09-11-2012, 09:51 PM | #11 |
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Re: मरने के बाद
इन अंगों को डॉक्टर जल्द-से-जल्द किन्हीं ऐसे मरीजों में ट्रांसप्लांट कर देते हैं, जिन्हें पहले से इनकी जरूरत रही हो। अंग प्रत्यारोपण करने वाले अस्पतालों के पास एक वेटिंग लिस्ट होती है। उसके हिसाब से जिस मरीज का नंबर होता है, उसमें अंग को लगा दिया जाता है। अंग लगाते वक्त मैचिंग के लिए ब्लड ग्रुप और दूसरे कई टेस्ट किए जाते हैं। अगर सब कुछ ठीक है तो अंग लगा दिया जाता है और अगर मैचिंग नहीं होती तो वेटिंग लिस्ट के अगले मरीज के साथ उसे मैच किया जाता है।
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बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है। |
09-11-2012, 09:52 PM | #12 |
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Re: मरने के बाद
कितने समय तक सही
-लिवर निकालने के 6 घंटे के अंदर ट्रांसप्लांट हो जाना चाहिए। -किडनी 12 घंटे के भीतर लग जानी चाहिए। -आंखें 3 दिन के भीतर लगा दी जानी चाहिए। नोट: 6 से 12 घंटे के भीतर डोनर की बॉडी से निकालने के बाद अंगों को ट्रांसप्लांट कर दिया जाना चाहिए। जितना जल्दी प्रत्यारोपण होगा, उस अंग के काम करने की क्षमता और संभावना उतनी ही ज्यादा होगी।
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09-11-2012, 09:52 PM | #13 |
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Re: मरने के बाद
आंखों का दान
कौन कर सकता है -एक साल से बड़ा कोई भी शख्स यह तय कर सकता है कि वह मौत के बाद अपनी आंखों का दान करना चाहता है। इसके लिए अधिकतम उम्र कोई नहीं हैं। -जीवित शख्स आंखों का दान नहीं कर सकता। -अगर आपकी नजर कमजोर है, चश्मा लगाते हैं, मोतियाबिंद या काला मोतिया का ऑपरेशन हो चुका है, डायबीटीज के मरीज हैं तो भी आप आंखें दान कर सकते हैं। यहां तक कि ऐसे अंधे लोग भी आंखें दान कर सकते हैं, जिनके अंधेपन की वजह रेटिनल या ऑप्टिक नर्व से संबंधित बीमारी हैं और उनका कॉर्निया ठीक है। -रेबीज, सिफलिस, हिपेटाइटिस या एड्स जैसी इन्फेक्शन वाली बीमारियों की वजह से जिन लोगों की मौत होती है, वे अपनी आंखें दान नहीं कर सकते। -अगर किसी इंसान की मौत दूर-दराज के इलाके में होती है, जहां आई-बैंक वालों को पहुंचने में ज्यादा वक्त लग सकता है तो उनकी आंखों का दान मुमकिन नहीं है।
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09-11-2012, 09:52 PM | #14 |
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Re: मरने के बाद
क्या है तरीका
मौत के छह घंटे के अंदर आई बैंक वाले बॉडी से आंखों को ले लेते हैं। मृत शरीर के अंदर से आंखें लेने में इससे ज्यादा देर नहीं होनी चाहिए। इसके लिए मौत के बाद करीबी लोगों को आई बैंक को तुरंत सूचित करना जरूरी है। -जब तक आई बैंक वाले आएं, तब तक मरने वाले की दोनों आंखों को बंद कर देना चाहिए और आंखों पर गीली रुई रख देनी चाहिए। अगर पंखा चल रहा है तो बंद कर दें। मुमकिन हो तो कोई ऐंटिबायॉटिक आई-ड्रॉप मरने वाले की आंखों में डाल दें। इससे इन्फेक्शन का खतरा नहीं होगा। सिर के हिस्से को छह इंच ऊपर उठाकर रखना चाहिए। -आई-बैंक से आकर डॉक्टर पूरी आई बॉल निकाल लेते हैं। इससे आंखों में कोई गड्ढा या डिफॉर्मिटी नहीं आती। देखने में आंखें पहले जैसी ही लगती हैं
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09-11-2012, 09:53 PM | #15 |
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Re: मरने के बाद
दूसरों को आंख लगाना
-आई-बैंक आने के बाद कॉर्निया के कई तरह के टेस्ट किए जाते हैं। जो कॉर्निया ठीक होते हैं, उन्हें आई बॉल से निकाल लिया जाता है और फिर उन्हें एक खास सल्यूशन में रख दिया जाता है, जिससे वे कुछ दिन सुरक्षित रहते हैं। -अच्छी क्वॉलिटी के कॉर्निया को तीन दिनों के भीतर कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन के लिए इस्तेमाल कर लिया जाना चाहिए। -आंख के बाकी हिस्सों को मेडिकल रिसर्च में यूज किया जाता है। -कॉर्निया किसे लगाया जा रहा है, यह डोनर के घरवालों को नहीं बताया जाता और न ही जिसे लगाया जा रहा है, उसे यह सूचना दी जाती है कि किसकी आंख उसे लगाई गई है।
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09-11-2012, 09:53 PM | #16 |
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Re: मरने के बाद
यह आंख कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन के जरिए किसी की आंखों में रोशनी ला सकती है। कॉर्नियल ट्रांसप्लांट के 90 फीसदी से भी ज्यादा मामलों में कॉर्नियल अंधेपन की वजह से पीड़ित लोगों की रोशनी वापस आ जाती है।
-चूंकि कॉर्निया में ब्लड वेसल्स नहीं होतीं इसलिए इसे किसी को भी लगाया जा सकता है। लगाने से पहले मरीज के साथ मैचिंग करने की जरूरत नहीं होती।
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09-11-2012, 09:54 PM | #17 |
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Re: मरने के बाद
कहां संपर्क करें
अगर किसी मृत इंसान की आंखें दान करनी हैं या कोई जिंदा शख्स आंखें दान करने के लिए फॉर्म भरना चाहता है तो किसी भी आई-बैंक से संपर्क कर सकते हैं। नीचे कुछ नंबर दिए गए हैं: -1919 आई डोनेशन के लिए केंद्रीय नंबर है, जिसे डायल किया जा सकता है लेकिन कुछ तकनीकी खामियों की वजह से यह नंबर कभी-कभार ही मिलता है। -9990160160 भी सेंट्रलाइज्ड नंबर है, जिस पर कॉल कर सकते हैं। -वेणु आई इंस्टिट्यूट ऐंड रिसर्च सेंटर: 011-2925-0952 -गुरु गोबिंद सिंह इंटरनैशनल आई-बैंक: 011-2254-2325 -गुरु नानक आई सेंटर: 011-2323-4612
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09-11-2012, 09:54 PM | #18 |
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Re: मरने के बाद
आप क्या करें
अंगदान सबसे बड़ा दान है क्योंकि इसकी मदद से इंसान कई जिंदगियों को जीवन दान देता है। इसलिए तय करें कि आपको अंगदान करना है। इसके लिए दो तरीके हो सकते हैं। कई एनजीओ और अस्पतालों में अंगदान से संबंधित काम होता है। इनमें से कहीं भी जाकर आप एक फॉर्म भरकर दे सकते हैं कि आप मरने के बाद अपने इस-इस अंग को दान करना चाहते हैं। आप जो-जो अंग चाहेंगे, सिर्फ वही अंग लिया जाएगा। आप सभी या कोई एक अंग दान कर सकते हैं। संस्था से आपको एक डोनर कार्ड मिल जाएगा, लेकिन इस कार्ड की कोई लीगल वैल्यू नहीं होती। इसके बाद अपने निकटतम संबंधियों को इस बारे में जानकारी दे दें कि मैंने अपने इन-इन अंगों को दान कर दिया है और मेरे मरने के बाद उन्हें इस काम को पूरा करना है। अगर आप फॉर्म नहीं भरते हैं, तो भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता। बस अपने निकटतम लोगों को अपनी इच्छा बताकर रखें। मौत हो जाने पर अंगदान की जिम्मेदारी आपके संबंधियों पर होगी क्योंकि उन्हें ही कॉल करनी है। अगर आपने फॉर्म नहीं भी भरा है तो भी अंगदान हो जाएगा। आपके फॉर्म भरने के बाद भी अगर संबंधी न चाहें तो अंगदान मुमकिन नहीं है। इसलिए सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अपनी इच्छा के बारे में अपने निकटतम संबंधियों को बताकर रखा जाए कि आप कौन-कौन से अंगों का दान करना चाहते हैं। आंखों के अलावा दूसरे अंगों के दान के लिए परिवारजनों को कहीं भी कॉल करने की जरूरत नहीं है क्योंकि बाकी अंगों का दान होगा ही तब, जब मरीज की ब्रेन डेथ अस्पताल में हुई होगी और डॉक्टरों ने उसे फौरन जीवन बचाने वाले यंत्रों पर ले लिया होगा। अंगदान करते वक्त परिजनों का कोई खर्च नहीं होता।
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09-11-2012, 09:55 PM | #19 |
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Re: मरने के बाद
जीवित लोगों द्वारा अंगदान: कानूनी पहलू
जीवित शख्स के अंगदान करने की प्रक्रिया कई कानूनी बंधनों में बंधी है और पूरे आकलन के बाद ही ऐसा करना मुमकिन हो पाता है। अपने देश में प्रत्यारोपण का पूरा कार्यक्रम द ट्रांसप्लांट ऑफ ह्यूमन ऑर्गन ऐक्ट 1994 के तहत किया जाता है। कोई भी शख्स अंगों को बेच या खरीद नहीं सकता। जिस शख्स का प्रत्यारोपण होना है, अंगदान सिर्फ उसके सगे-संबंधी या बेहद नजदीकी रिश्तेदार ही कर सकते हैं, जिसके लिए पूरी जांच-पड़ताल की जाती है। नजदीकी रिश्तेदारों में माता-पिता, पति-पत्नी, बच्चे, भाई-बहन, चचेरे भाई-बहन आदि आते हैं। इनमें से भी अगर कोई लालच या किसी चीज के बदले अंगदान कर रहा है तो वह गैरकानूनी है। मसलन किसी ने अपने भाई से कह दिया कि आप मुझे किडनी दे दें, मैं अपनी इतनी प्रॉपर्टी आपके नाम कर दूंगा, तो ऐसे कॉन्ट्रैक्ट गैरकानूनी हैं।
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09-11-2012, 09:58 PM | #20 |
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Re: मरने के बाद
किसने देखा अगला जन्म
आमतौर पर लोग धार्मिक आस्थाओं के कारण अंगदान करने से बचते हैं, लेकिन तमाम धर्म-आध्यात्मिक गुरु भी इस बात को कह चुके हैं कि अंगदान करना एक बड़े पुण्य का काम है क्योंकि इससे आप एक मरते हुए शख्स को जिंदगी दे रहे हैं और किसी को जिंदगी देने से बड़ा पुण्य भला क्या होगा! आंखें दान करने वाले अगले जन्म में अंधे पैदा होंगे, जैसी बातें अंधविश्वास हैं। खुद सोचिए, अगर किसी ने दिल और गुर्दे दान कर दिए, तो इस थियरी के हिसाब से तो अगले जन्म में उसे बिना दिल और किडनी के पैदा होना चाहिए। क्या ऐसा मुमकिन है कि कोई इंसान बिना दिल और किडनी के जन्म ले? है ना हास्यास्पद! धर्म से संबंधित ऐसी सभी मान्यताएं जो अंगदान न करने की बात करती हैं, महज अंधविश्वास हैं, जिन्हें नजरंदाज करके हर किसी को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए।
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