08-12-2014, 10:16 PM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
(निर्भया प्रकरण की पृष्ठभूमि में) साभार: मनोज वशिष्ठ कितनी बेवकूफ़ थी वो ? पता नहीं ख़ुद को क्या समझती रही ? अपने वजूद पर इतराती ना जाने किस मुगालते में रही । सोच रही थी, कि आज़ाद देश में रहती है । अपनी मर्ज़ी से कुछ भी कर सकती है । कहीं भी, किसी भी वक़्त आ-जा सकती है । क्या हुआ, जो वो एक लड़की है … क्या हुआ, जो वो रात के 9.30 बजे अपने पुरुष मित्र के साथ घूमने निकली है । आख़िर उसे भी खुली हवा में सांस लेने और अपनी ज़िंदगी अपने तरीक़े से जीने का पूरा हक़ है । कौन रोक सकता है उसको ? संविधान ने उसे भी तो बराबरी का दर्ज़ा दिया है । इसी नासमझी की उसे सज़ा मिली है । जिस शहर में देश का संविधान बनता है … जिस शहर में उसकी आज़ादी के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं … जिस शहर में उसकी जैसी कई महिलाएं क़ानून और संविधान की हिफ़ाज़त करने की ज़िम्मेदारी संभाल रही हैं … उसी शहर के एक अस्पताल में वो एक बिस्तर पर पड़ी है । जूझ रही है ज़िंदगी और मौत के बीच । बदन पर जितनी चोटें हैं, उससे ज़्यादा घाव लगे हैं आत्मा पर । बेबसी उसकी आंखों से पानी बनकर बह रही है। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
08-12-2014, 10:18 PM | #2 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
अगले जनम ...
क्या कुसूर था उसका ? यही ना कि वो लड़की है … यही ना, कि उसने उन लोगों पर भरोसा किया, जिनके हाथों वो ख़ुद को महफूज़ समझती रही । इसी कुसूर ने उसे जीते-जी नर्क में पहुंचा दिया है । वो रो रही है, लेकिन मेरी गर्दन शर्म से झुक रही है । अब अहसास हो रहा है, कि कलेंडर पर सिर्फ़ तारीख़ें बदल रही हैं, हम बिल्कुल नहीं बदले । आधी आबादी के लगातार घटने पर हम बहस करते हैं, मोटी-मोटी फाइलें बनाकर अपना सिर धुनते हैं । बेटी को कभी लक्ष्मी, तो कभी देश का भविष्य बताकर उसे छूट देने की बात करते हैं । लेकिन जब बात आती है उसकी सुरक्षा की, तो हम उसे कोई गारंटी नहीं दे पाते । वो पैदा हो अपने रिस्क पर … जिए अपने रिस्क पर … और जब उसके साथ कोई हादसा हो जाए, तो मरे भी अपने रिस्क पर । दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती बस के भीतर जो दरिंदगी हुई, वो सिर्फ़ एक मानवीय अपराध नहीं है, वो बहुत बड़ी चूक है । आख़िर कैसे चंद लोगों की हिम्मत इतनी बढ़ जाती है, कि उन्होंने एक लड़की को उसके पुरुष मित्र की मौजूदगी में मॉलेस्ट किया । उन्हें मारा-पीटा और किसी कचरे की तरह रास्ते के एक छोर पर फेंककर चले गए । उन लोगों के ज़हन में एक बार को भी यह ख़्याल नहीं आया, कि पकड़े गए तो क्या होगा ? ना क़ानून का डर, ना पुलिस का ख़ौफ़ । वो कोई पेशेवर अपराधी तो नहीं हैं, जो क़ानून से बच निकलने के दाव-पेंच जानते हों, और इसी वजह से निरंकुश होकर अपराध कर रहे हों । उनकी निरंकुशता को परवान चढ़ाया है क़ानून और व्यवस्था की उस ढील ने, जो अपराधियों को सज़ा तो देती है, लेकिन पीड़ित को न्याय नहीं दे पाती । >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
08-12-2014, 10:20 PM | #3 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
अगले जनम ...
मुझे शर्म आती है इस बात पर, कि हम किस मुंह से तरक्की के दावे करते हैं । किस मुंह से हम ये कहते हैं, कि हम सुपर पॉवर बनने वाले हैं । हम जिस समाज में रहते हैं, उसमें बेटियों की हिफ़ाज़त तो कर नहीं सकते, सुपर पॉवर क्या ख़ाक बनेंगे । बहसों का दौर जारी है, दोषियों को कैपिटल पनिशमेंट और फांसी के लिए दलीलें दी जा रही हैं, पर क्या इस सबसे उसके ज़ख़्मों पर मरहम लगेगा ? अगर ज़िंदा बच भी गई, तो क्या पहले जैसी ज़िंदगी जी पाएगी ? शरीर के घावों को रिसना तो बंद हो जाएगा, लेकिन अंतर्मन में लगे ज़ख़्मों का क्या होगा ? जिंदगीभर का नासूर सीने में लिए क्या वो बेटी सहज हो पाएगी ? क्या होगा उन मां-बाप का, जिन्होंने इस देश के क़ानून और संविधान पर भरोसा करके अपनी बेटी को देश की राजधानी में पढ़ने के लिए इसलिए भेजा, ताकि वो समाज के लिए एक उदाहरण बन सके । उन लोगों के लिए मिसाल बन सके, जो अपनी बेटियों को सिर्फ़ घर की चाहरदीवारी में क़ैद रखकर उसके सपनों की उड़ान को एक बांधने की कोशिश करते हैं । >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
08-12-2014, 10:22 PM | #4 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241 |
Re: अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
अगले जनम ...
ज़रा सोचिए, इस एक हादसे की वजह से कितनी बेटियों के ख़्वाब टूट सकते हैं । आख़िर क्यों कोई मां-बाप ख़ुद को आधुनिक सोच का दिखानेभर के लिए अपनी बेटी की अस्मत दाव पर लगाएगा ? मुझे शर्म आती है ख़ुद पर, ऐसे समाज पर, नेताओं पर और उस सरकार पर, जिसकी नुमाइंदगी औरत करती है, मगर फिर भी औरत महफूज़ नहीं है । ऐसे हादसों के बाद शायद हर बेटी यही कहती होगी – अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो … । दिसम्बर 2012 के बाद कानून में कई बदलाव किये गये, व्यापक रूप से परिभाषायें बदली गयीं, सजायें बढ़ायी गयीं ताकि महिलाओं के विरुद्ध किये जाने वाले जघन्य अपराधों के लिये अपराधी को जल्द से जल्द व कड़ी से कड़ी सजा दी जा सके जो अन्य लोगों को भी चेतावनी देने का काम करे और उन्हें गलत राह पर जाने से रोका जा सके. लेकिन क्या स्थिति में सुधार दिखाई दे रहा है ? नहीं..... बल्कि स्थिति दिन-प्रतिदिन पहले से अधिक गंभीर और असहनीय होती जा रही है. हमारी पुलिस और सरकार यौन उत्पीड़न और रेप के बढ़ते जाने वाले मामलों में बगलें झांकते नज़र आते हैं. अब तो स्कूल के अंदर भी रेप के मामलों की रिपोर्टें आ रही हैं जिनमे स्कूल टीचर, गार्ड या ड्राईवर आदि दोषी पाए जाते हैं. छोटी-छोटी बच्चियों तक को यह नरभक्षी अपना शिकार बना रहे हैं. ऐसी स्थिति में जबकि निर्भया कांड के अपराधियों को अभी तक सजा नहीं दी जा सकी, जनता का विश्वास लोकतंत्र के सभी धड़ों तथा कानून और व्यवस्था से धीरे धीरे उठता जा रहा है. **
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
10-12-2014, 11:24 PM | #5 |
Diligent Member
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 65 |
Re: अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
१६|२०१२.... दिसंबर की वो रात जब दामिनी के साथ वो भयंकर कांड हुआ था. दिल दहला देने वाली घटना याद आ गई आपके इस लेख से ..खून खौल जाता है जब वो दिन याद आता है तब किन्तु अफ़सोस की बात है रजनीश जी , की उस घटना के बात इतना सब कुछ होने के बाद भी एईसी घटनाओ और जघन्य अपराधों में कोई कमी नही आइ है आपितु दिब्दीन हम देख और पढ़ रहे हैं की अब तो मासूम बच्चियों को एइसे दरिन्दे नही छोड़ते.क्या होता ज रहा है हमरे समाज को ? जहा बेटी को देवी का रूप मानकर पूजा जाता है उसी देश में इन कुमारिकाओं के साथ एइसे जघन्य अपराध हो रहे हैं .
बहुत ही सही बात कही है आपने रजनीश जी की हम दुनिया के सरताज बनने के सपने देख रहे हैं जबकि खुद के घरों के अँधेरे तो अभी दूर नही हुए . बाद में दुनिया की सोचें पहले घर की बहु बेटियों याने की हमारे देश की बहु बेटियों को सुरक्षा प्रदान करे. आज जो नेट के माध्यम से समाज में अश्लीलता फैलाई जा रही है और जो फिल्मो के माध्यम से आज के नवयुवकों की मानसिकता गिरती जा रही है और अश्लील चित्रों का प्रसार प्रचार हो रहा है सबसे पहले तो उसे बंद किया जाना चहिये. माँ बाप के संस्कार चाहे कितने भी अच्छे दिए गए हों किन्तु ये सब चीजे मानव मस्तिष्क को बिगाड़ने के लिए काफी है . संस्कार तो दें ही माँ बाप, किन्तु साथ साथ विद्यालयों में बच्चों को सात्विक ज्ञान दिया जाय . अब मोदी सरकार से भारत की जनता को बहुत आशाएं हैं देखते हैं आगे क्या होता है ...काश अब इतना अच्छा अ पना समाज हो जाये की सब कहने लगे हे भगवान "मुझे सिर्फ बिटिया ही दीजो " |
11-12-2014, 05:10 PM | #6 |
Special Member
Join Date: Dec 2011
Location: किसी के दिल में
Posts: 3,781
Rep Power: 33 |
Re: अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
मुझे तो बस इतना पता है मेरी बेटी मेरी जान है
अगले क्या दस जनम उसे मेरी ही बिटिया कीजो मुझे तो बस इतना पता है मेरी बेटी मेरी जान है अगले क्या दस जनम उसे मेरी ही बिटिया कीजो मुझे तो बस इतना पता है मेरी बेटी मेरी जान है अगले क्या दस जनम उसे मेरी ही बिटिया कीजो |
16-12-2014, 06:53 PM | #7 |
Special Member
Join Date: Dec 2011
Location: किसी के दिल में
Posts: 3,781
Rep Power: 33 |
Re: अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो
धन्यवाद रजनीश जी ओर सोनी जी
__________________
************************************ मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... . तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,... तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये .. एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी, बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी.. ************************************* |
Bookmarks |
Tags |
agle janam mohe bitiya |
|
|