18-12-2012, 08:39 PM | #11 |
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Re: मेरी रचनाये-4 दीपक खत्री 'रौनक'
कि हकीकत की ठण्ड का अहसास ना हुआ ठन्डे हो गए वक़्त से वो सपनो के मुसाफिर 'रौनक' जिन्हें हकीकत की ठण्ड ने ना कभी छुआ........ दीपक खत्री 'रौनक' |
18-12-2012, 08:40 PM | #12 |
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Re: मेरी रचनाये-4 दीपक खत्री 'रौनक'
वो अक्सर कहा करते थे किसी रोज तुम्हें पा ही लेंगे 'रौनक'......... और देखो तो जरा मिट्टी मिट्टी से मिल ही गई......
दीपक खत्री 'रौनक' |
18-12-2012, 08:41 PM | #13 |
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Re: मेरी रचनाये-4 दीपक खत्री 'रौनक'
मुक्कमल रख आरज़ू सीने मे
अपराध नहीं सच को जीने मे बेमजा है बेवजा जीस्त 'रौनक' रख हौसलों की उड़ान सीने मे दीपक खत्री 'रौनक' |
18-12-2012, 08:42 PM | #14 |
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Re: मेरी रचनाये-4 दीपक खत्री 'रौनक'
सफ़र
==== सफ़र कभी कितना लम्बा कितना छोटा कभी दिशाहीन अंतहीन कभी सार्थक कभी अपना कभी पराया है बहुत तन्हा फिर भी कारवों से जुड़ा रोज पूरा होता हुआ लेकिन फिर भी रोज नई मंजिलों की तलाश करता ये सफ़र दीपक खत्री 'रौनक' |
18-12-2012, 08:43 PM | #15 |
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Re: मेरी रचनाये-4 दीपक खत्री 'रौनक'
ऐशो आराम से खुद को जोड़ा नहीं
चुनौतियों से कभी मुख मोड़ा नहीं आरज़ू रखी है मैंने फक्त वफ़ा की मैंने दिल कभी किसी का तोड़ा नहीं वो अक्सर पूछते थे वजा मौन की मैंने राज़ दिल का कभी खोला नहीं लगाई बहुत बोली जज्बातों की उसने मैंने वजन प्यार का कभी तोला नहीं मिट जाता मै उसकी ख़ुशी की खातिर उसने अपना समझकर कभी बोला नहीं शुकून ना मिला मुझे कब्र मे भी 'रौनक' उसके तसव्वुर ने मुझे कभी छोड़ा नहीं दीपक खत्री 'रौनक' |
18-12-2012, 08:44 PM | #16 |
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Re: मेरी रचनाये-4 दीपक खत्री 'रौनक'
मझधार मे उलझे भी पार लगाये है बहुत
ज़िन्दगी के नाज़ भी हमने उठायें है बहुत लम्हा दर लम्हा चोट करता रहा 'रौनक' खाकर ठोकरे हम भी लडखडाये है बहुत दीपक खत्री 'रौनक' |
18-12-2012, 08:45 PM | #17 |
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Re: मेरी रचनाये-4 दीपक खत्री 'रौनक'
उन्हें रंज है कि मै कोई लतीफा क्यों नहीं लिखता......जिन्दगी खुद एक लतीफा है 'रौनक' मै जिंदगी कैसे लिख दूँ............
दीपक खत्री 'रौनक' |
18-12-2012, 08:46 PM | #18 |
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Re: मेरी रचनाये-4 दीपक खत्री 'रौनक'
ना सुनाओ कोई बहाना
ना बनाओ मुझे दीवाना बनने तो दो कोई फ़साना बस मेरी आरज़ू पूरी करो ना नज़रे यूँ चुराओ ना नज़ारे यूँ छुपाओ अफसाना कोई बनाओ बस मेरी आरज़ू पूरी करो ना करो कोई हिमाकत ना करो कोई शरारत करो इतनी सी इनायत बस मेरी आरज़ू पूरी करो दीपक खत्री 'रौनक' |
18-12-2012, 09:11 PM | #19 | |
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Re: मेरी रचनाये-4 दीपक खत्री 'रौनक'
Quote:
sach hai khatrii jii aulat ko hii khudaa maanate hai log |
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18-12-2012, 09:22 PM | #20 |
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Re: मेरी रचनाये-4 दीपक खत्री 'रौनक'
[QUOTE=deepuji1983;196702]
दिखावा भर है वरना कहाँ अपना मानते है लोग जब सच कहो तो कितना बुरा मानते हैं लोग... You remind me of a she'r by a renowned Shayar: KHATAAVAAR SAMKJHEGI DUNIYA TUJHE/ TU ITNI ZIYAADA SAFAAI NA DE// Conratulations. |
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