My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Hindi Forum > The Lounge
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 01-07-2016, 05:05 PM   #1
soni pushpa
Diligent Member
 
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 66
soni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond repute
Default Nirmal mann

दो संन्यासी युवक यात्रा करते-करते किसी गाँव में पहुँचे।
.
लोगों से पूछा हमें एक रात्रि यहाँ रहना है किसी पवित्र परिवार का घर दिखाओ
.
लोगों ने बताया कि वहा एक चाचा का घर है। साधु-महात्माओं का आदर सत्कार करते हैं।
.
अखिल ब्रह्माण्डमां एक तुं श्रीहरि' का पाठ उनका पक्का हो गया है। वहाँ आपको ठीक रहेगा।
.
उन्होंने उन सज्जन चाचा का पता बताया। दोनों संन्यासी वहाँ गये।
.
चाचा ने प्रेम से सत्कार किया, भोजन कराया और रात्रि-विश्राम के लिए बिछौना दिया।
.
रात्रि को कथा-वार्ता के दौरान एक संन्यासी ने प्रश्न कियाः की आपने कितने तीर्थों में स्नान किया है ?
.
कितनी तीर्थयात्राएँ की हैं। ?
.
हमने तो चारों धाम की तीन-तीन बार यात्रा की है।
.
चाचा ने कहा.. मैंने एक भी तीर्थ का दर्शन या स्नान नहीं किया है।
.
यहीं रहकर भगवान का भजन करता हूँ और आप जैसे भगवत्स्वरूप अतिथि पधारते हैं तो सेवा करने का मौका पा लेता हूँ।
.
अभी तक कहीं भी नहीं गया हूँ।
.
दोनों संन्यासी आपस में विचार करने लगेः ऐसे व्यक्ति का अन्न खाया !
.
अब यहाँ से चले जायें तो रात्रि कहाँ बितायेंगे ? यकायक चले जायें तो उसको दुःख भी होगा। चलो, कैसे भी करके इस विचित्र वृद्ध के यहाँ रात्रि बिता दें।
.
जिसने एक भी तीर्थ नहीं किया उसका अन्न खा लिया, हाय ! आदि-आदि।
.
इस प्रकार विचारते हुए वे सोने लगे लेकिन नींद कैसे आवे !
.
करवटें बदलते-बदलते मध्यरात्रि हुई।
.
इतने में द्वार से बाहर देखा तो गौ के गोबर से लीपे हुए बरामदे में एक काली गाय आयी.... फिर दूसरी आयी.... तीसरी, चौथी.... पाँचवीं... ऐसा करते-करते कई गायें आयीं।
.
हरेक गाय वहाँ आती, बरामदे में लोटपोट होती और सफेद हो जाती तब अदृश्य हो जाती।
.
ऐसी कितनी ही काली गायें आयीं और सफेद होकर विदा हो गयीं।
.
दोनों संन्यासी फटी आँखों से देखते ही रह गये। वे दंग रह गये कि यह क्या कौतुक हो रहा है !
.
आखिरी गाय जाने की तैयारी में थी तो उन्होंने उसे प्रणाम करके पूछाः
.
हे गौ माता ! आप कौन हो और यहाँ कैसे आना हुआ ?
.
यहाँ आकर आप श्वेतवर्ण हो जाती हो इसमें क्या रहस्य है ? कृपा करके आपका परिचय दें।
.
गाय बोलने लगीः हम गायों के रूप में सब तीर्थ हैं। लोग हममें गंगे हर... यमुने हर.... नर्मदे हर... आदि बोलकर गोता लगाते हैं।
.
हममें अपने पाप धोकर पुण्यात्मा होकर जाते हैं और हम उनके पापों की कालिमा मिटाने के लिए द्वन्द्व-मोह से विनिर्मुक्त आत्मज्ञानी, आत्मा-परमात्मा में विश्रान्ति पाये हुए सत्पुरूषों के आँगन में आकर पवित्र हो जाते हैं।
.
हमारा काला बदन पुनः श्वेत हो जाता है।
.
तुम लोग जिनको अशिक्षित, गँवार, बूढ़ा समझते हो वे बुजुर्ग के जहाँ से तमाम विद्याएँ निकलती हैं.... उस आत्मदेव में विश्रान्ति पाये हुए आत्मवेत्ता संत हैं।
.
तीर्थी कुर्वन्ति जगतीं....
.
ऐसे आत्मारामी ब्रह्मवेत्ता महापुरुष जगत को तीर्थरूप बना देते हैं।
.
अपनी दृष्टि से, संकल्प से, संग से जन-साधारण को उन्नत कर देते हैं।
.
ऐसे पुरुष जहाँ ठहरते हैं, उस जगह को भी तीर्थ बना देते हैं।


Internet ke madhyam se
soni pushpa is offline   Reply With Quote
Old 02-07-2016, 09:26 AM   #2
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: Nirmal mann

Quote:
Originally Posted by soni pushpa View Post
.
तुम लोग जिनको अशिक्षित, गँवार, बूढ़ा समझते हो वे बुजुर्ग के जहाँ से तमाम विद्याएँ निकलती हैं.... उस आत्मदेव में विश्रान्ति पाये हुए आत्मवेत्ता संत हैं।
.
तीर्थी कुर्वन्ति जगतीं....
.
ऐसे आत्मारामी ब्रह्मवेत्ता महापुरुष जगत को तीर्थरूप बना देते हैं।
.
अपनी दृष्टि से, संकल्प से, संग से जन-साधारण को उन्नत कर देते हैं।
.
ऐसे पुरुष जहाँ ठहरते हैं, उस जगह को भी तीर्थ बना देते हैं।
बहुत रोचक, ज्ञानवर्धक व प्रेरणा देने वाला प्रसंग. शेयर करने के लिये आपका धन्यवाद, बहन पुष्पा जी.

__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote
Old 05-07-2016, 12:19 AM   #3
soni pushpa
Diligent Member
 
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 66
soni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond reputesoni pushpa has a reputation beyond repute
Default Re: Nirmal mann

बहुत बहुत धन्यवाद भाई उत्साह वर्धक टिपण्णी के लिए .
soni pushpa is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks

Tags
निर्मल मन, nirmal mann


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 06:29 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.