My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > Hindi Forum > Debates
Home Rules Facebook Register FAQ Community

 
 
Thread Tools Display Modes
Prev Previous Post   Next Post Next
Old 22-02-2015, 11:59 PM   #12
Arvind Shah
Member
 
Arvind Shah's Avatar
 
Join Date: Jul 2013
Location: Banswara, Rajasthan
Posts: 172
Rep Power: 17
Arvind Shah is a splendid one to beholdArvind Shah is a splendid one to beholdArvind Shah is a splendid one to beholdArvind Shah is a splendid one to beholdArvind Shah is a splendid one to beholdArvind Shah is a splendid one to behold
Default Re: आस्था पर आग

Quote:
Originally Posted by pavitra View Post
Rajat ji आपकी बात का उत्तर दूँ उससे पहले आपको धन्यवाद कहना चाहती हूँ ....आपकी एक कहानी याद आगयी जो आपने अभी हाल ही में हमसे share की थी..... एक आदमी हमेशा जिन्ना के खिलाफ बोलता रहता था।
जिन्ना के सेक्रेटरी ने एक दिन उनसे कहा- 'आप क्यों नहीं उस आदमी के खिलाफ अपना बयान देते?'
जिन्ना ने कहा- 'अगर मैं उसके खिलाफ बोलूँगा तो वो बड़ा आदमी बन जाएगा। इसलिए दाँत पीसना ही सही रास्ता है!'


आज आपने मेरे बारे में बोलकर , forum पर मेरे कद में इजाफा कर दिया.......


अब बात आपकी कही बात की......जो आस्तिक लेखक वर्ग पर आरोप लगाते हैं , दरसल वो आस्तिक नहीं कट्टरपंथी होते हैं , जिन्हें लगता है कि सिर्फ उनका धर्म ही श्रेष्ठ है और अगर यही लेखक वर्ग किसी दूसरे धर्म का अपमान करें तो उन्हें कोई फर्क नहीं पडेगा । अगर आप मेरी बात कर रहे हैं तो मैं आपको बता दूँ कि मैं हिन्दू हूँ , और अगर आप मेरे सामने किसी भी अन्य धर्म के लिये भी कुछ ऐसा कहेंगे जो मेरी नजर में सही नहीं है तो मैं उसका भी विरोध करूँगी ही.....

आपने पी.के. मूवी का जिक्र किया ...मैंने भी वो मूवी देखी है और मुझे कहीं भी यह महसूस नहीं हुआ कि हमसे कहा जा रहा हो कि "मन्नतें पूरी नहीं होती"......उसमें तो साफ-साफ बताया गया है कि मन्नतें पूरी होती हैं , बस मन्नतें पूरी करने के नाम पर जो धन्धा होता है ,मूवी में उसका विरोध किया गया है.....मैं आपको फिल्म के scenes के उदाहरण भी दे देती लेकिन शायद मैं मुख्य मुद्दे से भटक जाऊँगी , इसलिये फिर कभी.......

अब आपने देवराज इन्द्र के बारे में कहा कि - "देवराज इन्द्र का सिंहासन उस समय हिलने नहीं लगता जब कोई जप-तप में लीन हो जाता है? देवराज इन्द्र का विचलित और चिन्तित होना क्या अपनी पदवी के प्रति उनके लालच को प्रदर्शित नहीं करता?"......आपसे किसने कहा कि देवराज इन्द्र इसलिये विचलित होते हैं कि उनकी पदवी उनसे छिन जायेगी??? कोई भी व्यक्ति जब अपने से श्रेष्ठ व्यक्ति को देखता है तो उससे उसे भय लगता ही है , तो जब कोई जप-तप में लीन हो जाता है तो हो सकता है देवराज इन्द्र को लगता हो कि कहीं ये मुझसे अधिक प्रिय ना हो जाये प्रभु को , और इसलिये वो विचलित होते हों ......आपको रामचरितमानस का वो प्रसंग याद होगा कि जब सीता जी के स्वयंवर के समय श्री राम जी खडे हुए थे तो हर व्यक्ति ने उन्हें अपनी अलग नजर से देखा , किसी को वो पुत्र , किसी को काल , किसी ने शत्रु के रूप में दिखे.........जाकि रही भावना जैसी , प्रभु मूरत देखी तिन तैसी......तो देवराज इन्द्र विचलित क्यों होते हैं इसपर लोगों के मत उनकी भावना के अनुसार अलग हो सकते हैं..... (अब ये ना समझियेगा कि मैं आपकी भावना पर सन्देह कर रही हूँ , मुझे पता है आपने भी ग्रन्थों में से ही पढा है पर वो ग्रन्थ लिखने वाले भी तो मनुष्य ही हैं , जो अपनी भावना के अनुसार ही लिखेंगे)

अब आपने कहा कि -अतएव यह सिद्ध हुआ कि शीतला देवी स्वयं इन विषाणु (virus) जन्य बीमारियों की जनक हैं और इन्हें निरोगी काया प्राप्त करने हेतु पूजा नहीं जाता, अपितु विषाणुजन्य बीमारियों को चंगा करने के उद्देश्य से पूजा जाता है

इस बारे में मैं बस इतना कहुँगी कि कुछ बातें बस कहने के लिये ही कही जाती हैं , भय एक ऐसी चीज है जिसके वशीभूत हो व्यक्ति कुछ भी कर सकता है , तो माता निकल आयी है इसका मतलब ये कतापि नहीं है कि माता ने बीमारी फैलायी है , सोचिये अगर मुझे खुद को ही घर साफ करना हो तो मैं क्यों पहले घर गन्दा करुँगी??? जब माता को खुद ही बीमारी ठीक करनी है तो वो क्यों पहले बीमार करेंगी??? (अब ये तो रही logic की बात) .....अब दूसरी तरह से देख लीजिये कि आप खुद कह रहे हैं कि माता विषाणुजन्य बीमारियों की जनक हैं , तो जो कारण हो दुख का उसको कोई क्यों दुख दूर करने के लिये पूजेगा??? आप खुद गौर करें अपनी कही बात पर.......

अब आपने कहा -
आक्षेप ही लगाना हो तो कल्कि अवतार के सन्दर्भ में तो डॉ. ज़ाकिर नायक के कथन पर लगाइए, हमारी छोटी सी तुच्छ रचना पर नहीं।

रजत जी जब जमीन में गलत बीज बोया जा रहा हो तभी उस बीज को निकाल देना अच्छा रहता है , जब बीज पेड बन जाये तब उसे कैसे भी नहीं निकाला जा सकता......आप जिनकी बात कर रहे हैं अगर उन्हें भी शुरुआत में ही सही दिशा मिली होती तो शायद आज आप हमें उनका उदाहरण ना दे रहे होते......आगे कोई लेखक हमें आपका उदाहरण ना दे इसलिये आपसे इतना लडना पड रहा है यहाँ.....


मैं बाकि सभी धर्मों का सम्मान करती हूँ ये जताने के लिये मुझे अपने धर्म का अपमान करना पडे , या मेरा धर्म श्रेष्ठ है ये बताने के लिये मुझे दूसरे धर्मों की निन्दा करनी पडे , ये उचित नहीं है।


और इस दुनिया में बहुत से लोग हैं जो वैमनस्य सोच रखते हैं , उनकी बातों से फर्क नहीं पडता अब आप "पडोसी" तो हैं नहीं , "फ्रेंड्लिस्ट" में आ चुके हैं तो आपकी बातों से फर्क पडता है , इसलिये ही इतना कहा , वरना ओवैसी , नायक सरीखे बहुत हैं इस दुनिया में ....अब वो गलत हैं तो हमें उनके competition में गलत थोडे ही बनना है........
बढिया विश्लेषण !
Arvind Shah is offline   Reply With Quote
 

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 02:05 PM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.