28-07-2020, 02:48 PM | #1 |
Diligent Member
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मत्तगयंद (मालती) सवैया छंद
■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ मान लिया जब दूर हुए तब लक्ष्य तुझे लगते सपने से, धीरज किन्तु रखो मन में यह दर्द बढ़ेगा सदा जपने से, कष्ट हजार सहो पर यार यकीन रखो तुम तो अपने से, कुंदन और निखार लिये दमके चमके सुन लो तपने से। रचना- आकाश महेशपुरी दिनांक- 25/07/2020 ■■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी" ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274304 मो. 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 28-07-2020 at 06:56 PM. |
06-08-2020, 11:18 AM | #2 |
VIP Member
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Re: मत्तगयंद (मालती) सवैया छंद
भुत सच
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