08-12-2012, 07:40 AM | #1 |
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FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान
भारत मे खुदरा व्यापार पहले से ही विस्तृत है और इसके आ जाने पर कई लोगों पर भारी संकट आ सकता है । कहा जा रहा है की मंहगाई पर रोक लगेगी पर ऐसा तो बिलकुल नहीं दिखता । कुल मिलाकर फायदे कम और नुकसान ज्यादा दिख रहे हैं । एक और बात दिखी ___मायावती ने यदि पक्ष मे समर्थन न किया होता तो शायद ये संसद से पास न हुआ होता । ये भी अवसरवादिता की एक मिसाल है । क्या आपलोग एफ़डीआई के पक्ष मे हैं ?
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08-12-2012, 10:45 AM | #2 |
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Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान
भविष्य में fdi से छोटे खुदरा व्यापारियों को नुक्सान होने की सम्भावना है ,लेकिन शुरुआत में इसका कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा !
जयपुर में आज भी कारफूर और मेट्रो की शॉप है लेकिन मुझे इसमें कहीं भी ऐसा नहीं लगा की ये आम आदमी की पहुँच में है ! अभी ये भी कह पाना मुश्किल है की कौन कौनसे राज्य इसे स्वीकार करेंगे और कौनसे नहीं ,क्यूंकि ncp में महाराष्ट्र में मंजूरी देने से साफ़ मना कर दिया है जबकि संसंद में इन्होने इसका समर्थन किया था ,इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के बारे में भी कुछ नहीं कहा जा सकता ! |
08-12-2012, 10:48 AM | #3 |
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Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान
मैं एफ डी आई के पक्ष में हूँ लेकिन खुदरा बाज़ार में एफ डी आई के पक्ष में नहीं हूँ। इसके बहुत सारे कारण हैं। मैं थोड़ी देर में पॉइंट बाय पॉइंट लिखता हूँ। अभी केवल इतना ही कहूँगा अगर एफ डी आई इन रिटेल आ गया तो छोटे मोटे दूकान सब 2-3 साल में बंद हो जायेंगे। कुछ लोग कहेंगे अरे ऐसे कैसे बिग बाज़ार और रिलायंस तो कब से है कहाँ कुछ हुआ पड़ोस की किराने की दूकान तो वैसे ही चलती है। मेरा विचार है वालमार्ट जब आएगा ऐसा नहीं रहेगा, वो अपने यहाँ बिकने वाले सामनो की कीमत इतनी कम कर देगा की ग्राहक वही जाएगा सामन खरीदने, और पड़ोस की किराने की दूकान कम्पटीशन का कारण कुछ साल में बंद हो जायेगी।
इसपर और विचार लिखा हूँ। ब्रेक के बाद
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08-12-2012, 10:55 AM | #4 | |
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Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान
Quote:
ऐसा कुछ भी होने की सम्भावना नहीं है ,ये कहा जा सकता है की छोटे दुकानदारों का थोडा मुनाफा अवश्य कम हो जाएगा ,लेकिन देखा जाए तो उनके खर्चे भी उतने ही कम होते है ,अत: कम मुनाफे में भी छोटे दुकानदारों को फायदा ही रहेगा ! |
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08-12-2012, 09:36 PM | #5 |
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Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान
अभिषेक जी के विस्तृत विचारों का इंतज़ार है ..........
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08-12-2012, 10:30 PM | #6 | |
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Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान
Quote:
जयपुर में रिलायंस, आदित्य बिड़ला ग्रुप और ऎसी ही अन्य बड़ी कम्पनियों के कई बड़े-बड़े अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शोरूम हैं। मुझे भाव-ताव करना आदि पसंद नहीं हैं, अतः ऐसे स्टोर्स से खरीदारी मुझे बेहतर लगती रही है। किन्तु इनके साथ मेरे अनुभव बहुत कटु रहे हैं। आप जाइए, एक-दो पहरेदार आपके पीछे लग जाएंगे, जैसे आप चोर हों। कई बार इन कर्मचारियों से मेरी तीखी झडपें हुईं। मैंने मैनेजर को बुलवाया और कहा, आप तीन मंजिला इतना बड़ा शोरूम खोले बैठे हैं और इतना नहीं कर सकते कि क्लोज़ सर्किट टीवी लगवा लें। आपके ये दो पहरेदार मेरे पीछे-पीछे घूम कर मुझे लगातार असहज करते हुए यह अहसास करा रहे हैं कि मैं चोर हूं और ज़रा सी नज़र चूकी, तो मैं कुछ पार कर फरार हो जाऊंगा। उन्होंने माफी मांगी, उन दोनों को डपट कर दूर भेज दिया, लेकिन इसे आप क्या कहेंगे कि अब वे कुछ दूर से नज़र रख रहे थे। दूसरा, एक बड़ा सा शोरूम। आदित्य बिड़ला ग्रुप का। मुझे सिर्फ दो सोडे और एक टूथ ब्रश खरीदना था, वह लेकर जब मैं भुगतान के काउंटर पर आया, तो वहां लाइन लगी हुई थी। पता चला कि कम्प्युटर खराब है, ठीक करने के प्रयास हो रहे हैं। उसके ठीक होने पर ही बिल बनेंगे। मैंने कहा, महाशय अगर आपकी यह बिलिंग मशीन काम नहीं कर रही तो आप मैन्युअली बिल क्यों नहीं बना देते, जवाब मिला, नहीं सर, हमें इसकी परमीशन नहीं है। अब मेरे पास वह एक दो चीजें वापस पटक कर लौट आने और अपनी कॉलोनी के किराना स्टोर की सेवाएं लेने के अलावा कोई और कहां बचा था। आपको यह भी बता दूं कि 'मोर' का यह तीन मंजिला स्टोर अब बंद हो चुका है। अब आप सोचिए, वालमार्ट या उस जैसी कम्पनियां क्या गफलत में नहीं हैं? दबाव की वज़ह से बिल तो पास हो गया, लेकिन तमाम प्रबंधक एवं अन्य कर्मचारी वे कहां से लाएंगी, इन्ही में से न? मेरे विचार से ज्यादा ख़तरा रिलायंस जैसों पर है।
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08-12-2012, 10:44 PM | #7 | |
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Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान
Quote:
उदहारण के तौर पर आप बिग बाजार को ही ले लीजिए ! बिग बाजार से वही सामान लेना ठीक है जिन पर कीमत प्रिँट होती है ! लेकिन रोजमर्रा की जरूरत के सामान जैसे दाल , चावल , शक्कर ,तेल और वो सभी सामान जो लूज मिलते हैँ ! आपको काफी महंगे मिलेँगे | इन सामनोँ के लिए हमेँ पड़ोस की किराना दुकानोँ पर ही निर्भर रहना पड़ेगा | एक आम आदमी की पहुच से ऐसे बाजार हमेशा दूर ही रहेँगे ! जिन्हे एक किलो चावल , दो किलो आटा , आधा किलो दाल , आधा किलो दाल , आधा किलो शक्कर , एक पाव चाय पत्ती , एक नहाने का साबुन खरीदना पड़ता है |
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08-12-2012, 11:05 PM | #8 | |
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Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान
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09-12-2012, 06:38 AM | #9 |
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Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान
अमेरिका और पश्चिम देश कई वर्षो से भारत के सर्राफा बाज़ार खुलने के इंतज़ार कर रहे हैं। उनका प्लान है कैसे भी करके दुनिया के 1/6 आबादी के रिटेल व्यवसाय पर कब्ज़ा कर लिया जाए, सप्लाई से लेकर डिमांड तक तमाम चैनल उनके हाथो में आ जाए। कितनी अजीब बात है एक तरफ ओबामा बैंगलोर में जॉब भेजे जाने पर चिंता करते है और इसे अपने चुनाव कैंपेन में शामिल करते हैं और बोलते है की भारत में जॉब आउटसोर्स बंद होने चाहिए और दूसरी तरफ उनकी सेक्रेटरी हिलेरी क्लिंटन भारत में आकर fdi इन रिटेल की पैरवी करती हैं। क्या यह डबल स्टैंडर्ड्स नहीं है?
एक और बात जिसपर मैं आप लोगो का ध्यान ले जाना चाहूँगा वो है स्माल स्केल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर। कुछ रोजमर्रा की चीजें। 1. माचिस 2. झाड़ू 3. अगरबत्ती 4. बच्चो के लिखने के लिए कॉपी, रजिस्टर। 5. और कई सारे लोकल मेड सामन। इस तरह की चीजें सब लोकल बनती और अपने पड़ोस के किराने की दूकान में मिलती है। बड़े शहरो को छोड़ दे तो और भी कई चीजें है जो लोकल ही बनती और बिकती। मैं बताता हूँ अगर वालमार्ट आ गया तो क्या होगा
अब जरा सोचिये, जब यह सब आ जाएगा अपने लस्कर के साथ तो बेचारा लोकल दूकान वाला जो पान, बीडी, सिगरेट, चाय, दूध, दही, चीनी, चावल, कॉपी, रजिस्टर, माचिस, अगरबत्ती, केक, समोसा, जलेबी, रिचार्ज कूपन, झाड़ू, चाय पत्त्ती, और पता नहीं क्या क्या बेचता है उसका क्या होगा। मैं तो बोलता हूँ इससे करीब भारत के 10 करोड़ लो बुरी तरह से affected होंगे, उनका जीवन और कठिन हो जाएगा।
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09-12-2012, 07:17 AM | #10 |
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Re: FDI इन रिटेल :: फायदा या नुकसान
चलिये इतना मान लेते हैं की छोटी मोटी जरूरतों के लिए लोग वालमार्ट या टेसको नहीं जाएँगे , पर जब महीने का राशन लेना हो तो अवश्य विचार करेंगे क्यूंकी उन्हे बाज़ार के मुक़ाबले सस्ता ही मिलेगा ।
मुझे लगता है की वालमार्ट टेसको या कैफेकोर आदि का बिग बाज़ार ,रिलाइन्स से तुलना नहीं किया जा सकता । उसकी निवेश क्षमता इतनी है की वो एक शहर बसा सकती है , ऐसे मे कर्मचारियों की कमी या लाइन लगाकर पैसे का भुगतान वाली समस्या नहीं आने देगी । खुदरा बाजार मे इसके आने से कई लाभ भी है और हानियाँ भी । लाभ ये की इससे कीमतों मे गिरावट आएगी क्यूंकी बाज़ार मे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी । उपभोक्ता वर्ग को महंगाई से थोड़ी राहत मिलेगी । कई जगहों पर कृषि और छोटे खाद प्रसंस्करण उद्योग स्थापित हो सकते हैं और किसानो को बिचौलियों के चंगुल मे फँसने की बजाए अपनी उपज का सीधा और सर्वाधिक लाभ मिल सकता है । इन सबसे इतना तो जाहिर है की देश मे निवेश और रोजगार के अवसर बनेंगे । किन्तु इसकी हानि इसके लाभ से कई गुना खतरनाक है ...जैसे - 1 - वालमार्ट , टेस्को , कैफेकोर आदि इतनी बड़ी और वैश्विक कंपनियाँ हैं की वो जहां जाती है वहाँ के खुदरा बाजार पर पूरी तरह से छा जाती हैं । इन कंपनियों पर किसानो की निर्भरता खाद सुरक्षा पर एक खतरा हो सकता है । 2 -किसान इन पर पूरी तरह निर्भर हो सकते हैं । चूंकि इनका मकसद अधिकतम लाभ कमाना होगा , ऐसे मे किसानो के दीर्घकालीन हित से इन्हे कोई मतलब नहीं होगा । 3 -छोटे कारोबारी और दुकानदार धीरे धीरे खत्म हो सकते हैं क्यूंकी उपभोक्ता कम दाम के कारण कंपनियों से समान खरीदने पर ज्यादा आकर्षित होगे । कुछ जो बचे रहेंगे उन्हे भी कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड सकता है । इससे बेरोजगारी की समस्या बढ़ेगी । 4 -देश मे मौजूद छोटे और कुटीर उगयोग पर बुरा असर पड़ेगा क्यूंकी इन्हे भी विदेशी सामानों से कड़ी स्पर्धा मिलेगी ।
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