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Originally Posted by rajnish manga
सोनी जी, माता पिता की कमी को दुनिया की कोई ताकत पूरा नहीं कर सकती. बेटी के लिए उनके हृदय में एक विशेष वात्सल्य बसा होता है. बदले में, बेटी के हृदय में भी उनके प्रति जो आदर व स्नेह की धारा बहती है उसका कोई मुकाबला नहीं. मैं जो कह रहा हूँ वह कल्पना नहीं है, सत्य है. चाहे वो दोनों आपके साथ अपने भौतिक रूप में उपस्थित नहीं हैं लेकिन उनके द्वारा दिये गए संस्कार आपमें मौजूद हैं और रहेंगे. उनका आशीर्वाद सदा आपके साथ रहेगा और उनकी मीठी यादें आपकी उदास शामों को हमेशा अपनी सुगंध से सुरभित करती रहेंगी. आप अपने हर अच्छे-बुरे समय में उन्हें याद करती रहें, यही उनको आपकी सच्ची श्रद्धांजलि होगी. दिवाली पर दो दिये उनके नाम पर अवश्य जलायें, ताकि आपके जीवन में कभी अमावस का अँधेरा न आये. हम अपनी और से भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं.
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आदरणीय रजनीश जी , बहुत बहुत धन्यवाद .. शब्द नही मिल रहे की क्या लिखू आपने जो कहा एक एक शब्द सही है आदरणीय रजनीश जी .
oh