24-03-2013, 09:12 PM | #1 |
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रंगों का त्यौहार होली
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
24-03-2013, 09:16 PM | #2 |
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Re: रंगों का त्यौहार होली
होली की पौराणिक-प्रामाणिक कथा -1
होली की पौराणिक (प्रामाणिक) कथा के अनुसार इस पर्व को मनाने की शुरुआत हिरण्यकश्यप के जमाने से होना मानी जाती है। हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रह्लाद भगवान के अनन्य भक्त थे। उनकी इस भक्ति से पिता हिरण्यकश्यप नाखुश थे।
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24-03-2013, 09:16 PM | #3 |
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Re: रंगों का त्यौहार होली
होली की पौराणिक-प्रामाणिक कथा -2
इसी बात को लेकर उन्होंने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन भक्त प्रह्लाद प्रभु की भक्ति को नहीं छोड़ पाए। अंत में हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने के लिए योजना बनाई।
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24-03-2013, 09:18 PM | #4 |
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Re: रंगों का त्यौहार होली
होली की पौराणिक-प्रामाणिक कथा -3
अपनी बहन होलिका की गोद में प्रह्लाद को बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया। लेकिन भगवान की ऐसी कृपा हुई कि होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद आग से सुरक्षित बाहर निकल आए, तभी से होली पर्व को मनाने की प्रथा शुरू हुई।
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24-03-2013, 09:19 PM | #5 |
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Re: रंगों का त्यौहार होली
कैसे करें होलिका पूजन-1 धार्मिक एवं सामाजिक एकता के इस पर्व होली के होलिका दहन के लिए हर चौराहे व गली-मोहल्ले में गूलरी, कंडों व लकड़ियों से बड़ी-बड़ी होली सजाई जाती हैं। वहीं बाजारों में भी होली की खूब रौनक दिखाई पड़ती है। लकड़ी और कंडों की होली के साथ घास लगाकर होलिका खड़ी करके उसका पूजन करने से पहले हाथ में असद, फूल, सुपारी, पैसा लेकर पूजन कर जल के साथ होलिका के पास छोड़ दें और अक्षत, चंदन, रोली, हल्दी, गुलाल, फूल तथा गूलरी की माला पहनाएं।
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24-03-2013, 09:22 PM | #6 |
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Re: रंगों का त्यौहार होली
कैसे करें होलिका पूजन-2 इसके बाद होलिका की तीन परिक्रमा करते हुए नारियल का गोला, गेहूं की बाली तथा चना को भूंज कर इसका प्रसाद सभी को वितरित किया जाता है।
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24-03-2013, 09:23 PM | #7 |
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Re: रंगों का त्यौहार होली
कैसे करें होलिका पूजन-3 भारतीय संस्कृति में होलिका दहन को होली पूजा माना जाता है, जो एक रस्म होती है। होली पूजन महोत्सव धुलेंड़ी के एक दिन पूर्व मनाया जाता है। इस दिन को 'होलिका दहन' कहा जाता है।
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24-03-2013, 09:25 PM | #8 |
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Re: रंगों का त्यौहार होली
होली : शिव-पार्वती की पौराणिक कहानी
होली की एक प्रामाणिक कथा के अनुसार हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान भोलेनाथ से हो जाए परंतु शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे। तब कामदेव पार्वती की सहायता के लिए को आए। उन्होंने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई। शिवजी को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी। कामदेव का शरीर उनके क्रोध की ज्वाला में भस्म हो गया। फिर शिवजी ने पार्वती को देखा। पार्वती की आराधना सफल हुई और शिव जी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। इसीलिए पुराणे समय से होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर अपने सच्चे प्रेम का विजय उत्सव मनाया जाता है।
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24-03-2013, 09:52 PM | #9 |
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Re: रंगों का त्यौहार होली
होलिका दहन व पूजन की प्रामाणिक विधि
26 मार्च 2013, मंगलवार को होलिका दहन किया जाएगा। प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा के दिन भद्रारहित काल में होलिका दहन किया जाता है। 26 मार्च, 2013 को गोधूलि बेला में होलिका दहन किया जा सकता है। इसलिए होलिका दहन से पूर्व और भद्रा समय के पश्चात होली का पूजन करना चाहिए।
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24-03-2013, 09:55 PM | #10 |
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Re: रंगों का त्यौहार होली
क्या चढ़ाएं होली में... होलिका दहन होने के बाद होलिका में जिन वस्तुओं की आहुति दी जाती है, उनमें कच्चे आम, नारियल, भुट्टे या सप्तधान्य, चीनी के बने खिलौने, नई फसल का कुछ भाग है। सप्तधान्य हैं गेहूं, उड़द, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर।
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