09-01-2016, 09:13 PM | #1 |
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जिन्हें तुम प्यार करते हो
-------------------- जिन्हें तुम प्यार करते हो उन्हें नाराज़ मत करना न जाने वो तुम्हारी बात को किस रूप में लेंगे ये मुमकिन है तुम्हारी बात उनके काम आ जाये संभव यह भी है कि बात उनके दिल को लग जाये बहुत से लोग अपने दिल के हाथों मात खाते हैं बहुत से लोग ज़रा सी बात से भी टूट जाते हैं हैं ऐसे लोग भी जो बात सह जाते हैं हिम्मत से मगर ऐसे भी हैं जो बात को दिल पे लगा लेंगे तुम अच्छी बात करते हो भले की बात करते हो बड़े बूढ़े जवाँ छोटे की वय अनुभव की करते हो मगर हर शख्स अब अपनी समझ अनुसार चलता है इसी से मैं ये कहना चाहता हूँ दोस्तों तुमसे कोई अपना चला जाये न हमसे रूठ के ऐसे कि फिर से वो हमारे बीच वापिस आ ही न पाये हमारे वास्ते अनमोल थे, अनमोल हैं सबसे वही इतने जो प्यारे हैं सदा के लिए बिछड़ जायें... [नोट: यह रचना समाचार पत्रों की उन सुर्ख़ियों पर आधारित हैं जिनमें माता-पिता अथवा अध्यापकों की डांट फटकार के परिणामस्वरूप अवसादग्रस्त बच्चे अथवा लम्बे समय तक सास-ससुर व पति की प्रताड़ना से दुखी हो कर महिलायें आत्महत्या कर अपनी जान दे देती हैं]
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
10-01-2016, 09:38 AM | #2 |
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Re: जिन्हें तुम प्यार करते हो
वाह! बहुत ही सुन्दर रचना है! बहुत बहुत बधाई!
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22-01-2016, 10:54 PM | #3 |
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Re: जिन्हें तुम प्यार करते हो
[QUOTE=rajnish manga;557008]जिन्हें तुम प्यार करते हो
-------------------- जिन्हें तुम प्यार करते हो उन्हें नाराज़ मत करना न जाने वो तुम्हारी बात को किस रूप में लेंगे ये मुमकिन है तुम्हारी बात उनके काम आ जाये संभव यह भी है कि बात उनके दिल को लग जाये बहुत से लोग अपने दिल के हाथों मात खाते हैं बहुत से लोग ज़रा सी बात से भी टूट जाते हैं हैं ऐसे लोग भी जो बात सह जाते हैं हिम्मत से मगर ऐसे भी हैं जो बात को दिल पे लगा लेंगे तुम अच्छी बात करते हो भले की बात करते हो बड़े बूढ़े जवाँ छोटे की वय अनुभव की करते हो मगर हर शख्स अब अपनी समझ अनुसार चलता है इसी से मैं ये कहना चाहता हूँ दोस्तों तुमसे कोई अपना चला जाये न हमसे रूठ के ऐसे कि फिर से वो हमारे बीच वापिस आ ही न पाये [ हमारे वास्ते अनमोल थे, अनमोल हैं सबसे वही इतने जो प्यारे हैं सदा के लिए बिछड़ जायें. सच बेहद भावपूर्ण कविता है भाई,.. गुस्से में कहे शब्द कभी कभी इंसानी जीवन का अफ़सोस बनकर रह जाते हैं सच में जब कोई अपना सदा के लिए दूर हो जाता है तब तो जीना ही दूभर हो जाता है आज के समय में एईसी कविता का अपना एक उच्च स्थान अपने आप बन जाता है भाई क्यूंकि जीवन की समस्याएं बहुत बढ़ गई है और एइसे में लोग मानसिक संतुलन नहीं रख पा ते और सारा गुस्सा अपनो पर उतारते समय क्या बोल जाते हैं इनका उन्हें खुद को ख्याल नहीं हुआ करता और एइसे में अनहोनी घटनाएँ बन जाती है और बोलने वाले के हाथ सिर्फ़ पश्चाताप ही लगता है |
30-01-2016, 05:37 PM | #4 |
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Re: जिन्हें तुम प्यार करते हो
बिलकुलसत्य रचना है आपकी,इससे बचपन में पढ़ा एक श्लोक याद आ गया --
सत्यं ब्रुयात् , अप्रियम् सत्यं ना ब्रुयात् चा। |
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जिन्हें तुम, प्यार करते हो, jinhen tum pyar karte |
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