28-12-2012, 09:06 PM | #11 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
यूँ आते जाते इशारों से सताते हो क्यों हम तो यूँही कायल है तेरे हुश्न के 'रौनक' यूँ तुम अदाओं के तीर चलाते हो क्यों दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:07 PM | #12 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
वो ऐसे मेरे सामने से गुजर गये 'रौनक'......जैसे कि मै कभी उनका कुछ था ही नहीं.......
दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:09 PM | #13 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
उनकी आँखे मुझसे इस कदर भी अन्जान नहीं है 'रौनक'....... जिस कदर उन्होने मुझे अजनबी बना दिया.....
दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:10 PM | #14 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
आज एक बार फिर वो गलियाँ छोड़ कर जा रहा है 'रौनक'.........जहाँ बचपन सारा गुजारा था.......
दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:11 PM | #15 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
हम ताजा इश्क के कायदों से अन्जान थे
वफा के निशान ही तो इश्क की पहचान थे क्यों हवा सी बदल गई आशिकों की 'रौनक' दौर वो गया जब आशिक दो जिस्म एक जान थे दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:14 PM | #16 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
मिट रहे निशान आहिस्ता से
लुट रहे गुलिस्तान आहिस्ता से टूट रहे आशियाँ मोहब्बत के तन्हा रह गए मकान आहिस्ता से गिर रही बिजलियाँ ख्वाबों पर छीन गयी मुस्कान आहिस्ता से मोम हो रहे औज़ार पत्थर के चोट खो रही पहचान आहिस्ता से छूट रही मंजिलें बेवजा भीड़ मे रस्ता जा रहा श्मशान आहिस्ता से खूब खेल रही तकदीर 'रौनक' से लाश हो रहा बेजुबान आहिस्ता से दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:16 PM | #17 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
कहने को तो पूरी कायनात मेरी है
भीड़ जो बेपनाह है वो भी मेरी है झूठ को गर छोड़ू तो सच ये है 'रौनक' इस हुजूम मे ये तन्हाई भी मेरी है दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:17 PM | #18 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
भूल जाना तुम गर तुम्हे कुछ याद है
छोड़ जाना तुम गर मेरी याद तेरे साथ है मत करना तुम कोई अहसान 'रौनक' पर साँस भी गवारा नही गर ये तेरी सौगात है दीपक खत्री 'रौनक' |
28-12-2012, 09:19 PM | #19 |
Member
Join Date: Dec 2012
Posts: 169
Rep Power: 14 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
कटने लगे है मुश्किल हालात किस कदर
जलने लगे है आप के ख्यालात किस क़दर ढलने लगा है दिन शाम मैकशी की है नज़र उड़ने लगे है दिल के जज्बात किस कदर खोने लगे है लोग कराबात जिस कदर करने लगे हैं आप सवालात किस क़दर भूल गये है सब यहाँ सुकून-ए-जीस्त को रहने लगी है याद-ए-कुल्फात किस कदर मुड़ गए है सब रास्ते इशराफ की तरफ बिछ गए है जाल-ए-हालात किस कदर रहने लगे हो 'रौनक' जीने की फ़िराक मे करने लगी है जीस्त करामात किस कदर दीपक खत्री 'रौनक' कराबात- रिश्तेदारी कुल्फात- मुसीबत इशराफ- बर्बादी |
29-12-2012, 07:43 AM | #20 |
Special Member
Join Date: Dec 2012
Location: फूटपाथ
Posts: 3,861
Rep Power: 23 |
Re: मेरी रचनाये-5 दीपक खत्री 'रौनक'
बहुत ही अच्छी रचनाये हैं दीपक जी।
|
Bookmarks |
|
|