10-11-2012, 10:27 PM | #1 |
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ग़ ज़ ल: दीवाना कर दिया है दिले बेकरार ने.
दीवाना कर दिया है दिले बेकरार ने. तेरी दोस्ती पे हमें बड़ा ऐतबार था, हमें सब सिखा दिया है तेरे ऐतबार ने. आज की बात का तेरा कल पे टालना, जीना मुहाल कर दिया है इस उधार ने. इस सिम्त मेरा दिल है, उस सिम्त ज़माना, इन दोनों से लड़ना है मेरे शहसवार ने. हर बार रकीबों ने ‘शरर’ जाल बिछाये, हर बार बचाया है मुझे रूह-ए-यार ने. ---- रजनीश कुमार मंगा “शरर” नजीबाबादी बकलम खुद Last edited by rajnish manga; 18-09-2013 at 12:36 AM. Reason: वर्तनि सुधार |
11-11-2012, 01:05 AM | #2 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
बहुत अच्छे !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
11-11-2012, 09:06 AM | #3 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
good one.. boss..
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11-11-2012, 10:16 AM | #4 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
मँगा जी ,
आपकी रचनाएँ काफी अच्छी हैं । यदि आप अपनी रचनाओं का शीर्षक दिया करेंगे तो और भी सुंदर लगेंगी ।
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
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11-11-2012, 01:17 PM | #5 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
सेंट अलैक जी, ओंकार जी व रणवीर जी, आप सभी महानुभाव का ग़ज़ल की प्रशंसा करने एवं सम्मति देने के लिये हार्दिक धन्यवाद. रचनाओं का शीर्षक देने सम्बन्धी सुझाव के लिये मैं रणबीर जी का आभारी हूँ और भविष्य में ध्यान रखूँगा.
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11-11-2012, 01:38 PM | #6 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
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11-11-2012, 01:52 PM | #7 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
यह स्वर्गीय अदम गोंडवी की रचना है मित्र !
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11-11-2012, 02:08 PM | #8 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
बहुत बढ़िया रजनीश जी, आपकी रचनाये काफी अच्छी हैं।
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum |
11-11-2012, 02:34 PM | #9 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
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11-11-2012, 10:37 PM | #10 |
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Re: ** *ग़ ज़ ल
यह पाप नहीं है, मित्र ! विस्मृति का शिकार कोई भी हो सकता है ! यह आपका बड़प्पन है कि आपने इसे पाप की संज्ञा दी ! मैं आपके इस जज्बे को सलाम करता हूं ! इस तरह की ग़लतियां मैं अक्सर तत्काल सुधारने के पक्ष में इसलिए हूं कि ऐसा नहीं किए जाने पर अन्य लोग उसे उद्धृत करने लगते हैं और अंततः वह झूठ बार-बार उद्धृत होकर सच का रूप धारण कर लेता है ! मेरी टिप्पणी को सहृदयता से अन्यथा नहीं लेने के लिए आपका आभार !
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