानी एक ऐसी दुर्घटना की पृष्ठभूमि में लिखी गई है जो जुलाई या अगस्त 1977 में हमारी राजधानी दिल्ली में घटी थी जिसमे ग़ैर कानूनी तौर पर शराब बनाने और बेचने वालों के हाथों लगभग 35 निर्दोष व्यक्तियों को जान से हाथ धोना पड़ा था)
*****

Last edited by rajnish manga; 22-02-2013 at 05:50 PM.
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 24-03-2013, 11:31 PM   #10
The Hell Lover
Junior Member
 
Join Date: Mar 2013
Posts: 3
Rep Power: 0
The Hell Lover is on a distinguished road
Default Re: मेरी कहानियां/ आख़िरी दिन तक

"उसकी आंतें भी सिकुड़
रही थीं लेकिन खाने की इच्छा न हुई. जाने क्यों उसे
अपनी भूख और कष्ट में भी संतोष मिल रहा था."

क्या बात कही हैं? बहुत मार्मिक कहानी लिखी हैं।
The Hell Lover is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
दत्तक पुत्र, पूर्वाभास purvabhas, मेरी कहानियाँ, dattak putra, ek tukda maut, galti kee saja, haji abdul sattar, hiteshi kaun, lakshmi, meri kahaniyan, nirman karya, rajnish manga, strike, tiny stories, union tussle


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 07:46 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.