01-12-2010, 03:43 PM | #11 | |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
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आपका हार्दिक आभार ऐसा लगता तारीफ कुछ ज्यादा हो गयी
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01-12-2010, 03:50 PM | #12 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
एक नेता को
रामलीला मेँ रावण का पार्ट करना था राम के हाथोँ मरना था मगर रावण था कि मरने का नाम ही नही लेता था । राम जाने किस पार्टी का नेता था । विभीषण ने नही खुद रावण ने अपने मरने की युक्ति राम के कान मे बताई । बोला, प्रभू व्यर्थ कर रहे हो ट्राई । चुनाव तक तो मैँ कैसे भी नही मर सकता । चुनाव के बाद की मैँ कह नही सकता । सुनकर श्रीराम ने सिर हिला दिया । रावण बच गया पुतला जला दिया ।
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02-12-2010, 09:33 AM | #13 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
एक नेता के यहां एक
हज्जाम हर हफ्ते जाता । हजामत बनाने से पहले एक यही बात दोहराता हुजूर इलेक्शन कब आ रहे हैँ ? सुनकर नेताजी सकपका जाते हज्जाम उनके बाल काट कर निकल जता । एक दिन नेता से नहीँ रहा गया । बोले यहां बैठते ही इलेक्शन की बात क्यो दोहराते हो ? क्या इलेक्शन मे खड़ा होना चाहते हो ? हज्जाम बोला ऐसी अपनी औकात कहां आप जैसी बात कहां हां इलेक्शन का नाम सुनकर आपके बाल सीधे और तनकर खड़े हो जाते हैँ मुझे कटिँग करने मेँ आसानी रहती है ।
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02-12-2010, 11:50 AM | #14 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
विवाह के मंत्र पढ़ने के
बाद पंडित जी ने दिया आशीर्वाद मेरा बेटा जरूर रंग लाएगा । जब गऊ सी कन्या शेरनी हो जाएगी और तू इसके पीछे पीछे अपनी दुम हिलाएगा । तू कहलाएगा इसका पति और इसको प्रिय होगा वनस्पति ।
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02-12-2010, 12:01 PM | #15 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
आए पटाखा बन गए
हम आपकी खातिर जितने उदास चेहरे थे रंगोँ से भर गए । मुस्कान बांटने का परिणाम क्या मिला जितने उदास चेहरे थे रंगोँ से खिल गए । हस्ताक्षर बनाए तो हंसने लगे अक्षर कमबख्त ये मजाक भी हम पर ही कर गए । अच्छे भले थे आदमी कार्टून बने हैँ लगते उधर ही कहकहे जब जब जिधर गए ।
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02-12-2010, 04:27 PM | #16 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
एक शराबी ' विवाह ' फिल्म देख कर घर आया
और अपने बीवी से बोला - " तुझे पीकर मै देखू मुझे हक़ है ,..................... तू भी पीती है दारू मुझे शक है...................... |
02-12-2010, 09:22 PM | #17 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
हम पहुंच गए
फिल्मी सैट पर फिल्म थी महिला डकैट पर । हीरोइन मेकअप मेँ तैयार घोड़े पर सवार डकैतोँ की सरदार । धांय से पहली गोली चली हीरोइन घोड़े के साथ हवा मे उछली । सुपरहिट एक्शन हो गया रिएक्शन साथी डकैतोँ की नीयत पलट गई लूटना था जमीँदार हीरोइन लुट गई ।
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02-12-2010, 09:28 PM | #18 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
एक साहब के हाथ मेँ
लकड़ी का पुल है , बाहर भीड़ है सामने लटकता हुआ बोर्ड हाउस फुल है । यह लकड़ी का पुल साहब की मेज पर टिकाना है , फाइल बंद पड़ी है उसी का नजराना है। फाइल खुल गई तो पुल बन जाएगा, नही तो लकड़ी का पुल है पोल मेँ जाएगा।
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02-12-2010, 10:27 PM | #19 |
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Re: ।।हंसीले कटीले व्यंग्य।।
इंडिया हमारा है। हमारे बाप का है। इसका हर माल हमारा है। इसकी बोटी-बोटी पर हमारा अधिकार है। इंडिया ने हमारे बाप को बहुत कुछ दिया। दादा को सब कुछ दिया। अब हमें क्यों न देगा इंडिया ? देना पड़ेगा उसे। इंडिया में रहकर इंडिया की दादागिरी नहीं चलने देंगे। यह अन्याय हमारे साथ ही क्यों ? सबके दिया, हमें भी दे इंडिया। सबने खाया इंडिया को, हम भी खाएँगे। सबने तोड़ा, हम भी तोड़ेंगे इंडिया।
इंडिया दे रहा है तो सबको दे। खिला रहा है तो सबको खिलाए। बाँट रहा है तो सबको बाँटे। बराबर-बराबर। हमको कम दूसरों को ज्यादा देगा तो इसकी ईंट-से-ईंट बजा देंगे। इंडिया पड़ौसी को खिलाता रहे, हम देखते रहें। क्यों ? वे लूटें और हम देखें ? इंडिया देने लायक है तो देता क्यों नहीं ? हम उसके वासी हैं। हमें न देगा तो किसे देगा ? किसी दूसरे देशवासी को देगा, तो देख लेंगे इंडिया को। हमारे सामने हमें छोड़कर दूसरों को देगा क्या ? नहीं देने देंगे। हमारा इंडिया है तो हमें ही देगा। नहीं देगा तो छीन लेंगे। लूट लेंगे। चकाचक दे इंडिया ! देता क्यों नहीं है रे ? जिसे भी देता है इंडिया, उसे छप्पर फाड़कर देता है। जेबें, तिजोरी, घर सब भर देता है। खूब खाओ। मौज उड़ाओ। इंडिया जो दे रहा है। देखो, यह माल इंडिया का है। इंडिया के लोंगों के लिए है। इंडिया में ही खाया जा रहा है। यह हमारा इंडिया है। इसकी तरफ दूसरा आँख उठाएगा तो आँख फोड़ देंगे। हाथ उठाएगा तो हाथ तोड़ देंगे। लात उठाएगा तो लात तोड़ देंगे। यह हमारा इंडिया है, इस पर हम हाथ उठाएँ या टाँग उठाएँ, यह हमारा निजी मामला है। जातीय मामला भी है। हम अपने जातीय गौरव की गूदड़ी में दूसरे को नहीं घुसने देंगे। इसमें हमीं घुसेंगे और हम ही फाड़ेंगे। फाड़ने के लिए भी हम ही अधिकृत हैं।
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