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#1 |
Diligent Member
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![]() तुमने कब ऐसा माना था हम दोनोँ मेँ याराना था याद नहीँ क्या तेरे पीछे फिरता कोई दीवाना था अपने ही जीवन से इतनी दूरी ये किसने जाना था भूल गये वे कसमेँ वादे जैसे कोई अफसाना था लाओगे आकाश कहाँ से नज़रोँ पे जो नजराना था ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी Aakash maheshpuri ... पता- वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश 09919080399 |
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#2 |
Super Moderator
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
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ग़ज़ल पढ़ कर अपने आप दिल से वाह वाह निकल गया. आपकी निरंतर आने वाली स्तरीय रचनाओं के लिए मैं आपको बधाई देना चाहता हूँ.
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#3 |
Diligent Member
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निरन्तर आपकी टिप्पणियाँ मुझे प्रेरणा प्रदान करतीँ हैँ। आपका अत्यन्त आभारी हूँ आदरणीय रजनीश जी।
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