11-08-2013, 10:28 PM | #11 |
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Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
दोनों इंस्पेक्टरों को विभाग ने एक प्रकार का खुला अधिकार दे दिया था जिसमें पुलिस बल की क्रीम में से टीम के चुनाव का अधिकार भी शामिल था.इस बात को भलीभांति समझते हुये कि बहुत से गुप्तचरों के इस घटनाक्रम में शामिल होने से मामला उलझ सकता है, कोरेसिस व फेटिनौस ने कुल दो सहायकों को चुना – 1. लूटपाट के मामलों की जांच करने वाली क्रेक टीम से जुड़े – इंस्पेक्टर कार्ल क्लोत्ज़ तथा जेफ़्री ब्रोश. इकट्ठे हो कर उन्होंने हत्याओं पर पुनर्विचार आरम्भ किया, गवाहों से व बच निकले व्यक्तियों से दुबारा पूछताछ की गई. देर रात तक काम करते हए वे नये सूत्रों और नज़रअंदाज़ कर दिये गये या छूट गये पुराने सूत्रों की खोज करते रहे. यह मानते हए कि हत्यारे गोरे लोगों की अंधाधुंध हत्यायें करने के षड्यंत्र का एक हिस्सा हो सकते हैं, उन्होंने अपना ध्यान उन समूहों की ओर केन्द्रित करना शुरू किया जो इन कृत्यों में शामिल हो सकते थे. उन्होंने गुप्तचर विभाग की फाईलें छान मारी और घृणा फैलाने का काम करने वाले साहित्य को पढ़ डाला. “क्या तुमने यह पढ़ा है?” कोरेसिस ने पूछा. उसने डेस्क के परली तरफ बैठे फोटिनौस को अश्वेत-मुस्लिम-पाठ-योजना नामक पुस्तिका थमाते हए कहा, “दसवें पाठ को पढ़ कर देखो.” फोटिनौस ने उस पर्चे का मुआयना किया और उसे पढ़ा: Last edited by rajnish manga; 03-09-2013 at 09:02 PM. |
12-08-2013, 06:00 PM | #12 |
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Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
सुन्दर प्रस्तुति, मैं सोच रहा था कि जल्द से जल्द यह कथा सम्पूर्ण हो तो एक सांस में ही पढ़ लिया जाए .. किन्तु ऐसा हो न सका। आभार बन्धु।
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13-08-2013, 11:22 PM | #13 |
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Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
प्रोत्साहन के लिये धन्यवाद. क्षमा चाहता हूँ, मित्र, कुछ व्यस्तताओं के चलते टाइप के काम में रुकावट आ गई. जल्द ही इसे संपन्न करना चाहता हूँ.
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14-08-2013, 04:22 PM | #14 |
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Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
“इस्लाम के प्रवर्तक और उनके अनुयायी शैतान को क्यों मारते हैं? प्रत्येक मुस्लिम के ‘चार शैतानों’ के विषय में क्या-क्या कर्तव्य हैं? चारों शैतानों को एक साथ प्रस्तुत करने पर मुसलमानों को क्या क्या पुरस्कार मिलते हैं?”
“उत्तर: क्योंकि वह शैतान 100 % दुष्ट हैं, वह इस्लाम के उसूलों को धारण नहीं करते और न ही उनका पालन करते हैं. इस्लामी धर्म गुरुओं ने जान लिया है कि वह शैतान को सुधार नहीं सकेंगे, अतः उसको मौत के घाट उतार दिया जाना अधिक श्रेयस्कर है. प्रत्येक मुस्लिम का कर्त्तव्य है कि वह ‘चार शैतान’ ले कर आये. और चारों को एक साथ लाने और प्रस्तुत करने का पुरस्कार होगा – कोट के कालर पर लगाने वाला एक पंखयुक्त बटन, और पवित्र शहर की मुफ्त यात्रा.” “यह शैतान कौन है?” फोटिनौस ने पूछा. “हम लोग हैं. तुम और मैं.” दोनों इन्स्पेक्टर इस बात से अवगत थे कि कुछ अश्वेत मुस्लिम समुदाय जातीय घृणा का प्रचार कर रहे थे. और एक संगठन –इस्लाम का राष्ट्र (नेशन ऑफ़ इस्लाम)– के सदस्यों को खाड़ी क्षेत्र में गोरों के खिलाफ अकारण किये गये हमलों के सन्दर्भ में पूर्व में कई बार पकड़ा गया था. वास्तव में सन 1971 के बाद के दो महीनों में, धार वाले भारी हथियार (गंडासे आदि) से हत्याओं की अति हो गयी, इस अवधि में छः हत्यायें की गईं. हमलों के सम्बन्ध में ‘नेशन ऑफ़ इस्लाम’ के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. “क्वाइटा हेग की तरह से,” फोटिनौस ने कहा, “यह वही एम.ओ. (method of operation) है.” संभवतः, लेकिन दूसरी हत्याओं में पिस्तौल का प्रयोग किया गया था. हत्यारों को अपने हथियार बदलने की क्या आवश्यकता थी? और फिर क्वाइटा हेग को तो जान बूझ कर अगुवा किया गया था. दूसरे शिकार वो लोग थे जिन्हें गलियों में आते-जाते गोलियां मारी गयी थीं. इसके बावजूद फोटिनौस को अपनी विचारधारा पर यकीन था. उदाहरण के लिए ‘नेशन ऑफ़ इस्लाम’ के सख्त नियमों के अनुसार सभी पुरुष सदस्यों को अच्छी वेष-भूषा में रहना और ढंग से बाल कटाना परम आवश्यक था. इस बात की तस्दीक प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों से हो जाती है जिसमे उन्होंने हत्यारों का हुलिया बताया था. रिचर्ड हेग द्वारा अपहरणकर्ताओं के स्मृति-चित्र से भी इसकी पुष्टि होती थी. Last edited by rajnish manga; 03-09-2013 at 09:17 PM. |
14-08-2013, 04:24 PM | #15 |
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Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
जांच की दिशा अब हत्याओं में प्रयुक्त हए हथियार की ओर मुड़ी. उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली .32 केलिबर की स्वचालित पिस्तौल किस कम्पनी द्वारा निर्मित थी? इस सूचना के मिलने पर वे कम से कम हथियार बेचने वाले डीलरों और चीजो को गिरवी रखने वालों की दुकानों पर छानबीन कर सकते थे. क्योंकि बंदूकों आदि की बिक्री केलिफोर्निया में दर्ज की जाती थी. काम बहुत व्यापक था, किन्तु यह सही दिशा में रखा गया एक कदम होता.
मौत का एक संग्रहालय आग्नेय अस्त्रों की पहचान अधिकतर पुलिस प्रयोगशालाओं द्वारा किये जाने वाले सूक्ष्म और महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है. जहां तक हो पाता है, शिकार होने वाले व्यक्ति के शरीर से निकाली गयी गोली, शुबहे वाले हथियार से चलाई गई गोली से मिलान की जाती है. प्रत्येक पिस्तौल, बैरल से निकलने वाली गोली पर अति सूक्ष्म चिन्ह छोड़ देती है. “स्ट्राईएशन” नाम से जानी जाने वाली ये अतिशय सूक्ष्म खरोंचें प्रत्येक हथियार की अपनी खासियत होती हैं, जो मनुष्य के फिंगरप्रिंट की तरह ही अनोखी होती हैं. दो बंदूकों या पिस्तौलों द्वारा चलाई गई गोलियों के “स्ट्राईएशन” कभी एक जैसे नहीं हो सकते. इसके साथ ही चलाई गयी गोली के छूटे हुये खोल भी होते हैं. जब गोली स्वचालित हथियारों द्वारा चलाई जाती है – जैसे कि अब तक की गोलीबारी में प्रयुक्त की गयी थीं – तो धातु का एक इजेक्टर चलाई गई गोली के पिछले खोल को स्वतः उछाल कर फेंकता है. इस प्रकार, गोली के खोल पर ख़ास तरह के (और बहुत कुछ बतलाने वाले) चिन्ह रह जाते हैं जो इजेक्टर द्वारा इसके पीतल पर अंकित किये जाते हैं. दुर्भाग्य से, अभी तक, पुलिस के हाथ हत्याओं में प्रयुक्त की गई पिस्तौल तक नहीं पहुँच सके थे. जो कुछ उन्हें प्राप्त हुआ था, वह था अपने क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ आग्नेयास्त्र विशेषज्ञ - मिश लकसिश. |
14-08-2013, 04:24 PM | #16 |
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Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
मिश लकसिश, दो मीटर का कद्दावर जीवविज्ञानी था जिसने सात वर्ष पूर्व पुलिस विभाग में नौकरी शुरू की थी. उसका घनाकार दफ्तर सान फ्रांसिस्को शहर के विशाल ‘हॉल ऑफ़ जस्टिस’ के भूमिगत खंड में स्थित था.
आग्नेयास्त्र-पहचान प्रयोगशाला में कोई 1000 से अधिक हाथ से चलाई जाने वाली बंदूकों/ पिस्तौलों/ रिवाल्वरों का संग्रह था, जिनमे से अधिकतर को विगत अपराधों में इस्तेमाल किया गया था. मौत के इस संग्रहालय में .32 केलिबर की कम से कम पचास ऑटोमैटिक भी शामिल थीं. अब इनमे से हर एक को पानी से भरे सिलिंडर के आकार वाले टैंक में चलाया गया. और इस प्रयोगशाला में चलाई गयी गोलियों को ज़ेब्रा हत्याओं में बरामद गोलियों से मिलाया गया. अपने सूक्ष्मदर्शी के नीचे लकसिश समानताओं की खोज करता रहा. तत्पश्चात, उसने छोड़े गये खोलों की भी जांच की. अन्ततः, जब उसे कुछ संतोषजनक परिणाम मिले, तो उसने गस कोरेसिस को हत्या-जांच-विभाग में बुला लिया. “मैं यह कहना चाहता हूँ कि हमारा वास्ता दो पिस्तौलों से पड़ा है – दोनों .32 केलिबर स्वचालित,” लकसिश ने कहा, “जनवरी में की गयी पांच वारदातों में इस्तेमाल की गई पिस्तौल, पिछले वर्ष इस्तेमाल की गयी पिस्तौल से अलग है. दोनों ही केसों में विदेश में निर्मित पिस्तौल इस्तेमाल की गई प्रतीत होती है. मैं तुम्हें तीन संभावनाओं के बारे में बता सकता हूँ. प्रथम, उनमे से एक चैक cz 27 हो सकती है. परन्तु हो सकता है कोई इसे वियतनाम से (जहां अमरीकी फौजें लम्बे समय तक तैनात रही थीं) वापिस ले आया हो. दूसरे, आपको बरनाडेल्ली की तलाश भी हो सकती है. परन्तु, मेरा तीसरा अनुमान यह है कि जो आपको चाहिये, वह है नये मॉडल वाली बैरेटा पिस्तौल.” |
14-08-2013, 04:25 PM | #17 |
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Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
विशेषज्ञों द्वारा .32 केलिबर स्वचालित बैरेटा पिस्तौल को ज्यादा शक्तिशाली नहीं मन जाता. फिर भी, नज़दीक से चलाये जाने पर इसकी तांबे से मढ़ी गोली शरीर में आसानी से प्रवेश कर जाती है और तंतुओं, अस्थियों एवम् महत्वपूर्ण अंगों को ध्वस्त कर देती है. 15 सेन्टीमीटर से ज़रा लम्बी और 700 ग्राम भार वाली बारीकी से बनायी गयी यह पिस्तौल, 20 मीटर की दूरी से अचूक मारक क्षमता रखती है. अधिकतर स्वचालित पिस्तौलों की तरह यह भी अपने बट की ओर से एक क्लिप के ज़रिये आठ गोलियों का अस्ला संभाल सकती हैं. जब पिस्तौल चलाई जाती है तो इसका स्प्रिंग एक इजेक्टर पत्ती को पीछे की ओर धकेलता है, और फिर अगली गोली क्लिप से होती हुई फायरिंग चैम्बर में आ जाती है.
कोरेरिस ने टेलीफोन नीचे रखा और एक दर्दयुक्त आह भरी. आपने लकसिश से कोई वाद-विवाद नहीं किया, 500 अदालतों में हाजरी दी चुकने के बावजूद, जिनमे से ज्यादातर नर-हत्या के सन्दर्भ में हुई थीं. परन्तु अब, उन्हें एक पिस्तौल के स्थान पर दो-दो पिस्तौलें ढूंढनी पड़ रही थीं. कोरेरिस यह जानता था कि देश भर में हज़ारों बैरेटा पिस्तौले हर वर्ष बेची जाती हैं. इस बीच, विशेष टीम द्वारा जांच में थोड़ी बहुत प्रगति ही हासिल की गयी थी. कोरेरिस और फोटिनौस दोनों को इस बात का आभास था कि समय निकलता जा रहा है. एक अप्रेल की शाम को, बचाव बल (साल्वेशन आर्मी) के दो कार्यकर्ता शहर के लगभग बीचोबीच .32 स्वचालित द्वारा चलाई गई गोलियों का शिकार बन गये, जिन्हें बिलकुल निकट से गोली मारी गई थी. 19 वर्षीय थॉमस रेनवाटर तो वही ढेर हो गया. उसकी मित्र लिंडा स्टोरी, 21, बचा ली गई. हमलावरों का जो हुलिया उसने बताया उससे पुनः इस बात की पुष्टि हुई कि ज़ेब्रा हत्यारों ने फिर चोट पहुंचाई है. |
14-08-2013, 04:26 PM | #18 |
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Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
अप्रेल की 14 तारीख को, बस की प्रतीक्षा कर रहे दो किशोरों को बुरी तरह घायल कर दिया गया, पुनः .32 केलिबर स्वचालित द्वारा. दो दिन पश्चात, बाहर से आये 23 वर्षीय पर्यटक नेल्सन शील्ड्स को उस समय गोली चला कर मार डाला गया, जब वह एक मित्र के यहाँ कालीन दे कर आ रहा था. इस समय तक के हमलों में मरने वालों की संख्या 13 और घायलों की संख्या 7 हो गई थी. इन सनसनीखेज घटनाओं ने सान फ्रांसिस्को शहर के प्रशासन की नाक में दम कर रखा था.
अप्रेल की 17 तारीख को मेयर एलियोटा ने पूरे शहर में हत्यारों को पकड़ने के लिये जाल बिछाने का हुक्म दिया जिसे ऑपरेशन ज़ेब्रा का नाम दिया गया. पुलिस की कुछ विशेष यूनिटें जिनके पास कलाकारों द्वारा बनाये संदिग्ध व्यक्तियों के स्कैच भी उपलब्ध थे. हुलिए से मेल खाने वाले हर अश्वेत युवक को रोक कर पूछताछ करते. किसी प्रकार, किसी भी युक्ति से हत्याओं पर रोक लगनी चाहिये. कोई 600 से अधिक अश्वेतों से पुलिस ने पूछ-गच्छ की थी और उन्हें जाने दिया था. परन्तु ऑपरेशन आंशिक रूप से ही सफल हो पाया क्योंकि इसने हत्यारों को गलियों से दूर खदेड़ दिया था. हमले रुक गये. इस बीच ‘हॉल ऑफ़ जस्टिस’ की चौथी मंजिल पर स्थित मानव-हत्या सम्बन्धी जांच कार्यालय किसी फौजी बैरक की तरह लगता था. कोरेरिस, फोटिनौस और उनकी ज़ेब्रा टीम के सदस्य अपने डेस्कों पर ही सो जाते थे. खस्ता-हाल और थकावट से चूर होने पर भी, वे अक्सर 48-48 घंटे बिना विश्राम लिए काम करते रहते. सिर्फ दो घंटे की झपकी राहत के लिए, इससे अधिक नहीं. बार-बार वे गोलीकांडों की फाइलों से माथापच्ची करते, पुनर्विचार करते, संभावित रूप से संदिग्ध लगने वाले नामों को छोड़ देते. उन्हें इस बात का यकीन हो चला था कि उनका पाला अश्वेत उग्रवादियों से पड़ा है. किन्तु इसके अतिरिक्त उन्हें क्या पता था? ज्यादातर घटनायें सप्ताह के कार्य-दिवसों में रात 8 बजे से 11 बजे के बीच घटित हुयीं. यह इस बात का संकेत था कि अपराधी दिन के समय अपने रोजगार में व्यस्त रहते थे. |
14-08-2013, 04:27 PM | #19 |
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Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हमलावर अक्सर चार, संभवतः पांच के समूह में गोलीबारी की घटनाओं में भाग लेते थे. उनमें से एक ने सिर को उस्तरे से मुंडवाया हुआ था: अन्य लोगों के बाल ढंग से कटे हए और संवरे हए होते थे. एक अन्य व्यक्ति लम्बा, हलके रंग की चमड़ी वाला अश्वेत था जिसके नाक-नक्श तीखे थे. कम से कम तीन वारदातों में, हमलावरों द्वारा सफ़ेद अथवा भूरी वैन प्रयोग में लाई गई जिस पर कोई चिन्ह या नंबर अंकित नहीं था. लाइसेंस प्लेट भी नहीं देखी गई.
प्रत्येक केस में, हत्यारों ने गलियों में दिखाई देने वाले व्यक्तियों को ही अपना लक्ष्य बनाया, रोबीले अंदाज़ में उनके पास गये और बिल्कुल नज़दीक से उन पर गोली दाग दी. यह स्पष्ट था कि उन्होंने अपने बच निकलने का रास्ता पहले से ही तय कर रखा था. गोलीबारी जिन स्थानों पर की गई, वह शहरभर में दूर दूर स्थित थे. कोई एक स्थान ऐसा न था जिस पर विशेष रूप से पुलिस अपना ध्यान केन्द्रित कर पाती. कोरेरिस विभिन्न प्रकार की वस्तुओं से अटी पड़ी अपनी डेस्क से उठा, आँखों को मलते हए खिड़की की ओर बढ़ा. एक क्षण के लिए वह चुप-चाप खड़े हो कर शहर की रोशनियों को देखने लगा. “तुम मानोगे, कि यह कोई बहुत बड़ा शहर नहीं है,” उसने कहा, “वे यहां हमेशा के लिए तो छुप नहीं सकते. क्या तुमने इतने सौभाग्यशाली किसी व्यक्ति को देखा है?” |
14-08-2013, 04:28 PM | #20 |
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Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
मौत के फ़रिश्ते
20 अप्रेल की दोपहर व्यतीत होते ही भाग्य ने पलटा खाया जब पुलिस मुख्यालय में एक टेलीफोन कॉल प्राप्त हुई. यह कॉल वहां आने वाली इस प्रकार की उन 200 कालों में से एक थी जो प्रतिदिन वहां प्राप्त होती थीं जिनमे हत्याओं के बारे में सूचनायें दी जाती थीं. परन्तु यह कुछ अलग थी. टेलीफोन करने वाले ने, जो खुद अश्वेत था, सुरक्षा की गारंटी के एवज में हत्यारों के बारे में जानकारी देने की पेशकश की थी. कोरेरिस ने, जो अनेकों कालों को स्वयं सुना करता था और उनके आधार पर अनुवर्ती कार्यवाही किया करता था, हालांकि उनका कोई ठोस परिणाम नहीं निकला था, आरम्भ में इसे गंभीरता से नहीं लिया. किन्तु उसे पता था कि उनके पास और कोई उपाय न था. “कार्ल, तुम इस पर काम करना चाहोगे?” उसने टीम में शामिल एक इन्स्पेक्टर से पूछा. एक अन्य इंस्पेक्टर को साथ ले कर, वह गुप्तचर गाड़ी चलाता हुआ ओकलैंड स्थित एक बैंक की तरफ रवाना हुआ, जैसी कि उसे हिदायत दी गयी थी. मीटिंग शाम पांच बजे राखी गई थी. कॉल करने वाले ने कहा था कि वह डिनर जैकेट, ऊनी टोपी और चारों ओर से कसी जाने वाली धूप की ऐनक पहने हए मिलेगा. वह इमारत के एक सुनसान कोने में गुप्तचरों की प्रतीक्षा ही कर रहा था और छाया में कुछ हद तक छुपा हुआ था. “क्या आप ही वह महाशय हैं, जिन्होंने टेलीफोन किया था?” अधिकारियों में से एक ने पूछा. |
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