08-04-2012, 12:10 AM | #1 |
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जाने क्यूं हर वक्त जख्मों को सहलाया मैंने
नींद आँखों की खोयी ,दर्द ज़माने का पाया मैंने तुमसे दिल लगा के आँखों में नींद का नाम नहीं. दिल में चैन का काम नहीं .. बेदर्द ज़माने में जज्बातों का कोई दाम नहीं ... जाने कौन सा दर्द जगाया मैंने तुमसे दिल लगा के जाने क्या खोया क्या पाया मैंने तुमसे दिल लगा के नींद आँखों की खोयी ,दर्द ज़माने का पाया मैंने तुमसे दिल लगा के दिल को सुकून मिले ना मिले . आँखों को चैन मिले न मिले .. जख्म दिल के सिले न सिले ... फिर भी जाने क्यू हर वकत जख्मों को सहलाया मैंने तुम से दिल लगाके जाने क्या खोया क्या पाया मैंने तुमसे दिल लगा के नींद आँखों की खोयी ,दर्द ज़माने का पाया मैंने तुमसे दिल लगा के सोचा था उनसे मिलकर थोडा सा चैन मिले. वो जब भी मिले मुझसे हर वक़्त बेचैन मिले .. दिल के सारे जख्म ही मुझे उनकी ही देन मिले... दर्द ज़माने कम पड़ गया जितना पाया मैंने तुझसे दिल लगा के जाने क्या खोया क्या पाया मैंने तुमसे दिल लगा के नींद आँखों की खोयी ,दर्द ज़माने का पाया मैंने तुमसे दिल लगा के Last edited by sombirnaamdev; 08-04-2012 at 12:33 AM. |
08-04-2012, 12:21 AM | #3 |
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Re: फिर भी जाने क्यू हर वकत जख्मों को सहलाया मÃ*
sir ji raaton ya to pagal jagate hain dard ke mare kavita padhane or utsah vardhan ke dhanyavaad srimman ji Last edited by sombirnaamdev; 08-04-2012 at 12:28 AM. |
08-04-2012, 12:35 AM | #5 |
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Re: फिर भी जाने क्यू हर वकत जख्मों को सहलाया मÃ*
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08-04-2012, 02:50 AM | #7 |
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Re: फिर भी जाने क्यूं हर वक्त जख्मों को सहलाया
अच्छी कोशिश है, मित्र ! धन्यवाद !
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08-04-2012, 06:32 AM | #8 |
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Re: जाने क्यूं हर वक्त जख्मों को सहलाया मैंने
बहुत ही अच्छा है।
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08-04-2012, 01:55 PM | #9 |
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Re: जाने क्यूं हर वक्त जख्मों को सहलाया मैंने
गंभीरता से लिखते रहें मित्र , सफलता आपके कदम चूमेगी एक दिन .
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08-04-2012, 11:28 PM | #10 |
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Re: फिर भी जाने क्यूं हर वक्त जख्मों को सहलाया
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